भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक SENSEX और NIFTY50 ने पिछले साल सितंबर के रिकॉर्ड उच्च स्तरों से महज कुछ महीनों में 4.51% और 4.22% की गिरावट दर्ज की है। SENSEX ने 27 सितंबर 2024 को 85,978.25 के रिकॉर्ड स्तर को छुआ था, वहीं NIFTY50 ने 26,277.35 का उच्चतम स्तर हासिल किया था। हालांकि, 2025 की शुरुआत में ये दोनों सूचकांक लगातार सकारात्मक रिटर्न दे रहे थे, लेकिन इस वर्ष यह पहली बार हुआ है जब ये मार्केट इंडेक्स निवेशकों को नुकसान दे रहे हैं। इस गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा अक्टूबर 2024 से निरंतर बिकवाली ने निवेशकों के मनोबल को कमजोर किया। भारतीय स्टॉक्स की ऊँची वैल्यूएशन्स ने भी निवेशकों को बेचने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर कड़े नियमों का प्रभाव, भारत की कंपनियों के कमजोर क्वार्टरली नतीजे और अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात पर बढ़े हुए टैरिफ ने भी शेयर बाजार की धारणा को प्रभावित किया। इन आर्थिक कारणों के साथ-साथ वैश्विक राजनीतिक तनाव जैसे Israel-Hamas संघर्ष और Russia-Ukraine युद्ध का भी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा है। NIFTY 500 इंडेक्स में शामिल कई स्टॉक्स ने इस गिरावट के दौर में बाजार से कहीं अधिक खराब प्रदर्शन किया है। इन स्टॉक्स में प्रमुख नाम हैं Sterling and Wilson Renewable Energy, Tejas Networks, HFCL, Praj Industries और IndusInd Bank
Sterling and Wilson Renewable Energy के शेयर पिछले सितंबर के ₹685 के स्तर से 61% गिरकर काफी नीचे आ गए हैं। कंपनी की महंगी वैल्यूएशन, गवर्नेंस से जुड़ी चिंताएं और अस्थिर प्रदर्शन ने निवेशकों को निराश किया है। पी/ई रेशियो 55x से ऊपर होने के कारण, कंपनी के मामूली घाटे या कमजोर गाइडेंस पर भी शेयर में तेज गिरावट आई। साथ ही, कंपनी के अमेरिकी सहायक कंपनी के $55 मिलियन के दावे का निपटारा भी असफल रहा है, जिससे जोखिम और बढ़ गया है। Telecom उपकरण निर्माता Tejas Networks के शेयर भी पिछले एक साल में 53% से अधिक गिरकर लगभग ₹590 पर आ गए हैं। BSNL के 4G रोलआउट से जुड़े आदेशों और शिपमेंट में देरी के कारण इस कंपनी के वित्तीय परिणाम प्रभावित हुए हैं। जून 2025 तिमाही में कंपनी ने ₹193.87 करोड़ का समेकित घाटा दर्ज किया, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में ₹77.48 करोड़ का मुनाफा था। राजस्व में भी भारी गिरावट देखी गई है, जो लगभग 87% कम होकर ₹202 करोड़ रह गया। HFCL के शेयर भी पिछले एक साल में 52% गिरकर ₹72 के स्तर पर पहुंच गए हैं। कंपनी ने लगातार दो तिमाहियों में घाटा दर्ज किया है
मार्च तिमाही में ₹83 करोड़ और जून तिमाही में ₹32.24 करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि पिछले साल इसी दौरान ₹111.30 करोड़ का लाभ था। इस दौरान कंपनी के टेलीकॉम उत्पादों की बिक्री में 18.76% की गिरावट आई है। Pune आधारित बायोएनर्जी कंपनी Praj Industries के शेयर भी पिछले वर्ष सितंबर से 51% गिर गए हैं। कंपनी की लाभप्रदता में भारी कमी आई है और जून 2025 तिमाही में इसका नेट प्रॉफिट मात्र ₹5 करोड़ रहा, जो पिछले साल ₹84 करोड़ था। राजस्व भी 8% गिरकर ₹640 करोड़ रह गया है, जबकि ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में भी 830 बेसिस पॉइंट की कमी आई है। इंडसइंड बैंक, जो देश का अग्रणी प्राइवेट सेक्टर बैंक है, ने भी पिछले एक साल में 49% की गिरावट झेली है। बैंक में कॉरपोरेट गवर्नेंस और अकाउंटिंग में गड़बड़ी की खबरों के बाद इसके CEO और MD Sumant Kathpalia ने अप्रैल 2025 में इस्तीफा दे दिया। मार्च 2025 में बैंक ने अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में कुछ विसंगतियों का खुलासा किया था, जिससे बैंक की नेट वर्थ पर लगभग 2.35% का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन सभी कारणों से भारतीय शेयर बाजार में निरंतर बिकवाली का माहौल बना हुआ है और निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है। विदेशी निवेशकों के बाहर निकलने, कमजोर कॉरपोरेट प्रदर्शन, वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता और घरेलू आर्थिक चुनौतियों ने मिलकर 2025 में बाजार को पहली बार नुकसान में धकेल दिया है
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक वैश्विक और घरेलू स्तर पर स्पष्ट सुधार नहीं आता, तब तक बाजार में अस्थिरता और गिरावट बनी रह सकती है। निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने और बाजार की चाल को समझकर ही निवेश के निर्णय लेने की सलाह दी जा रही है