Vandan Foods Limited, जो कि кастор ऑयल के उत्पादन में माहिर कंपनी है, ने BSE SME प्लेटफॉर्म पर 7 जुलाई 2025 को अपने IPO के बाद ट्रेडिंग की शुरुआत की। कंपनी ने अपने शेयरों को ₹115 की फिक्स्ड प्राइस पर लॉन्च किया था, जिसमें न्यूनतम निवेश ₹1,38,000 (1,200 शेयर) का था। IPO के लिए 30 जून से 2 जुलाई 2025 तक बिडिंग हुई, जिसमें कुल सब्सक्रिप्शन 1.75 गुना रहा। रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी काफी अच्छी रही, जहां उनका सब्सक्रिप्शन 3.09 गुना था, लेकिन HNI निवेशकों की भागीदारी बेहद कम, केवल 0.41 गुना रही। इस तरह निवेशकों के बीच मिक्स्ड सेंटीमेंट नजर आया। IPO लिस्टिंग के दिन Vandan Foods का शेयर ₹125 पर खुला, जो कि issue price से 8.7% ऊपर था। इस प्रीमियम के साथ कंपनी ने निवेशकों को मामूली लाभ दिया, हालांकि बाजार में विशेषज्ञों की चिंताएं भी जोरदार बनी रहीं। विश्लेषकों ने कंपनी के वित्तीय सुधारों और आक्रामक प्राइसिंग को लेकर कई बार चेतावनी दी कि यह एक High Risk/Low Return निवेश हो सकता है। 2015 में स्थापित Vandan Foods मुख्यतः refined F.S.G. castor oil और castor de-oiled cake का उत्पादन करती है। कंपनी के पास गुजरात के Dhinoj Patan में उत्पादन सुविधा है, और यह गुजरात, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, बिहार, राजस्थान और तेलंगाना में अपने प्रोडक्ट्स सप्लाई करती है
दिसंबर 2024 तक कंपनी के पास केवल 16 स्थायी कर्मचारी थे, जो इसकी संचालन क्षमता को सीमित बताते हैं। कंपनी की ताकतों में इसका diversified प्रोडक्ट पोर्टफोलियो है जो औद्योगिक उपयोग के लिए refined castor oil और प्राकृतिक उर्वरक के रूप में castor de-oiled cake दोनों बनाता है। इसके अलावा, यह सात राज्यों में फैली अपनी मार्केट पहुंच के कारण राजस्व के विविध स्रोतों का लाभ उठाती है, जिससे भौगोलिक जोखिम कम होता है। IPO से जुटाए गए फंड का उपयोग कंपनी working capital बढ़ाने, ऋण चुकाने और अपनी Dhinoj फैक्ट्री का विस्तार करने में करेगी, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। वित्तीय प्रदर्शन की बात करें तो FY24 में कंपनी का राजस्व ₹48.73 करोड़ था, जो 9 महीनों के FY25 में बढ़कर ₹72.66 करोड़ तक पहुंच गया। इसी तरह, नेट प्रॉफिट ₹2.64 करोड़ से बढ़कर ₹4.54 करोड़ हो गया। हालांकि, इस तेज वित्तीय बदलाव को लेकर विशेषज्ञों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उनकी राय में इतने कम समय में इतनी बड़ी वृद्धि की स्थिरता और वास्तविकता पर सवाल उठते हैं। कंपनी का ROE 45.41% और ROCE 37.33% जैसे मजबूत वित्तीय संकेत हैं, लेकिन EBITDA मार्जिन केवल 7.48% रहना चिंता का विषय है। साथ ही, इसका price-to-book value 6.92 है, जो बाजार में प्रीमियम वैल्यूएशन को दर्शाता है
विशेषज्ञों ने खासतौर पर HNI निवेशकों की कम भागीदारी को चिंता का कारण बताया है। उनका मानना है कि संस्थागत निवेशकों की कम रुचि कंपनी के बिजनेस मॉडल और भविष्य की संभावनाओं पर सवाल खड़े करती है। कंपनी के छोटे ऑपरेशनल पैमाने और सीमित कर्मचारियों की संख्या को लेकर भी निवेशकों में संशय है कि क्या यह कंपनी तेजी से बढ़ सकती है या नहीं। IPO से जुटाए गए ₹27.37 करोड़ का उपयोग कंपनी विस्तार और संचालन के लिए करेगी। ₹8.57 करोड़ working capital के लिए, ₹3 करोड़ ऋण चुकाने में, ₹8.29 करोड़ फैक्ट्री विस्तार में और ₹7.51 करोड़ सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए आवंटित किए गए हैं। ये निवेश योजनाएं कंपनी के विकास के लिए आवश्यक हैं, लेकिन निवेशकों और विश्लेषकों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कंपनी इन फंड्स का बेहतर उपयोग कर पाती है या नहीं। कुल मिलाकर Vandan Foods का IPO लिस्टिंग पर 8.7% प्रीमियम के साथ मामूली सफलता मिली है, जो दर्शाता है कि छोटे पैमाने की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के प्रति निवेशकों की रुचि सीमित है। इसके साथ ही, वित्तीय वृद्धि की अस्थिरता और आक्रामक प्राइसिंग ने इसे एक High Risk निवेश बना दिया है। निवेशकों को इस स्टॉक में निवेश करते समय सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी का वर्तमान प्रदर्शन अस्थायी हो सकता है और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए चुनौतियां बनी हुई हैं। इस IPO ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बाजार में केवल तेज़ वृद्धि ही नहीं, बल्कि उस वृद्धि की गुणवत्ता और स्थिरता भी मायने रखती है
Vandan Foods का भविष्य उसके विस्तार प्रयासों, वित्तीय प्रबंधन और बाजार की मांग पर निर्भर करेगा। फिलहाल, यह स्टॉक उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो उच्च जोखिम लेने को तैयार हैं और छोटे पैमाने की कंपनियों में संभावित लाभ की तलाश कर रहे हैं