निफ्टी अगले सम्वत में 29,000 से 30,000 के दायरे में पहुंच सकता है, यह दावा किया है Carnelian Asset Management and Advisors के Founder और CIO Vikas Khemani ने। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि नए सम्वत में बाजार के लिए सबसे बड़ा सरप्राइज हो सकता है विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का भारी प्रवाह। उनका मानना है कि अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed) ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इसका फायदा उभरते बाजारों को मिलेगा और इस लिस्ट में भारत सबसे बड़ा लाभार्थी होगा। विकास खेमानी के मुताबिक, पिछले चार सालों में IT सेक्टर का वैल्यूएशन काफी नीचे गिरा है, लेकिन अब यह सेक्टर निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने बताया कि इस सेक्टर में AI को लेकर चिंता, IT खर्च में गिरावट, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की धीमी गति और H-1B वीजा की पाबंदियां जैसी नकारात्मकताओं का प्रभाव कीमतों में पहले ही समा चुका है। इसलिए, IT कंपनियों में अब निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है। TCS, HCL Tech, LTI Mindtree जैसी बड़ी कंपनियों ने हाल ही में उम्मीद से बेहतर नतीजे पेश किए हैं, जो इस बात का संकेत है कि इस सेक्टर में सुधार की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि नए सम्वत में भारतीय बाजार में करीब 15% तक की वापसी हो सकती है। इस उम्मीद को बढ़ावा देने वाले कई कारक हैं जैसे कि दरों में कटौती, तरलता का समर्थन, कर लाभ और बढ़ती सरकारी खर्च। साथ ही, कम मुद्रास्फीति, स्थिर ब्याज दरें और बेहतर वित्तीय अनुशासन भी बाजार के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं
खेमानी का मानना है कि भारत की ग्रोथ स्टोरी अभी भी मजबूत है और जब कंपनियों के नतीजे बेहतर होंगे तो बाजार में और तेजी आ सकती है। उन्होंने कुछ सेक्टर्स को दिवाली की पटाखों से जोड़कर समझाया। उनके अनुसार, consumer discretionary और auto सेक्टर में खूब चकाचौंध देखने को मिलेगी, वहीं बैंकिंग क्षेत्र के प्राइवेट और पब्लिक दोनों हिस्से में भी अच्छी चमक होगी। फार्मा और CDMO सेक्टर भी तेज़ी के साथ आगे बढ़ेंगे। manufacturing से जुड़े कुछ स्टॉक्स, जिन्हें टैरिफ प्रतिबंधों का नुकसान हुआ था, वे अमेरिकी डील्स के पूरा होने पर रॉकेट की तरह उछाल सकते हैं। वैश्विक परिदृश्य पर बात करते हुए खेमानी ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच जारी अस्थिरता बनी रहेगी। “Trump factor” की वजह से वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। ट्रंप की व्यापार, टैरिफ, इमीग्रेशन और विदेश नीति से जुड़ी घोषणाएं बाजारों, कमोडिटी और करेंसीज में अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। हालांकि अब उनके प्रभाव की संवेदनशीलता पहले से कम हो चुकी है, लेकिन अनिश्चितताएं बनी रहेंगी। नए सम्वत में IT सेक्टर को लेकर उनका कॉन्ट्रेरियन दृष्टिकोण भी ध्यान देने योग्य है
उन्होंने कहा कि IT सेक्टर में जो निराशा रही है, वह अब समाप्त हो रही है। मुनाफे की मार्जिन अच्छी बनी हुई है और बड़ी कंपनियां उचित वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रही हैं। इस सेक्टर में निवेशकों के लिए अब अच्छा मौका है क्योंकि कमजोर दौर में ही दीर्घकालिक निवेशकों के लिए बेहतर अवसर आते हैं। आर्थिक वृद्धि और आय में सुधार की उम्मीद भी इस नए सम्वत के लिए उज्जवल है। बढ़ती पूंजीगत व्यय (capex), सरकारी खर्च, उपभोक्ता मांग और घरेलू बाजार की मजबूती इसे संभव बनाएंगी। मुद्रास्फीति में कमी और मजबूत कॉर्पोरेट फंडामेंटल्स के कारण सम्वत 2082 में आधारभूत सुधार देखा जा सकता है। सबसे बड़ा सरप्राइज FII फ्लो में हो सकता है। अगर Fed रेट कट करता है, तो विदेशी निवेशकों का पैसा भारत सहित उभरते बाजारों की तरफ आकर्षित होगा। यह परिवर्तन बाजार को फिर से रेटिंग अपग्रेड करने में मदद कर सकता है। बाजार के सामने चुनौतियां भी हैं
अमेरिका के बाजार अब इतिहास के उच्चतम स्तर पर हैं, वहीं वहां मुद्रास्फीति अभी भी उच्च स्तर पर है, जिससे अमेरिकी आर्थिक विकास में जोखिम बना हुआ है। इसके अलावा भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी नीतियों की अनिश्चितता, ब्याज दर में उतार-चढ़ाव, कमोडिटी की कीमतों में तेजी या गिरावट और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में धीमी गति जैसे कारक भी बाजार के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। कुल मिलाकर, Vikas Khemani का मानना है कि अगले सम्वत में भारतीय बाजार में मजबूती देखने को मिलेगी और निवेशकों के लिए कई नए अवसर खुलेंगे। विदेशी निवेशकों का बढ़ता रुझान, IT सेक्टर की वापसी, और मजबूत आर्थिक आधार से बाजार की दिशा सकारात्मक बनी रहेगी। इसलिए, सम्वत 2082 में निवेशकों की नजर भारत के शेयर बाजार पर टिकी रहेगी, जहां निफ्टी 30,000 के स्तर को छू सकता है