पिछले तीन हफ्तों में 4% से अधिक की जबरदस्त तेजी के बाद, Dalal Street ने 26 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में लगभग 2.7% की गिरावट दर्ज की। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा H-1B visa पर नए शुल्क को $100,000 तक बढ़ाना और फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाने का फैसला रहा। इस कदम से निवेशकों के मन में बेचैनी बढ़ गई और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने बाजार से भारी निकासी की, जिससे बाजार पर दबाव और बढ़ा। इसके अलावा अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी और वैश्विक भू-राजनैतिक तनाव ने भी भारतीय रुपया दबाव में रखा, जो सप्ताह के दौरान 88.87 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। सप्ताह के अंत में Nifty 50 ने 672 अंक यानी 2.65% की गिरावट के साथ 24,655 पर बंद किया, जबकि BSE Sensex भी 2,200 अंक गिरकर 80,426 पर आ गया। खास बात यह रही कि Nifty Midcap और Smallcap 100 इंडेक्स में क्रमशः 4.6% और 5.1% तक की गिरावट देखी गई, जो व्यापक बिकवाली को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक HEADWINDS और भारत-अमेरिका के ट्रेड वार्ता के अनिश्चितता के बीच बाजार की हालत अगले कुछ समय तक कमजोर बनी रहेगी। Motilal Oswal Financial Services के Siddhartha Khemka ने कहा कि आने वाले दिनों में बाजार पर वैश्विक और घरेलू दोनों तरह के दबाव बने रहेंगे, जबकि Geojit Investments के Vinod Nair ने यह बताया कि निवेशकों की नजर US के आर्थिक आंकड़ों, RBI की मौद्रिक नीति और औद्योगिक उत्पादन रिपोर्ट पर केंद्रित रहेगी। आने वाले सप्ताह में RBI की monetary policy समिति की बैठक महत्वपूर्ण होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि RBI repo rate 5.5% पर स्थिर रखेगा, क्योंकि इस वर्ष पहले ही 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है
अगस्त में CPI 2.07% पर नियंत्रण में रहा, जो RBI के सीमा के भीतर है। इस बार RBI के गवर्नर Sanjay Malhotra की बैठक के बाद दिए जाने वाले आर्थिक और मुद्रास्फीति के प्रोजेक्शन पर भी बाजार की पैनी नजर रहेगी। घरेलू आर्थिक आंकड़ों में भी इस सप्ताह महत्वपूर्ण अपडेट आने वाले हैं। 29 सितंबर को अगस्त के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी होंगे, वहीं 30 सितंबर को वित्तीय घाटे और बाहरी ऋण के तिमाही आंकड़ों की घोषणा होगी। इसके अलावा HSBC के manufacturing PMI में सितंबर में गिरावट देखी गई है, जो 58.5 पर आ गया, जो पिछले माह के 59.3 से कम है। अमेरिका से आने वाले jobs data भी बाजार के लिए अहम संकेतक होंगे। गैर-कृषि रोजगार, बेरोजगारी दर, और अन्य रोजगार से जुड़ी रिपोर्ट अमेरिका के फेडरल रिजर्व की interest rate नीति को प्रभावित करती हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि बेरोजगारी दर सितंबर में 4.3% पर स्थिर रहेगी। इसके अलावा जापान और यूरोप के manufacturing और services PMI के आंकड़े भी बाजार की दिशा तय करेंगे। US government shutdown को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि 30 सितंबर तक वित्तीय बिल पास नहीं होने की स्थिति में shutdown हो सकता है
राष्ट्रपति Trump ने 29 सितंबर को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा करने की योजना बनाई है, जिससे shutdown की आशंका कम हो सकती है। विदेशी निवेशकों (FII) की गतिविधि पर नजर डालें तो, पिछले सप्ताह उन्होंने करीब ₹19,570 करोड़ के शेयर बेचे, जो पिछले सप्ताह के ₹1,327 करोड़ की बिक्री से काफी अधिक है। इस महीने कुल मिलाकर FII का आउटफ्लो ₹30,142 करोड़ तक पहुंच गया है। दूसरी ओर, Domestic Institutional Investors (DIIs) ने ₹11,827 करोड़ की खरीदारी की, लेकिन यह FII की बिक्री को पूरा नहीं कर पाया। बाजार में तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, Nifty ने एक लंबी bearish candle बनाई है और 78.6% Fibonacci retracement स्तर (24,600) के नीचे बंद हुआ है। अगर यह स्तर अगले सप्ताह भी टूटता है तो 24,400 से 24,300 के बीच का क्षेत्र (200 DEMA और अगस्त का लो) टेस्ट हो सकता है। वहीं, ऊपर की ओर 24,750-24,900 का क्षेत्र resistance के रूप में काम कर सकता है। Options market में भी Nifty 50 के लिए 24,500 से 25,000 के बीच कारोबार की उम्मीद है, जबकि India VIX में 14.62% की बढ़ोतरी से बाजार में भय और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। IPO बाजार भी सक्रिय है, जहाँ अगले सप्ताह 21 नए issues ₹4,450 करोड़ से अधिक के मूल्य के Dalal Street पर आ रहे हैं। मुख्य बोर्ड पर Glottis, Fabtech Technologies, Om Freight Forwarders जैसे नाम शामिल हैं
SME सेगमेंट में भी 16 नए IPO लॉन्च होंगे, जिनमें Chiraharit, Sodhani Capital और Vijaypd Ceutical जैसे कंपनियां प्रमुख हैं। इसके अलावा कई IPO बंद होने और नए IPO के लिस्टिंग की प्रक्रिया भी पूरी होने वाली है। इस प्रकार, आगामी सप्ताह में बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है, जहां RBI की नीति, अमेरिका के रोजगार आंकड़े, FII के फंड प्रवाह और वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम से बाजार की दिशा तय होगी। फिलहाल निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार की तकनीकी स्थितियों पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है