Golden Tobacco Limited में फंड डाइवर्जन का Sebi का बड़ा खुलासा, Sanjay Dalmia पर 2 साल के लिए बाजार प्रवेश प्रतिबंधित

Saurabh
By Saurabh

Securities and Exchange Board of India (Sebi) ने Golden Tobacco Limited (GTL) के खिलाफ एक नई कड़ी कार्रवाई करते हुए फंड डाइवर्जन और वित्तीय विवरणों में गलतबयानी के आरोप लगाए हैं। शुक्रवार को जारी आदेश में Sebi ने इस मामले की लंबी जांच के बाद Sanjay Dalmia, जो GTL के प्रमोटर हैं, को securities market में 2 साल के लिए प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही उन पर Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices (PFUTP) Regulations और Listing Obligations and Disclosure Requirements (LODR) Regulations का उल्लंघन करने के कारण 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। Sebi ने Anurag Dalmia, जो कंपनी के एक अन्य प्रमोटर और डायरेक्टर हैं, को भी securities market में 1.5 साल के लिए बैन किया है और उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, Ashok Kumar Joshi, जो GTL के पूर्व डायरेक्टर रह चुके हैं, को भी 1 साल के लिए capital markets में प्रवेश से रोका गया है और उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आदेश के अनुसार, FY10 से FY15 के बीच GTL ने अपनी सहायक कंपनी GRIL को 175.17 करोड़ रुपये के लोन और एडवांस के रूप में ट्रांसफर किए थे, जिन्हें कंपनी ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में आउटस्टैंडिंग दिखाया था। Sebi ने आरोप लगाया है कि इनमें से केवल 36 करोड़ रुपये ही वापस लौटाए गए जबकि बाकी फंड GRIL से प्रमोटर से जुड़े अन्य entities को डायवर्ट कर दिए गए। Sebi ने यह भी पाया कि GTL के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स ने कंपनी की प्राइम लैंड एसेट्स से जुड़े समझौतों में shareholders को ठीक से जानकारी नहीं दी। इनमें तीसरे पक्ष के साथ जमीन की बिक्री या लीज पर लेन-देन के मामले शामिल थे, जो या तो कंपनी के हित में नहीं थे या जिनका स्टॉक एक्सचेंज में पारदर्शी खुलासा नहीं किया गया। Sebi के Quasi-Judicial Authority, N Murugan ने आदेश में कहा, “प्रमोटर entities के बीच जुड़े संबंधों को देखते हुए, वे इस फंड डाइवर्जन से लाभान्वित हुए हैं

” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि GTL या प्रमोटर-कनेक्टेड entities इस मामले में पक्षकार नहीं हैं, इसलिए उनके खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि डायवर्ट किए गए फंड को shareholders के नुकसान के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से उनके हितों के खिलाफ है। GTL, जो कभी Panama और Chancellor जैसे सिगरेट ब्रांड्स के लिए जाना जाता था, ने वर्षों में अपनी पहचान बदलकर मुख्य रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र में मुंबई और दिल्ली में महत्वपूर्ण संपत्तियों वाला कंपनी बन गया था। हालांकि, 2022 में National Company Law Tribunal, Ahmedabad ने GTL के खिलाफ Corporate Insolvency Resolution Process (CIRP) शुरू करने का आदेश दिया, जिससे कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में प्रवेश कर गई। Sebi ने इससे पहले भी अक्टूबर 2013 और फरवरी 2014 में Anurag Dalmia और Sanjay Dalmia समेत अन्य के खिलाफ आदेश जारी किए थे। यह मामला Sebi की उस कड़ी निगरानी को दर्शाता है जो वह कंपनियों के वित्तीय व्यवहार और disclosures के प्रति बनाए रखता है। फंड डाइवर्जन और गलत वित्तीय रिपोर्टिंग के खिलाफ Sebi के कदम से स्पष्ट होता है कि regulator ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई करता रहेगा, ताकि बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। Golden Tobacco Limited का यह केस न केवल प्रमोटर्स की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शेयरधारकों को सही और स्पष्ट जानकारी मिलना कितनी अहम होती है। इस कार्रवाई के बाद GTL के प्रमोटर्स और पूर्व डायरेक्टर्स के खिलाफ Sebi की सख्त कार्रवाई से भारतीय पूंजी बाजार में एक बार फिर नियमों के उल्लंघन पर zero tolerance की नीति स्पष्ट हुई है। इस मामले में Sebi ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए जो कदम उठाए हैं, वह आने वाले समय में अन्य कंपनियों को भी सतर्क रहने का संदेश देगा

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