भारत का प्रमुख शेयर बाजार सूचकांक Nifty 50 ने एक महत्वपूर्ण मोड़ पार कर लिया है। पहली बार लगभग सात साल बाद, Nifty 50 का एक साल आगे के अनुमानित लाभ (one-year forward earnings) के आधार पर मूल्यांकन MSCI India Index से अधिक हो गया है। Bloomberg के आंकड़ों के अनुसार, Nifty 50 अब 22.77 गुना फॉरवर्ड ईपीएस (Earnings Per Share) पर ट्रेड कर रहा है, जबकि MSCI India Index का यह मल्टीपल 21.83 गुना है। इस बदलाव ने बाजार की दिशा और निवेशकों के नजरिए में आए बदलाव को साफ़ तौर पर दिखाया है, खासकर तब जब 2025 में Nifty ने 3.8% की बढ़त दर्ज की है, जो MSCI India के 2.4% के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन है। यह बदलाव 2024 में हुए इंडेक्स रीसफ्लफ (index reshuffle) के बाद आया है। इस साल मार्च में Eternal और Jio Financial Services को Nifty 50 में शामिल किया गया, जिन्होंने BPCL और Britannia की जगह ली। वहीं सितंबर में Trent और Bharat Electronics ने Divi’s Laboratories और LTIMindtree की जगह ली। इन नए शामिल किए गए स्टॉक्स की परफॉर्मेंस ने Nifty की कुल वैल्यूएशन प्रोफ़ाइल को काफी ऊंचा कर दिया है। उदाहरण के तौर पर, Eternal ने Nifty में शामिल होने के बाद लगभग 72% की तेजी दिखाई है और यह अब 362 गुना फॉरवर्ड ईपीएस पर ट्रेड कर रहा है। Trent ने 34% की बढ़त के साथ 92 गुना वैल्यूएशन हासिल किया है, जबकि Bharat Electronics 83% ऊपर है और 46 गुना पर ट्रेड करता है
Jio Financial Services भले ही 12% नीचे आया हो, लेकिन इसका मल्टीपल अभी भी लगभग 92 गुना है। इसके विपरीत, इंडेक्स से बाहर हुए स्टॉक्स की वैल्यूएशन काफी कम थी। BPCL का मल्टीपल मात्र 8 था, Britannia का 46, Divi’s Laboratories का 60 और LTIMindtree का 28 गुना था। इनके अलावा InterGlobe Aviation (26x) और Max Healthcare Institute (62x) जैसे हाल के प्रवेशकों ने भी Nifty के औसत मल्टीपल को ऊंचा करने में योगदान दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि ग्रोथ फोकस्ड और डिजिटल इकोनॉमी से जुड़े कंपनियों का शामिल होना Nifty 50 की मौजूदा स्थिति को पूरी तरह से बदल रहा है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों की रुचि उन कंपनियों में अधिक है जो दीर्घकालिक विकास और उपभोग थीम के अनुरूप हैं। इसमें निवेशकों की प्राथमिकता उन स्टॉक्स पर है जिनकी स्ट्रक्चरल ग्रोथ की संभावना अधिक है, भले ही वे प्रीमियम वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हों। यह इस बात का संकेत भी है कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर निवेशकों में भरोसा बना हुआ है, हालांकि इसके साथ ही जोखिम भी है कि वैल्यूएशन्स लाभों से आगे निकल सकते हैं। MSCI India Index, जो लगभग 158 बड़े और मिडकैप स्टॉक्स का प्रतिनिधित्व करता है, वैश्विक फंड्स, सरकारी निवेशकों और पैसिव ईटीएफ के लिए एक प्रमुख मानक बना हुआ है। सामान्यतः MSCI की वैल्यूएशन Nifty से अधिक होती है, क्योंकि इसमें मिडकैप कंपनियों का हिस्सा भी होता है
लेकिन इस बार Nifty ने MSCI को पीछे छोड़ते हुए यह दिखा दिया है कि इंडेक्स में शामिल होने वाले नए हाई-प्राइस्ड स्टॉक्स की वजह से इसका प्रोफ़ाइल कितना बदल गया है। विश्लेषकों ने इस प्रीमियम वैल्यूएशन को लेकर सतर्क भी किया है। उन्होंने कहा है कि यह निवेशकों के आत्मविश्वास को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी संकेत देता है कि वैल्यूएशन्स थोड़ी अधिक खिंची हुई हैं। इस स्तर का समर्थन करने के लिए कंपनियों के मुनाफे में महत्वपूर्ण वृद्धि जरूरी होगी। इसलिए निवेशकों को चयनात्मक रहना चाहिए और फंडामेंटल्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत के इक्विटी बाजार एक नए मोड़ पर हैं, जहां Nifty ने MSCI India Index को पहली बार 2017 के बाद पीछे छोड़ दिया है। यह बदलाव मुख्य रूप से उन हाई-ग्रोथ बिजनेस के कारण हुआ है, जिन्होंने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है लेकिन साथ ही बाजार की वैल्यूएशन्स को भी ऊंचा कर दिया है। अब इस प्रीमियम को बनाए रखना और निवेशकों का विश्वास कायम रखना कंपनियों की सतत लाभ वृद्धि पर निर्भर करेगा। इस बदलाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय बाजार में निवेश के अवसर बढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही निवेशकों को सतर्कता भी बरतनी होगी ताकि वे ओवरवैल्यूएशन के जोखिम से बच सकें। आने वाले समय में Nifty 50 के प्रदर्शन पर नजर रखना जरूरी होगा क्योंकि यह संकेत देगा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ बाजार की उम्मीदें कितनी हकीकत में बदली हैं