Nifty 50 ने बनाई नई उम्मीदें, 25000 के स्तर को छूने का संकेत, जानिए इस सप्ताह मार्केट का हाल

Saurabh
By Saurabh

इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार ने पिछले कुछ सत्रों की कमजोरी को पीछे छोड़ते हुए मजबूती का परिचय दिया। BSE Sensex ने 901.11 अंकों की तेजी के साथ 80,710.76 के स्तर पर बंद किया, जबकि Nifty50 ने 314.15 अंकों की बढ़त के साथ 24,741 के करीब कारोबार समाप्त किया। बाजार में यह तेजी मुख्य रूप से सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों, GST दरों में कटौती और वैश्विक बाजारों के अनुकूल मूड से प्रेरित रही। विशाल निवेशकों की बात करें तो विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने लगातार दसवें सप्ताह बिक्री जारी रखी और कुल 5,666.90 करोड़ रुपये के शेयरों को बेच दिया। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने खरीदी के सिलसिले को 21वें सप्ताह भी जारी रखा और 13,444.09 करोड़ रुपये के शेयरों में निवेश किया। यह घरेलू निवेशकों की मजबूत रुचि को दर्शाता है जो बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सहायक रही। सेक्टोरल प्रदर्शन में BSE Metal index ने लगभग 6 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल दिखाई, जबकि BSE Auto index 5.2 प्रतिशत और BSE Consumer Discretionary index 3.6 प्रतिशत ऊपर गया। इसके विपरीत, BSE Information Technology index 1 प्रतिशत नीचे रहा। IT सेक्टर पर दबाव की वजह आर्थिक अनिश्चितता, उच्च ब्याज दरें और वैश्विक राजनीतिक तनाव बताये जा रहे हैं जिनसे उपभोक्ता खर्च में कमी का खतरा है। वहीं, ऑटो और FMCG जैसे उपभोक्ता-केंद्रित सेक्टर्स में GST कटौती को लेकर उम्मीदें बनी हुईं हैं कि इससे घरेलू मांग में सुधार होगा

वैश्विक स्तर पर जर्मनी और फ्रांस के 30-वर्षीय बॉन्ड यील्ड्स में तेज बढ़ोतरी ने निवेशकों की सतर्कता बढ़ाई है। यूरोज़ोन के बढ़ते कर्ज और वित्तीय असंतुलन ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है। इसी कारण घरेलू मुद्रा रुपया डॉलर के मुकाबले नई निचली सीमा पर पहुंच गया। इस बीच, सुरक्षित संपत्ति की मांग ने सोने की कीमतों को भी रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में बाजार का रुख मिश्रित रह सकता है। GST राहत, मजबूत घरेलू खपत और सरकारी खर्च बढ़ने से जुड़े सेक्टर्स को फायदा होगा, लेकिन वैश्विक व्यापार वार्ता की अनिश्चितता जोखिम को सीमित कर सकती है। निवेशकों की नजर आगामी अमेरिकी रोजगार रिपोर्ट पर टिकी है जो फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति के लिए महत्वपूर्ण संकेत दे सकती है। इसके अलावा अमेरिका के Nonfarm Payrolls, बेरोजगारी दर, मुद्रास्फीति के आंकड़े और यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) के फैसले भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। तकनीकी विश्लेषण की बात करें तो HDFC Securities के Nagaraj Shetti ने बताया कि Nifty ने दो दिन की गिरावट के बाद तेजी की ओर रुख किया है। 60 मिनट के इंट्राडे चार्ट पर उच्चतम और निम्नतम स्तरों में सुधार दिख रहा है

Nifty ने 24,600 के समर्थन स्तर से मजबूती हासिल की है और अगले सप्ताह 25,000 के महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तर को पार करने की संभावना है। वहीं, 24,600 का स्तर अभी भी सपोर्ट के रूप में कायम रहेगा। Vinay Rajani, Senior Technical & Derivative Research Analyst, ने भी कहा कि Nifty ने 5, 10 और 20 DEMA के ऊपर कारोबार करके शॉर्ट-टर्म ट्रेंड को बुलिश मोड में ला दिया है। 25,000 के ऊपर क्लोजिंग बुलिश रिवर्सल की पुष्टि करेगी और इससे इंडेक्स में शॉर्ट कवरिंग बढ़ सकती है। दूसरी ओर, 24,500 का स्तर सपोर्ट के रूप में काम करेगा। Kotak Securities के Amol Athawale के अनुसार, 24,500/80,400 का क्षेत्र शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स के लिए मजबूत सपोर्ट जोन है। बाजार इसी स्तर के ऊपर बने रहने पर तेजी के संकेत देगा। 50-दिन के SMA या 25,000/82,000 का स्तर महत्वपूर्ण रेसिस्टेंस के रूप में देखा जा रहा है। यदि इस स्तर को पार किया गया, तो बाजार 25,200/82,600 तक बढ़ सकता है। लेकिन यदि 24,500/80,400 से नीचे गिरावट आई तो 24,350/79,900 तक गिरने की संभावना है, और इससे आगे 200-दिन के SMA या 24,100/79,400 तक भी नीचे आ सकता है

इस सप्ताह BSE Small-cap index ने भी 2.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की, जिसमें Netweb Technologies India, One Mobikwik Systems, Jai Corp, Hemisphere Properties India, Vimta Labs, Atul Auto, Gujarat Mineral Development Corporation, Rategain Travel Technologies और Zydus Wellness जैसे शेयरों में 20 से 39 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली। यह संकेत है कि छोटे और मझोले कंपनियों में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है। कुल मिलाकर यह सप्ताह भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक साबित हुआ। हालांकि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक माहौल में अनिश्चितता अभी बनी हुई है, घरेलू आर्थिक सुधार और नीतिगत सहूलियतों ने निवेशकों का मनोबल बढ़ाया है। आने वाले सप्ताह में बाजार की चाल मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक संकेतकों और घरेलू नीतिगत फैसलों पर निर्भर करेगी। निवेशकों के लिए सतर्कता के साथ-साथ अवसरों की तलाश भी जारी रहने की संभावना है

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