2024 में India-US Trade Deal से पहले RBI की Rate Cut से Markets में आ सकता है जबरदस्त उछाल! Ashwini Shami, जो कि OmniScience Capital के सह-संस्थापक और पोर्टफोलियो मैनेजर हैं, ने हाल ही में India-US trade deal और भारतीय शेयर बाजार की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की हैं। उनका मानना है कि भारत-अमेरिका के बीच पहला चरण वाला व्यापार समझौता नवंबर तक ही संभव है, इसलिए इस समझौते से निकट भविष्य में किसी भी तरह की राहत रैली की उम्मीद कम ही है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार समझौते से ज्यादा महत्वपूर्ण कारक हो सकता है अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) द्वारा ब्याज दरों में कटौती, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के भारत में निवेश को बढ़ावा दे सकता है और बाजार को ऊपर ले जा सकता है। Ashwini Shami ने FY26 के दौरान RBI की मौद्रिक नीति पर भी अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में RBI के कई 25 बेसिस पॉइंट्स (bps) की दर कटौती की गुंजाइश है, जो आर्थिक विकास और कॉर्पोरेट कमाई दोनों के लिए सहायक साबित होगी। उनके अनुसार, मुद्रास्फीति के स्थिर और कम स्तर को देखते हुए, RBI के लिए कई बार ब्याज दरों में कटौती करना संभव है, जिससे बाजार में स्थिरता और तेजी आएगी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मुद्दों को सुलझाने की मजबूत इच्छा है, लेकिन यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और कई चरणों में पूरी होगी। भारत ने पहले ही UK, EFTA, UAE, Mauritius और Australia जैसे देशों के साथ व्यापार समझौते या बातचीत पूरी कर रखी है, जो अमेरिका के साथ बातचीत में भारत को अतिरिक्त ताकत दे सकती है। जहां तक बाजार की मौजूदा स्थिति की बात है, Ashwini ने कहा कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बाद घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की मजबूत खरीददारी देखने को मिली है। यदि विदेशी निवेशक भी अपनी बिकवाली रोकते हैं, जैसा कि मार्च से जून के बीच हुआ था, तो यह बाजार के लिए सकारात्मक सिग्नल होगा
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना FII निवेश को प्रेरित कर सकती है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में तेजी आ सकती है। सरकार की मौजूदा नीतियों और आर्थिक सुधारों को लेकर Ashwini ने कहा कि ये दीर्घकालिक रणनीतिक प्रयास हैं, जो भारत को आने वाले दशकों में उच्च विकास दर की ओर ले जाएंगे। विशेष रूप से बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश और “sunrise” तथा निर्यात-उन्मुख सेक्टर्स को समर्थन देना, स्थायी विकास की मजबूत नींव रख रहा है। साथ ही, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के कारण कम मुद्रास्फीति और कम ब्याज दर का वातावरण बना है, जो उपभोग को बढ़ावा देगा। टैक्स राहत और GST में सुधार भी इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। जब FY26 में कॉर्पोरेट कमाई की संभावनाओं की बात आई, तो Ashwini ने Q1 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह संकेत है कि भारत की अर्थव्यवस्था उच्च विकास दर पर वापस लौट रही है। Q1 में सेवाएँ क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि सूचीबद्ध कंपनियों ने लगभग 6 प्रतिशत राजस्व और 9 प्रतिशत कमाई वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के मौसम, बढ़े हुए उपभोग, टैक्स कटौती और अनुकूल ब्याज दर माहौल के कारण FY26 में कमाई की वृद्धि दो अंकों में रहने की उम्मीद है। Ashwini ने कॉर्पोरेट उधारी के बढ़ने की दिशा में भी उत्साह व्यक्त किया। वे कहते हैं कि Consumer Discretionary, Industrials, और Utilities सेक्टर्स में उधारी काफी बढ़ रही है, जो निवेश और पूंजी व्यय (capex) में वृद्धि का संकेत है
उदाहरण के तौर पर, Industrials और Utilities सेक्टर्स का कुल कर्ज पिछले साल की तुलना में क्रमशः 27.6 प्रतिशत और 9.4 प्रतिशत बढ़ा है। इस बढ़ोतरी से यह संकेत मिलता है कि कॉर्पोरेट लेंडिंग FY26 की चौथी तिमाही से पहले ही बढ़ सकती है, खासतौर पर पूंजी-गहन उद्योगों में। कुल मिलाकर, Ashwini Shami का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था FY26 में मजबूत रूप से बढ़ेगी और बाजार में तेजी के लिए कई सकारात्मक कारक मौजूद हैं। हालांकि India-US trade deal से जल्दी कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन US Fed की दर कटौती और RBI की संभावित दरों में कमी से बाजार को अच्छी रफ्तार मिल सकती है। घरेलू निवेशकों की खरीदारी और सरकार की दीर्घकालिक नीतियां भी इस वृद्धि में सहायक रहेंगी। यह स्पष्ट है कि FY26 भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष होगा, जिसमें कई आर्थिक संकेतक और नीतिगत फैसले मिलकर बाजार की दिशा तय करेंगे। निवेशकों के लिए यह समय सतर्क रहकर संभावित अवसरों का लाभ उठाने का है