अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा India से आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद भारत के शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली है। इस बढ़ोतरी के बाद कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बन गया है। बुधवार को Gift Nifty 96.50 अंक या 0.39 प्रतिशत गिरकर 24,784.50 पर बंद हुआ, जबकि पिछले एक हफ्ते में यह लगभग 0.8 प्रतिशत नीचे आया है। इस फैसले से वैश्विक बाजारों में भी असमंजस देखा गया, हालांकि एशियाई और यूरोपीय बाजारों ने दिनभर मामूली तेजी का रुख अपनाया जबकि अमेरिका के बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। Trump ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को 25 प्रतिशत और बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यह आदेश 27 अगस्त से प्रभावी होगा। अमेरिकी प्रशासन ने इस कदम को भारत की “अनुचित व्यापार प्रथाओं” और रूस से तेल की निरंतर खरीद के जवाब में उठाया है। इस निर्णय के बाद भारत की Ministry of External Affairs ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व Twitter) पर बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका ने हाल के दिनों में भारत के रूस से तेल आयात को निशाना बनाया है। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ये आयात बाजार के आधार पर हैं और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने उन क्रियाओं के लिए अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं, जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हितों के तहत कर रहे हैं
भारत ने इस कदम को अनुचित, अन्यायपूर्ण और असंगत बताया और कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक सभी कदम उठाएगा। इस घटनाक्रम का भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर Dhiraj Relli, MD & CEO, HDFC Securities ने टिप्पणी की है। उनका कहना है कि बाजारों में शुरुआती प्रतिक्रिया के तौर पर 1-2 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है, लेकिन अधिकांश निवेशक इस मसले का समाधान निकलने की उम्मीद करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि ये टैरिफ एक वर्ष तक कायम रहते हैं, तो GDP पर करीब 30-40 बेसिस पॉइंट का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति भारतीय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि व्यापारिक तनाव बढ़ने से निवेशकों का भरोसा कमजोर हो सकता है। साथ ही, अमेरिकी बाजार के इस कदम से भारत की निर्यात कंपनियों और उन उद्योगों पर भी दबाव बढ़ेगा जो अमेरिका पर निर्भर हैं। हालांकि, बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के व्यापारिक विवाद आमतौर पर लंबी अवधि के लिए स्थिर नहीं रहते और अंततः किसी समाधान की ओर बढ़ते हैं। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन टैरिफ का मुख्य कारण भारत की रूस से तेल खरीद को बताया जा रहा है, जो अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय नीतियों के अनुरूप नहीं है। इस फैसले से भारत-यूएस व्यापार संबंधों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जो पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकसित हो रहे थे। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और इस दिशा में किए गए कदम राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हैं
वर्तमान में बाजार की प्रतिक्रिया में देखे गए गिरावट के बावजूद, कुछ सेक्टरों में निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। HDFC Securities के मुताबिक, बाजार की यह गिरावट तात्कालिक और अस्थायी हो सकती है। इसके साथ ही, बाजार में Volatility बढ़ने की संभावना है, जिससे निवेशकों को सावधानी बरतनी होगी। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान, Gift Nifty में गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ स्थिति में सुधार होगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विवादों के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रहेगी और संभावित रूप से कुछ समझौते सामने आएंगे जो बाजार को स्थिरता प्रदान करेंगे। इस तरह के व्यापारिक कदम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर भी असर डालते हैं, क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों ही विश्व के प्रमुख बाजार हैं। व्यापार प्रतिबंध और टैरिफ में अचानक वृद्धि से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है, जिससे कई उद्योगों को नुकसान हो सकता है। अंततः, इस टैरिफ वृद्धि का असर केवल बाजारों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं को भी प्रभावित करेगा। निर्यात, उद्योग, रोजगार तथा निवेश के क्षेत्रों में इसके दुष्प्रभावों का आकलन समय के साथ होगा। फिलहाल, निवेशकों की नजरें आगामी आर्थिक नीतियों और दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताओं पर टिकी हैं
इस कठिन दौर में, निवेशकों को HDFC Securities जैसे विशेषज्ञों की सलाह और बाजार की स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है ताकि वे सही समय पर अपने निवेश निर्णय ले सकें। वर्तमान में, बाजार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है, लेकिन दीर्घकालीन दृष्टिकोण से भारत की आर्थिक संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं