भारतीय शेयर बाजार ने नए सम्वत वर्ष की शुरुआत धमाकेदार तरीके से की है, लगातार चौथे हफ्ते तेजी के साथ NIFTY50 ने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर को छू लिया। इस जोरदार रैली के पीछे मुख्य वजह मानी जा रही है भारत और U.S. के बीच जल्द होने वाली संभावित ट्रेड डील, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा शॉर्ट कवरिंग, और दूसरी तिमाही में कई सेक्टर्स की मजबूत कमाई। सप्ताह के अंत में NIFTY50 ने 0.3% की बढ़त के साथ 25,795 के स्तर को छुआ। वहीं, NIFTY Midcap 150 ने मामूली 0.5% की बढ़त दर्ज की, जबकि Smallcap 250 ने 0.8% की तेजी के साथ मिडकैप को पीछे छोड़ दिया। सेक्टर्स की बात करें तो NIFTY IT, PSU बैंक और मेटल स्टॉक्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, जहां ये 1% से 3% तक की साप्ताहिक बढ़त लेकर आए। मार्केट ब्रेड्थ को देखें तो NIFTY50 के लगभग 70-80% स्टॉक्स अपने 50-दिन के मूविंग एवरेज (DMA) से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं, जो संकेत देता है कि यह तेजी केवल कुछ बड़े खिलाड़ियों की वजह से नहीं बल्कि व्यापक बाजार की मजबूती की वजह से है। हालांकि, इतिहास में जब 80-90% से ज्यादा स्टॉक्स 50 DMA से ऊपर होते हैं, तो बाजार में अल्पकालीन ओवरहीटिंग की संभावना होती है, जिसके बाद कभी-कभी कंसोलिडेशन या करेक्शन भी हो सकता है। FIIs की स्थिति पर नजर डालें तो उनका इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट कवरिंग का ट्रेंड जारी है। लॉन्ग-टू-शॉर्ट अनुपात अक्टूबर के 8:92 के अत्यधिक नकारात्मक स्तर से सुधर कर अब लगभग 22:78 पहुंच गया है। इसका मतलब विदेशी निवेशक धीरे-धीरे शॉर्ट पोजीशन्स कम कर रहे हैं, लेकिन अभी भी शॉर्ट्स का दबदबा है, जिससे पता चलता है कि FIIs पूरी तरह से अपनी नकारात्मक सोच नहीं छोड़ रहे बल्कि सावधानी से कुछ लॉन्ग पोजीशन्स जोड़ रहे हैं
अक्टूबर में FIIs ने कैश मार्केट में लगभग ₹244 करोड़ की नेट सेलिंग की, जो बताता है कि वे फिलहाल वेट एंड वॉच की पोजीशन में हैं। दूसरी ओर, घरेलू निवेशक बाजार को मजबूती से सहारा दे रहे हैं, जिससे बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया। विदेशी निवेश के अभाव में बाजार स्थिरता मुख्य रूप से बिकवाली की कमी के कारण बनी हुई है, न कि सक्रिय खरीदारी के चलते। NIFTY50 का तकनीकी दृष्टिकोण बताता है कि यह फिलहाल रेंज-बाउंड मूवमेंट कर रहा है, जिसमें 25,400 का स्तर महत्वपूर्ण सपोर्ट के रूप में उभर रहा है। अगर यह सपोर्ट टूटता है तो तेजी की संरचना खतरे में आ सकती है। पिछले सप्ताह इस इंडेक्स को 26,200 के स्तर पर रुकावट मिली, जहां से बिकवाली दबाव देखने को मिला। ट्रेडर्स के लिए 26,200-25,400 के इस रेंज पर नजर रखना जरूरी होगा, क्योंकि इस रेंज से ब्रेकआउट आने पर बाजार की दिशा स्पष्ट हो सकती है। मेटल सेक्टर इस सप्ताह खास ध्यान में रहा। ग्लोबल एल्यूमीनियम की कीमतों में तेजी के कारण मेटल स्टॉक्स में जबरदस्त उछाल आया। एल्यूमीनियम की सप्लाई में कमी और उत्पादन में व्यवधानों ने कीमतों को कई महीनों के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया
