इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में भारी दबाव देखा गया, जिससे Nifty50 ने तीन हफ्तों की बढ़त का सिलसिला तोड़ दिया। बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा और Nifty50 में 672.35 अंक यानी करीब 2.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो इसे 24,654.70 के स्तर पर बंद कर गई। इसी तरह BSE Sensex भी 2199.77 अंक या 2.66 प्रतिशत टूटकर 80,426.46 पर आ गया। इस दौरान BSE के मिडकैप, लार्जकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स लगभग 3 से 4.5 प्रतिशत तक लुढ़क गए। इस सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने लगातार 13वें हफ्ते भी बाजार से बिकवाली जारी रखी और कुल मिलाकर 19,570.03 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 24वें हफ्ते लगातार खरीदारी जारी रखी और 17,411.40 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो FIIs ने कुल 30,141.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि DIIs ने 55,736.09 करोड़ रुपये की खरीदारी की। बाजार में दबाव के पीछे कई वजहें हैं। प्रमुख कारणों में अमेरिका द्वारा फार्मा सेक्टर पर नए टैरिफ लगाने का निर्णय, H1B वीजा शुल्क में वृद्धि, निरंतर जारी व्यापारिक चिंताएं और एफआईआई की बिकवाली प्रमुख हैं। खासतौर पर IT और Pharma सेक्टर में भारी गिरावट देखी गई
Nifty IT इंडेक्स में 8 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई, वहीं Nifty Pharma इंडेक्स भी 5.2 प्रतिशत नीचे आया। इसके अलावा Nifty Realty 6 प्रतिशत, Nifty Consumer Durables 4.6 प्रतिशत और Nifty Defence 4.4 प्रतिशत तक टूट गया। Kotak Securities के हेड इक्विटी रिसर्च, Shrikant Chouhan के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन द्वारा H1B वीजा नियमों को सख्त करने और फार्मा सेक्टर पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है। BSE IT इंडेक्स में 7 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं BSE हेल्थकेयर इंडेक्स में भी करीब 5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। ऑटो सेक्टर में हालांकि कुछ सकारात्मक खबरें सामने आईं, जहां त्योहारी सीजन के शुरुआती दिनों में अच्छी बुकिंग और डिलीवरी रिपोर्ट मिली। लेकिन वैश्विक बाजारों में जारी अनिश्चितता, खासकर अमेरिकी ट्रेड नीतियों को लेकर, बाजार में दबाव बनाए रखी। यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने भी सतर्क आर्थिक दृष्टिकोण जारी रखा, जो वैश्विक निवेशकों के मनोबल को प्रभावित करता रहा। स्मॉलकैप शेयरों में भी भारी गिरावट देखी गई। कुछ कंपनियों जैसे Shankara Building Products, Apollo Pipes, SML Isuzu, MIC Electronics, Prudent Corporate Advisory Services आदि के शेयर 70 प्रतिशत तक नीचे आ गए। वहीं Zuari Industries, TVS Electronics, Indo Thai Securities, OM Infra जैसे शेयर 20-30 प्रतिशत तक बढ़े, लेकिन ये बढ़त बाजार के व्यापक दबाव को कम नहीं कर पाई
बाजार विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार, Nifty50 ने 25,000 के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर को तोड़ दिया है, जिससे और गिरावट की संभावनाएं बढ़ गई हैं। Religare Broking के Ajit Mishra ने बताया कि भारी वेटेज वाले शेयरों में कमजोरी ने बाजार को गिरावट की ओर धकेला है और 200-दिन के EMA के आस-पास 24,400 का स्तर अगला अहम समर्थन होगा। HDFC Securities के सीनियर टेक्निकल रिसर्च एनालिस्ट Nagaraj Shetti ने कहा कि शुक्रवार को दैनिक चार्ट पर लंबी बेयरिश कैंडल बनी है, जो बाजार में और कमजोरी का संकेत देती है। Nifty की साप्ताहिक चार्ट पर भी तीन हफ्ते की तेजी के बाद अब गिरावट का सिलसिला तेज हो सकता है। उन्होंने 24,400 से 24,300 के स्तर को अगला मजबूत समर्थन बताया है। LKP Securities के Rupak De ने भी बताया कि Nifty ने 25,000 के स्तर के नीचे ब्रेकडाउन किया है और 24,550-24,500 का जोन महत्वपूर्ण समर्थन है। अगर यह भी टूटता है तो गिरावट 24,150 तक जा सकती है, जो Fibonacci retracement का स्तर भी है। वहीं, 24,500 के ऊपर बने रहने पर रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है। Kotak Securities के VP Technical Research Amol Athawale ने कहा कि तकनीकी दृष्टि से Nifty ने साप्ताहिक चार्ट पर लंबी बेयरिश कैंडल बनाई है और इंट्राडे चार्ट पर भी निचला टॉप फॉर्मेशन बना है, जो और गिरावट का संकेत है। हालांकि, ओवरसोल्ड कंडीशंस की वजह से कुछ पलटाव देखने को मिल सकता है
उन्होंने 24,800 के स्तर को महत्वपूर्ण बताया है, जहां से या तो बाजार रिकवरी कर सकता है या नीचे की ओर गिरावट जारी रह सकती है। Bank Nifty की बात करें तो 20-दिन की SMA 54,750 का स्तर अहम है। इसके नीचे गिरावट 54,000-53,800 तक जा सकती है। अगर यह ऊपर बना रहता है तो 50-दिन की SMA 55,300-55,500 तक उछाल संभव है। विशेषज्ञों ने निवेशकों और ट्रेडर्स को सतर्क रहने और मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है, क्योंकि बाजार में अभी अस्थिरता बनी हुई है। इस सप्ताह के संकट और नकारात्मकता के बीच, बाजार में सुधार की उम्मीद फिलहाल सीमित है। विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली और वैश्विक व्यापार नीतियों की अनिश्चितता ने बाजार की तेजी को रोक दिया है। निवेशकों को फिलहाल बाजार के तकनीकी स्तरों पर नजर रखकर ही आगे की रणनीति बनानी चाहिए