Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने हाल ही में Index Derivatives में Brokers के exposure को लेकर एक महत्वपूर्ण समीक्षा शुरू की है। इसका मकसद है Market Risk को कम करना और अत्यधिक concentration को रोकना, जो कि वर्तमान Uniform Limit System में मौजूद खामियों के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। वर्तमान प्रणाली में Brokers की exposure को Notional Basis पर ट्रैक किया जाता है, जहाँ Limits का निर्धारण Net Long या Net Short Positions में से अधिकतम की गई Value के आधार पर होता है। लेकिन, इस तरीके के कारण Nifty, Sensex और Bank Nifty Index जैसे लोकप्रिय Index Options में बार-बार Limit Breaches देखने को मिल रहे हैं। इस साल की शुरुआत में SEBI ने भी कई उल्लंघनों की जानकारी दी थी, जिससे यह साफ हुआ कि मौजूदा Framework में सुधार की जरूरत है। अब SEBI एक Slab-Based Framework लागू करने पर विचार कर रहा है, जो Delta-Adjusted Measurements के आधार पर होगा। Delta-Adjusted Limits का मतलब है कि Options की Sensitivity को underlying Asset की Price Changes के हिसाब से मापा जाएगा, जिससे Risk Exposure का सही आकलन संभव होगा। नई व्यवस्था के तहत Broker Position Limits Index के आकार और पिछले Quarter की Average Daily Delta-Adjusted Open Interest के आधार पर तय किए जाएंगे। उदाहरण के तौर पर, अगर Index Open Interest ₹10,000 करोड़ से कम होगी, तो Limit ₹2,000 करोड़ तक होगी। Open Interest ₹10,000 करोड़ से ₹30,000 करोड़ के बीच रहने पर Limit ₹6,000 करोड़ तक बढ़ सकती है
इसी तरह ₹50,000 करोड़ तक Open Interest पर Limit ₹10,000 करोड़ होगी और ₹50,000 करोड़ से ऊपर Open Interest पर Limit ₹12,000 करोड़ तक तय की जा सकती है। यह Threshold हर Quarter Market Activity के अनुसार अपडेट होती रहेगी। Market Experts का मानना है कि यह नया सिस्टम Market Participants के लिए अधिक Predictability देगा और छोटे Indices में Concentrated Positions के कारण उत्पन्न जोखिमों को सीमित करेगा। एक सूत्र ने बताया कि SEBI की यह चिंता मई में हुए Breaches की वजह से है, जिनसे Notional-Based Monitoring की कमजोरियां सामने आईं। SEBI ने आश्वस्त किया है कि Brokers को Delta-Adjusted Limits या Proposed Hard Caps से अधिक Limits दी जाएंगी ताकि Trading में पर्याप्त Flexibility बनी रहे, लेकिन साथ ही सुरक्षा भी मजबूत हो। Client Level पर तो SEBI ने मई 2025 में Position Limit Calculation को Delta-Adjusted या Futures Equivalent (FutEq) Method पर शिफ्ट कर दिया है। इस विधि में Long और Short Positions को Delta Equivalents में बदला जाता है और Market-Wide Delta Open Interest से तुलना की जाती है। मगर Brokers पर अभी भी Notional Limits लागू हैं, जिससे Risk Monitoring में असंगतियां बनी हुई हैं। उद्योग के कई प्रतिभागी SEBI से मांग कर रहे हैं कि Broker-Level Rules को भी Client-Level Practices के अनुरूप बनाया जाए। Delta-Based Model अपनाकर SEBI का लक्ष्य है Market Risk को बेहतर ढंग से समझना और पूरे सिस्टम में एकरूपता लाना
पिछले साल अक्टूबर में SEBI ने Broker Position Limits ₹500 करोड़ या Market Open Interest के 15% (जो भी अधिक हो) से बढ़ाकर ₹7,500 करोड़ या 15% Open Interest कर दिया था। साथ ही Monitoring की जिम्मेदारी Clearing Corporations से Stock Exchanges को सौंप दी गई। हालांकि, Breaches पर लगाई जाने वाली Penalties को कुछ हद तक कम कर दिया गया है। लेकिन SEBI ने संकेत दिया है कि यदि उल्लंघन जारी रहे तो कड़े कदम उठाए जाएंगे। SEBI का यह Slab-Based, Delta-Adjusted Framework Derivatives Market में Risk Management को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। Uniform Limits की जगह Size-Based Caps से ना केवल Consistency बढ़ेगी, बल्कि Excessive Exposure को भी रोका जा सकेगा। साथ ही Broker-Level Monitoring को आधुनिक Risk-Assessment Practices के अनुसार ढाला जाएगा, जो बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। इस बदलाव से Index Derivatives Segment में Market Risk का बेहतर नियंत्रण संभव होगा और Brokers की Limit Breaches की घटनाएं कम होंगी, जिससे पूरे Derivatives बाजार की स्थिरता और विश्वसनीयता में सुधार होगा