Securities and Exchange Board of India (Sebi) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए Know Your Customer (KYC) प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। Sebi के अध्यक्ष Tuhin Kanta Pandey ने बताया कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत के वित्तीय बाजारों में निवेश को आसान और तेज बनाने के लिए Sebi विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर KYC नियमों को सुव्यवस्थित कर रहा है। उनका कहना है कि इस पहल से FPIs को भारतीय बाजार में प्रवेश करना और निवेश करना काफी सरल हो जाएगा, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को और बल मिलेगा। उन्होंने Indo-American Chamber of Commerce के एक आयोजन में यह बात कही और साथ ही बताया कि Sebi ने प्राइमरी मार्केट को गहरा और सुलभ बनाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। IPO (Initial Public Offering) की लिस्टिंग प्रक्रिया को तेज करते हुए इसे T+6 से घटाकर T+3 कार्यदिवस कर दिया गया है, जिससे कंपनियां तेजी से फंड जुटा सकेंगी और निवेशकों को जल्दी तरलता मिलेगी। इसके अलावा, Rights Issues को भी अब बोर्ड की मंजूरी से 23 कार्यदिवसों के भीतर पूरा करना होगा, जिससे फंडिंग की प्रक्रिया में देरी कम होगी। Sebi ने Minimum Public Offer के नियमों में भी बदलाव किया है। Securities Contracts (Regulation) Rules के तहत बड़े इश्यूअर्स को कम प्रारंभिक सार्वजनिक फ्लोट के साथ सूचीबद्ध होने की अनुमति दी गई है, और उन्हें 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता को पूरा करने के लिए अधिक समय मिलेगा। इस बदलाव से बड़ी कंपनियों को पूंजी बाजार तक पहुंचने में आसानी होगी। साथ ही, Anchor Investor Framework को भी मजबूत बनाया गया है
अब पहले के दो श्रेणियों को मिला कर एक ही आवंटन पूल बनाया गया है, जिसमें ₹250 करोड़ तक की राशि के लिए 15 अतिरिक्त निवेशकों को अनुमति मिलेगी। कुल एंकर आरक्षण 33% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है, जिसमें एक तिहाई हिस्सा घरेलू म्यूचुअल फंडों के लिए आरक्षित होगा और बाकी बीमा कंपनियों तथा पेंशन फंडों के लिए। यह परिवर्तन बड़े FPIs के लिए निवेश में भागीदारी को बढ़ावा देगा, विशेषकर वे जो कई फंड्स का प्रबंधन करते हैं। म्यूचुअल फंड सेक्टर में Sebi ने Mutual Funds Lite फ्रेमवर्क शुरू किया है, जो पासिवली मैनेज्ड स्कीमों की कॉम्प्लायंस को सरल बनाएगा और नवाचार को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, Specialized Investment Funds को भी लॉन्च किया गया है, जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज और म्यूचुअल फंड्स के बीच की खाई को पाटेंगे। Real Estate Investment Trusts (REITs) को अब म्यूचुअल फंड निवेश के लिए इक्विटी के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है, जिससे संस्थागत निवेशकों की संख्या बढ़ेगी। इसके साथ ही, Strategic Investor की परिभाषा को भी REITs और Infrastructure Investment Trusts के लिए विस्तारित किया गया है। Alternative Investment Funds (AIFs) के लिए भी Sebi ने निवेश की न्यूनतम राशि कम कर दी है। Large Value Funds में निवेश की न्यूनतम राशि ₹70 करोड़ से घटाकर ₹25 करोड़ कर दी गई है। Category I और II AIFs अब Co-Investment Vehicles भी स्थापित कर सकते हैं, जो मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए सह-निवेश की सुविधा प्रदान करेगा
विदेशी निवेशकों के लिए Sebi ने SWAGAT–FIs फ्रेमवर्क भी लॉन्च किया है, जो योग्य FPIs को Single-window access, कम दस्तावेजीकरण और सरल कॉम्प्लायंस प्रदान करता है। केवल सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले FPIs अब कुछ डिस्क्लोजर और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं से मुक्त रहेंगे। onboarding प्रक्रिया को और भी सहज बनाने के लिए Sebi ने Registration प्रक्रिया के लिए Simplified Forms, Standard Operating Procedure और एक Tracker Portal भी शुरू किया है, जिससे आवेदनकर्ता अपने रजिस्ट्रेशन की स्थिति रियल टाइम में देख सकेंगे। इसके अलावा, एक समर्पित FPI Outreach Cell की स्थापना की गई है, और India Market Access Portal के माध्यम से FPIs को एकीकृत जानकारी और नियम प्रक्रियाओं की सुविधा दी गई है। Pandey ने भारत की मजबूत आर्थिक प्रगति पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में भारत की तिमाही GDP वृद्धि औसतन 7.8% रही है, जो देश को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है और निकट भविष्य में शीर्ष तीन में शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने सरकार द्वारा चलाई गई कई सुधारों जैसे GST में सरलता, New Income Tax Act, 2025, National Single Window System Portal की शुरुआत और अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने को आर्थिक विकास के प्रमुख कारण बताया। इन सुधारों ने निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया है, लागत को कम किया है और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा दिया है। इन सभी उपायों के माध्यम से Sebi न केवल निवेशकों का विश्वास मजबूत कर रहा है बल्कि घरेलू उपभोक्ता मांग और पूंजी निर्माण को भी तेज कर रहा है, जिससे भारतीय पूंजी बाजार की मजबूती और वैश्विक निवेश आकर्षण में वृद्धि हो रही है। Sebi की यह पहल भारतीय वित्तीय प्रणाली को और अधिक समावेशी, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है