“हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रह रहे हैं,” ये बात कही है Nilesh Shah ने, जो Kotak AMC के MD और CEO हैं, और जो लंबे समय से मनी मैनेजमेंट की दुनिया में सक्रिय हैं। उन्होंने हाल ही में Weekly F&O Expiries की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि उनका मन है कि इन पर बैन लग जाना चाहिए, क्योंकि ये बाजार के लिए कोई खास फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी माना कि वर्तमान हालात इतने आसान नहीं हैं कि तुरंत ऐसा कदम उठाया जा सके। भारतीय स्टॉक मार्केट में Derivatives ट्रेडिंग पर कड़ी नजर रखने वाली संस्था SEBI ने इस साल Derivatives के नियमों को सख्त किया है। इसमें Equity Derivatives के Expiry Days को स्टैंडर्ड करने और Speculative Excesses को रोकने के लिए Position Limits को कड़ा करने जैसे कदम शामिल हैं। इसी संदर्भ में Nilesh Shah ने Network18 के Reforms Reloaded इवेंट में अपने विचार साझा किए। Nilesh Shah ने कहा, “एक Purist के तौर पर मेरी प्राथमिकता Weekly Expiry को बंद करना है क्योंकि इससे कोई विशेष लाभ नहीं होता। लेकिन हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रह रहे हैं। ” यह टिप्पणी SEBI द्वारा Options Contracts के Multiple Expiries को नियंत्रित करने के प्रयासों के बीच आई है, जहां जल्द ही Weekly F&O Contracts को खत्म करने पर एक Consultation Paper भी आ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि Weekly Expiry ने भारतीय बाजारों में Speculative गतिविधियों को और बढ़ावा दिया है
ट्रेडिंग से पैसे कमाना बेहद मुश्किल है, जबकि निवेश करना सरल है। Shah ने रिटेल निवेशकों को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर Nobel पुरस्कार विजेता भी ट्रेडिंग में सफल नहीं हो सके, तो एक आम निवेशक कैसे सफल हो सकता है?” SEBI के हालिया अध्ययन के हवाले से उन्होंने बताया कि F&O सेगमेंट में नौ में से दस रिटेल ट्रेडर पैसे खोते हैं, और कुल मिलाकर इन नुकसानों की राशि पिछले कुछ वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुकी है। Nilesh Shah ने उदाहरण देते हुए कहा, “Jane Street का मुनाफा असली है, लेकिन रिटेल स्पेकुलेटर्स का मुनाफा शायद केवल दिखावा है। ” Jane Street, जो एक अमेरिकी ट्रेडिंग दिग्गज है, पर SEBI ने जुलाई 2025 में भारतीय बाजारों से प्रतिबंध लगाया था और 567 मिलियन डॉलर की संपत्ति फ्रीज कर दी थी। आरोप था कि इस कंपनी ने Indian Options Market में Manipulation करके अवैध मुनाफा कमाया। हालांकि कंपनी ने इस आदेश को चुनौती दी है और विवादित धनराशि को Escrow Account में रखा है। Nilesh Shah का मानना है कि Weekly Expiries पर प्रतिबंध लगाने से Manipulation की संभावना कम हो जाएगी। उन्होंने सुझाव दिया कि Weekly Expiry केवल Individual Traders के लिए होनी चाहिए और Institutional Investors या Mutual Funds को इसमें हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर बाजार बेहतर तरीके से काम करेगा। उनका यह भी मानना है कि Weekly F&O Contracts का असली उद्देश्य बाजार को स्थिर करना नहीं बल्कि Short-term Speculation को बढ़ावा देना है, जो पहले से ही बाजार को अस्थिर कर रहा है
यह एक व्यापक बहस छेड़ता है कि क्या Weekly Expiries भारतीय बाजार के लिए फायदेमंद हैं या सिर्फ बाजार में अनावश्यक उथल-पुथल का कारण बन रहे हैं। यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब भारत में Derivatives ट्रेडिंग महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी है, खासकर रिटेल निवेशकों के बीच। SEBI की नजर अब इस तेजी पर है कि कैसे इस वृद्धि को नियंत्रित किया जाए ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे और निवेशकों का धन सुरक्षित रहे। Nilesh Shah की राय और SEBI के कदम इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि भारतीय बाजार जल्द ही Weekly F&O Expiries के नियमों में बड़े बदलाव देख सकता है। यह बदलाव न सिर्फ Speculative गतिविधियों को कम करेगा बल्कि बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को भी बढ़ावा देगा। इस पूरे परिदृश्य को देखते हुए यह स्पष्ट है कि Weekly F&O Expiries की प्रासंगिकता और उनकी भूमिका पर गंभीर विचार हो रहे हैं। भविष्य में SEBI द्वारा क्या निर्णय लिए जाते हैं, यह भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए अहम साबित होगा और निवेशकों के व्यवहार को भी प्रभावित करेगा