Retail Investors की सतर्कता ने बाजार को दिया नया रूप, 2025 में अचानक धीमी हुई खरीदारी 2024 में जब Indian equity markets ने एक जबरदस्त निवेश वर्ष देखा, वहीं 2025 की शुरुआत में retail investors की क्रय क्षमता में अचानक गिरावट आई है। बाजार की बढ़ती volatility और वैश्विक अनिश्चितताओं ने घरेलू निवेशकों को सतर्क कर दिया है। इस साल अब तक retail investors की भागीदारी सीमित रही है, जो stretched valuations, geopolitical tensions और लगातार हो रहे foreign fund outflows से प्रभावित दिख रही है। डेटा के अनुसार, 2025 में retail investors ने लगभग ₹7,400 करोड़ की net खरीदी की है, जो कि 2024 के ₹1.66 लाख करोड़ से काफी कम है। जनवरी, फरवरी, जुलाई और अगस्त में ही खरीदारी में तेजी देखी गई, जबकि बाकी महीनों में retail investors net sellers बने। यह धीमी होती secondary market participation उन turbulent equity markets के बीच आई है, जिन्हें लगातार foreign fund withdrawals और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने झकझोर रखा है। Primary market में IPO activity तो जारी है, लेकिन हालिया IPO listings ने उम्मीदों के विपरीत कमजोर या नकारात्मक post-listing returns दिए हैं। Independent market analyst Ajay Bagga ने कहा, “लंबे समय तक खराब returns retail investors की equity में रुचि को कमजोर करते हैं, और वर्तमान स्थिति इसका एक जीवंत उदाहरण है। ” इसी वजह से trading activity और नए demat account खोलने की संख्या भी कम हो गई है। 2025 में Indian equities ने global markets की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है
Sensex में केवल 0.32% की वृद्धि और Nifty में 0.5% की मामूली बढ़त दर्ज की गई, जबकि S&P 500 में 14%, Nasdaq में 19%, DAX में 38% और Hang Seng में 34% जैसे आकर्षक gains देखने को मिले। इस अंतराल में post-COVID bull run के दौरान निवेश करने वाले कई first-time investors पहली बार sustained market correction का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण वे अधिक सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में, gold और silver जैसे precious metals में निवेशकों की मांग तेज हुई है। शारीरिक gold की कमी की खबरें भी सामने आई हैं, जो दर्शाती हैं कि निवेशक अब स्थायित्व और सुरक्षित रिटर्न की तलाश में हैं। आगे की दिशा की बात करें तो, बाजार विशेषज्ञों में धीरे-धीरे आशावाद बढ़ रहा है। Research analyst Antu Eapen Thomas का मानना है कि “बाजार bottoming out की स्थिति में है और FY26 के दूसरे छमाही में corporate earnings में सुधार के साथ retail confidence में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है। ” इस सकारात्मक outlook को कुछ महत्वपूर्ण macroeconomic कारक भी समर्थन दे रहे हैं, जैसे GST का rationalisation, inflation में कमी, RBI द्वारा FY26 के लिए GDP growth को 6.8% तक बढ़ाना, trade uncertainties का कम होना और अमेरिकी Fed के rate cuts के बाद डॉलर के कमजोर होने की संभावना। ये सब factors foreign investment को भारतीय बाजारों में आकर्षित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, 2025 में market volatility, IPO की कमजोर सफलता और stretched valuations ने retail investors की equity market में भागीदारी को काफी प्रभावित किया है। हालांकि, निवेशक अभी भी gold और silver में रुचि बनाए हुए हैं और बेहतर macroeconomic indicators के चलते FY26 में retail confidence के पुनः उभरने की उम्मीद है
इस स्थिति में, investors के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपने investment strategies को सतर्कता से तैयार करें और market के उतार-चढ़ाव के बीच संभावित अवसरों पर नजर रखें। बाजार की वर्तमान स्थिति बताती है कि निवेशकों का रुख फिलहाल सुरक्षित विकल्पों की ओर है, लेकिन आने वाले महीनों में बेहतर corporate performance और आर्थिक सुधार के साथ बाजार में फिर से उत्साह लौट सकता है