पिछले कुछ हफ्तों में जब बाजार ने लगभग 4 प्रतिशत की बढ़त दिखाई थी, तो निवेशकों की उम्मीदें आसमान पर थीं, लेकिन सप्ताह समाप्त होते-होते बाजार ने 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की और 4 जुलाई को सप्ताह का समापन हुआ। इस दौरान Nifty 50 में 177 अंक की गिरावट आई और यह 25,461 पर बंद हुआ, जबकि BSE Sensex में 626 अंकों की कमी दर्ज हुई और यह 83,433 तक आ गया। इसके बावजूद, Nifty Midcap और Smallcap 100 इंडेक्स ने क्रमशः 0.5 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत की मामूली बढ़त देखी। बाजार की यह हल्की कमजोरी मुख्य रूप से अमेरिका और भारत के बीच चल रहे व्यापार समझौतों पर अनिश्चितता और अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump के आगामी टैरिफ फैसलों के चलते आई है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगले हफ्ते भी बाजार में यही कंसोलिडेशन यानी सधी हुई मजबूती के साथ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशक अमेरिका के ट्रेड डील के बारे में स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। Motilal Oswal Financial Services के Head – Research, Siddhartha Khemka ने कहा कि यह वक्त भारत-यूएस व्यापार समझौते पर निर्भर करेगा। वहीं, Geojit Investments के Head of Research Vinod Nair का मानना है कि यदि अमेरिका और भारत के बीच सकारात्मक व्यापार समझौता होता है, तो खासकर IT, फार्मा और ऑटो सेक्टर को लाभ मिलेगा और बाजार में तेजी आ सकती है। अगले हफ्ते से जून क्वार्टर की कमाई (Q1FY26) की रिपोर्ट्स भी आने लगेंगी, जिसमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), Avenue Supermarts, Tata Elxsi, Siemens Energy India और Aditya Birla Money प्रमुख कंपनियां होंगी। इन रिपोर्ट्स के आधार पर निवेशकों को साल भर के लिए मुनाफे की संभावनाओं में बदलाव का अंदाजा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बजट में टैक्स सुधार, RBI की ब्याज दरों में कटौती, भू-राजनीतिक तनावों में कमी और सरकारी पूंजी व्यय में वृद्धि के चलते आर्थिक वसूली के मजबूत संकेत मिल सकते हैं
अमेरिका से आने वाले ट्रेड टैरिफ अपडेट्स इस सप्ताह की सबसे बड़ी चिंता बने रहेंगे। 9 जुलाई को ट्रंप प्रशासन द्वारा 90 दिन के टैरिफ ठहराव की अवधि समाप्त हो रही है, जिसके बाद नए टैरिफ दरों की घोषणा हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने जापान पर 30 से 35 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है, अगर व्यापार समझौता नहीं होता है। वहीं, ब्रिटेन, चीन और वियतनाम के साथ समझौते हो चुके हैं, और भारत के साथ भी डील लगभग फाइनल है। यूरोपीय संघ भी जल्द ही बेसिक ट्रेड डील की घोषणा कर सकता है। Kotak Securities की Kaynat Chainwala ने बताया कि 7 जुलाई को ट्रंप प्रशासन 12 देशों पर नए टैरिफ नोटिस जारी कर सकता है, जिनमें कुछ दरें 70 प्रतिशत तक हो सकती हैं, जो अगस्त से लागू हो सकती हैं। इसके अलावा, यूरोपीय संघ के कृषि निर्यात पर 17 प्रतिशत टैरिफ की भी आशंका है, जो व्यापार तनाव को और बढ़ा सकती है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की जून में हुई बैठक के मिनट्स भी बाजार की दिशा तय कर सकते हैं। दरअसल, फेड ने ब्याज दरों में कटौती के प्रति संकोच जताया है, खासकर टैरिफ से जुड़ी महंगाई की आशंकाओं के कारण। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ जुलाई या सितंबर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन इस पर दबाव बना रहा है
फेडरल फंड्स रेट अभी 4.25 से 4.50 प्रतिशत के बीच स्थिर है। इसके अलावा, अमेरिका के रोजगार डेटा और उपभोक्ता महंगाई की उम्मीदें भी निवेशकों की नजर में रहेंगी। यूरोप, जापान और चीन के आर्थिक आंकड़े भी बाजार की दिशा पर असर डाल सकते हैं। तेल की कीमतों पर भी नजर रहेगी क्योंकि OPEC+ ने अगस्त के लिए उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि की घोषणा की है। इसके परिणामस्वरूप Brent crude futures में 3 प्रतिशत की तेजी आई है और कीमतें $68.8 प्रति बैरल तक पहुंची हैं। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ धमकियों की वजह से यह तेजी सीमित रही। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति फायदेमंद मानी जा रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियां भी बाजार के लिए अहम रहेंगी। पिछले सप्ताह उन्होंने 6,605 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 7,609 करोड़ रुपये की खरीदारी कर इसका संतुलन बनाए रखा। Geojit Investments के Chief Investment Strategist Vijayakumar ने बताया कि अगर भारत-अमेरिका व्यापार समझौता होता है और Q1FY26 के नतीजे सकारात्मक आते हैं तो FII फिर से बाजार में खरीदारी शुरू कर सकते हैं
प्राथमिक बाजार में भी हलचल बनी रहेगी क्योंकि अगले सप्ताह कुल छह नए IPO बाजार में आ रहे हैं, जिनमें Travel Food Services और Smartworks Coworking Spaces के बड़े IPO शामिल हैं। SME सेक्टर से Smarten Power Systems और Chemkart India के IPO भी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे। इसके अलावा, कुछ कंपनियों के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग्स और लिस्टिंग भी होने वाली हैं। तकनीकी रूप से देखें तो Nifty 50 ने पिछले सप्ताह 25,300 से 25,700 के दायरे में कारोबार किया, जो एक स्थिरता और दिशा की कमी को दर्शाता है। यदि यह 25,300 के स्तर से नीचे गिरता है, तो 25,200 और 25,000-24,800 के स्तर तक गिरावट संभव है। वहीं, 25,600-25,700 के ऊपर स्थिरता से 25,800 से 26,000 तक की तेजी आ सकती है। India VIX यानी बाजार की डर指数 भी तीन सप्ताह से लगातार नीचे आ रहा है और 12.32 पर बंद हुआ, जो सितंबर 2024 के बाद सबसे कम है, जिससे बाजार में खरीदारी के लिए भरोसा बढ़ता है। आने वाला सप्ताह Dalal Street के लिए काफी अहम होगा क्योंकि वैश्विक व्यापार नीति, अमेरिकी टैरिफ फैसले, जून तिमाही की कमाई, तेल की कीमतें और विदेशी निवेशकों की खरीद-फरोख्त बाजार की दिशा तय करेंगे। निवेशक सतर्कता के साथ इन कारकों पर नजर बनाए रखेंगे और बाजार में थोड़ी अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है