Trump’s Pharma Tariff ने हिला दी Indian Pharma Industry, Anil Rego का बड़ा अलर्ट भारतीय ..

Saurabh
By Saurabh

Trump’s Pharma Tariff ने हिला दी Indian Pharma Industry, Anil Rego का बड़ा अलर्ट भारतीय फार्मा सेक्टर पर अमेरिका के नए टैरिफ ने नई चिंता पैदा कर दी है। Right Horizons PMS के Founder और Fund Manager Anil Rego ने हाल ही में इस स्थिति पर अपनी गंभीर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विशेष रूप से उन कंपनियों के प्रति सतर्कता बरतने की सलाह दी है जिनकी अमेरिका में उच्च उपस्थिति है, जैसे कि Aurobindo Pharma, जो अपनी आमदनी का लगभग 48% हिस्सा अमेरिका से अर्जित करती है। ट्रम्प सरकार द्वारा अक्टूबर 1 से लागू किए गए 100% टैरिफ ने branded और patented फार्मा दवाओं पर सीधे असर डाला है, जो भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। शुरुआत में यह टैरिफ मुख्य रूप से multinational कंपनियों के branded drugs को लक्षित कर रहा है, लेकिन Anil Rego के अनुसार, इसके बढ़ने की संभावना है और इससे complex generics जैसे सेगमेंट भी प्रभावित हो सकते हैं, जहां Dr Reddy’s और Sun Pharma जैसी बड़ी कंपनियों की मजबूत पोजीशन है। भारत अमेरिका को लगभग 45% generic drugs सप्लाई करता है और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा फार्मा एक्सपोर्ट मार्केट है, जिसका मूल्य FY24 में लगभग $8.7 बिलियन था। अगर टैरिफ बढ़ते गए तो यह सेक्टर की मूलभूत संरचना को पूरी तरह बदल सकता है। इस पर Anil Rego कहते हैं कि निवेशकों को ऐसे कंपनियों से सतर्क रहना चाहिए जिनका अमेरिका पर ज्यादा निर्भरता है और उन कंपनियों पर नजर रखनी चाहिए जो या तो अपने जियो-ग्राफिकल प्रेजेंस को डाइवर्सिफाई कर रही हैं या अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करने के लिए तैयार हैं। Anil Rego ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं पर भी अपनी राय दी। उनका मानना है कि ग्लोबल आर्थिक व्यवधान आमतौर पर बाजारों की अपेक्षा से लंबा समय तक बने रहते हैं

खासकर US-China के बीच जारी ट्रेड वार की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव आ रहा है, जो भारत के लिए चुनौतियों के साथ-साथ अवसर भी प्रस्तुत करता है। हालांकि सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन से भारत को फायदा हो सकता है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभावों को भी कम नहीं आंकना चाहिए। भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर भी Anil Rego ने अपने विचार साझा किए। RBI ने FY26 के लिए 6.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जबकि S&P Global ने इसे थोड़ा बेहतर 6.7% बताया है। FY27 के लिए भी अनुमान 6.8% के आसपास है। Anil Rego का मानना है कि 6.5-7% की वृद्धि मध्यम अवधि के लिए स्थिर हो सकती है, लेकिन यह हमारे देश के जनसांख्यिकीय लाभ के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को बढ़ावा दे और संरचनात्मक सुधारों को लागू करे। केवल चक्रीय सुधारों से ही 7% से अधिक की स्थायी वृद्धि हासिल नहीं हो पाएगी। ट्रेड टेंशन्स के सवाल पर उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत के कुछ एक्सपोर्ट्स पर अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाया है, जिससे ज्वैलरी समेत कई सेक्टर प्रभावित हुए हैं। इससे जाहिर होता है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं अभी खत्म नहीं हुई हैं

इसलिए बाजार और निवेशक जल्दी आशावादी होने से पहले स्पष्ट नीति संकेतों का इंतजार करें। मौद्रिक नीति पर सवाल के जवाब में Anil Rego ने कहा कि RBI 1 अक्टूबर को ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा और मुद्रा के उतार-चढ़ाव को बाजार हस्तक्षेप के जरिए नियंत्रित करने पर ध्यान देगा। RBI ने FY25 के लिए 6.4% की वृद्धि और 4.8% की मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है, इसलिए उनकी टिप्पणी में डेटा-आधारित नीति पर जोर रहेगा। बाहरी क्षेत्र की कमजोरियों को संभालते हुए घरेलू विकास को समर्थन देना प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक जोखिमों को लेकर सतर्क भाषा का इस्तेमाल होगा और वित्तीय स्थिरता पर जोर रहेगा। रुपए के अवमूल्यन के बारे में उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया 88 के नीचे गिर गया है, जो विदेशी निवेशकों के आउटफ्लो और व्यापार तनाव के कारण है। RBI अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है, लेकिन दीर्घकालीन रूप से विदेशी निवेशकों की बेचने की प्रवृत्ति और वैश्विक डॉलर की मजबूती रुपया दबाव में रखेगी। इसलिए, रुपया अभी जल्दी स्थिर होने की संभावना नहीं है। मेटल और PSU स्टॉक्स की बात करें तो Anil Rego ने कहा कि 2025 में घरेलू मंदी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार कमजोर रहा। हालांकि, सेक्टर रोटेशन अवश्य होगा और मेटल तथा PSU स्टॉक्स को सरकार के कैपेक्स चक्र और वैश्विक कमोडिटी ट्रेंड से फायदा मिल सकता है

लेकिन निवेश के लिए वे मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों को प्राथमिकता देंगे न कि केवल सेक्टरल मोमेंटम को। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) के नजरिए से उन्होंने बताया कि भारतीय बाजार की वैल्यूएशन अभी भी आकर्षक नहीं है, खासकर हाल की गिरावट के बाद। FII का रुख वैश्विक विकल्पों की तुलना में भारत की सापेक्ष मजबूती पर निर्भर करेगा। लंबी अवधि में भारत की विकास कहानी मजबूत है, लेकिन निकट अवधि में FII प्रवाह वैश्विक जोखिम भूगोल और डॉलर के चक्र पर निर्भर करेगा। इस स्थिति में पोर्टफोलियो को धीरे-धीरे मजबूत करना बेहतर होगा बजाय अचानक निवेश बढ़ाने के। कुल मिलाकर, Anil Rego ने फार्मा सेक्टर और समग्र बाजार के लिए सतर्क और संयमित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है। विशेषकर फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका की नीतिगत अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए निवेशक सावधानी बरतें। वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य अभी भी तेजी से बदल रहा है, इसलिए बाजार में जल्दबाजी करने से बचना चाहिए

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