इसके अलावा, वैश्विक ट्रेड तनाव में संभावित ढील और अमेरिका द्वारा स्टील व एल्यूमीनियम पर टैरिफ बढ़ाने की उम्मीद ने भी भारतीय मेटल कंपनियों के लिए माहौल बेहतर बनाया, क्योंकि इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा कम होगी। Vedanta द्वारा ओडिशा में बड़े निवेश की घोषणा ने भी इस सेक्टर के निवेशकों का उत्साह बढ़ाया। ग्लोबल निवेश फर्म Blackstone ने Federal Bank में 10% हिस्सेदारी खरीदकर सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया है, और इसके लिए ₹6,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। Federal Bank इस राशि का उपयोग रिटेल, स्मॉल बिजनेस और डिजिटल ऑपरेशन्स को बढ़ाने में करेगा। इस डील से पहले ही भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश का सिलसिला जारी है, जैसे कि Dubai की Emirates NBD ने RBL Bank में 60% हिस्सेदारी खरीदी और जापानी बैंक Sumitomo Mitsui ने Yes Bank में 24% हिस्सेदारी हासिल की। ये निवेश भारतीय वित्तीय क्षेत्र की तेजी और संभावनाओं को दर्शाते हैं। दुनिया के प्रमुख U.S. टेक जायंट्स Microsoft, Alphabet (Google), Meta, और Amazon की तिमाही कमाई रिपोर्ट पर निवेशकों की निगाहें टिकी हैं। इनके परिणाम बाजार के मूड और वोलैटिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं। घरेलू कंपनियों में Indian Oil Corporation, TVS Motor, BHEL, Larsen & Toubro, Steel Authority of India, Canara Bank, ITC, NTPC, Maruti Suzuki, GAIL और Bharat Petroleum अपनी दूसरी तिमाही रिपोर्ट देने के लिए तैयार हैं। आगामी सप्ताह में दो बड़े वैश्विक इवेंट्स पर भी ध्यान रहेगा
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर निर्णय बैठक, जहां 0.25% कटौती की उम्मीद है, और APEC समिट में President Donald Trump और Chinese President Xi Jinping की मुलाकात। फेडर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से मुद्रास्फीति और आर्थिक नीतियों पर संकेत मिल सकते हैं, जबकि Trump-Xi वार्ता से वैश्विक व्यापार माहौल में नई दिशा आ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में भी इस सप्ताह तेजी देखी गई। WTI क्रूड की कीमत 7% से अधिक बढ़कर $61.81 प्रति बैरल पर पहुंच गई। अमेरिकी इन्वेंट्रीज़ में कमी और OPEC+ के उत्पादन को सीमित रखने के संकेतों ने तेल बाजार को मजबूती दी। कुल मिलाकर, NIFTY50 26,000 के ऊपर टिक नहीं पा रहा है, जिससे ऊपरी स्तर पर सप्लाई दबाव नजर आ रहा है। फिर भी, 25,450 के ऊपर बने रहने से बाजार की तेजी बनी रह सकती है। अगर इंडेक्स 26,250 के ऊपर मजबूती से बंद होता है तो नए रिकॉर्ड स्तरों की राह खुल सकती है, अन्यथा कंसोलिडेशन जारी रह सकता है। फिलहाल बाजार अपने हालिया लाभों को समेट कर अगले कदम की तैयारी में है। यह तेजी भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की सोच में धीरे-धीरे बदलाव, मजबूत कॉरपोरेट आय और वैश्विक आर्थिक माहौल में सुधार का संकेत देती है
निवेशकों के लिए सतर्कता जरूरी है क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव भी बना रहेगा