शेयर बाजार ने तीसरे लगातार सप्ताह तगड़ा रैली जारी रखते हुए 19 सितंबर को समाप्त सप्ताह में करीब 0.9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। इस तेजी के पीछे घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की मजबूत खरीदारी, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली में कमी और 22 सितंबर से लागू होने वाली GST दरों में कटौती से जुड़ी उम्मीदें प्रमुख कारण रहीं। साथ ही, त्योहारों का सीजन और मौद्रिक नीति में संभावित छूट ने भी बाजार के निवेशकों के मनोबल को ऊंचा किया है। निफ्टी 50 ने 213 अंक की बढ़त के साथ 25,327 के स्तर को पार किया, जबकि बीएसई सेंसेक्स 722 अंक ऊपर 82,626 पर बंद हुआ। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने भी क्रमशः 1.5 और 2.86 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले सप्ताह में बाजार की निगाहें कई महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक घटनाओं पर टिकी रहेंगी। मुख्य रूप से US और India के बीच चल रही ट्रेड डील वार्ता, अमेरिकी GDP और Core PCE के आंकड़े, साथ ही सितंबर के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज PMI फ्लैश डेटा पर भी जोर रहेगा। इन संकेतों से यह साफ होगा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अगले कदम की नीति क्या होगी, जो वैश्विक बाजारों पर सीधे असर डालती है। Motilal Oswal Financial Services के Head of Research, Siddhartha Khemka ने कहा कि GST की दरों में कटौती और नवरात्रि पर्व की शुरुआत से घरेलू मांग में बढ़ोतरी होने की संभावना है, जो बाजार के लिए सकारात्मक रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि US फेड की हालिया दर कटौती और भारत-अमेरिका के व्यापार वार्तालापों में प्रगति के कारण निर्यात-उन्मुख सेक्टर्स को भी लाभ होगा
Geojit Investments के Head of Research, Vinod Nair ने बताया कि सितंबर के मैन्युफैक्चरिंग PMI आंकड़े औद्योगिक गतिविधियों की दिशा तय करेंगे। साथ ही, कमजोर पड़ता अमेरिकी डॉलर और मजबूत घरेलू आर्थिक आधार विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बने रहेंगे, जिससे FIIs के निवेश में सुधार की उम्मीद है। अमेरिका में 22 और 23 सितंबर को फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के भाषणों पर भी बाजार की नजर है। विशेष रूप से नए गवर्नर Stephen Miran का भाषण महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिन्होंने सितंबर की नीति बैठक में 50 बेसिस प्वाइंट कटौती का समर्थन किया था। वहीं, फेड चेयर Jerome Powell ने पिछले सम्मेलन में कहा था कि इस कटौती को व्यापक नीतिगत ढील की शुरुआत नहीं बल्कि जोखिम प्रबंधन का कदम माना जाना चाहिए। इस वजह से अमेरिकी डॉलर सूचकांक में थोड़ी मजबूती आई है और 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड भी 4.133 प्रतिशत तक बढ़ी है। अमेरिकी जून तिमाही के GDP, Core PCE कीमतें और उपभोक्ता खर्च के अंतिम आंकड़े भी बाजार की दिशा निर्धारित करेंगे। Kotak Securities की Kaynat Chainwala के अनुसार, यदि Core PCE उम्मीद के मुताबिक आए तो अक्टूबर और दिसंबर में दरों में कटौती की संभावना मजबूत होगी, अन्यथा नीतिगत ढील पर पुनर्विचार हो सकता है। दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों पर भी ध्यान रहेगा, जिनमें चीन के लोन प्राइम रेट्स, जापान के बैंक की मौद्रिक नीति बैठक की मिनट्स और प्रमुख देशों के PMI फ्लैश आंकड़े शामिल हैं। चीन की धीमी घरेलू मांग और आर्थिक सुस्ती के बीच उसके मौजूदा दरों को अपरिवर्तित रखने की उम्मीद है
भारत में HSBC के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज PMI के सितंबर के फ्लैश आंकड़े 23 सितंबर को जारी होंगे, जबकि 26 सितंबर को बैंक कर्ज और जमा वृद्धि के साथ विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े भी सामने आएंगे। ये आंकड़े घरेलू आर्थिक स्थिति की बेहतर समझ देंगे। विदेशी संस्थागत निवेशकों की हालिया गतिविधि पर नजर डालें तो उन्होंने पिछले सप्ताह ₹1,327.4 करोड़ के शेयर बेचे, जो पिछली कई हफ्तों की तुलना में कम है। कुल मिलाकर FIIs ने इस साल ₹10,572 करोड़ की बिकवाली की है। वहीं, DIIs ने इसके विपरीत मजबूत खरीदारी जारी रखी है, पिछले सप्ताह ₹11,177.4 करोड़ और इस महीने ₹38,324.7 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की है। Geojit Investments के VK Vijayakumar के अनुसार, विदेशी निवेशक अब भारत के मुकाबले हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे बाजारों में अधिक लाभ देख रहे हैं, हालांकि भविष्य में यह रुझान बदल सकता है। रुपया डॉलर के मुकाबले सप्ताह में 0.2 प्रतिशत मजबूत होकर 88.08 के स्तर पर पहुंचा, हालांकि यह अब भी 87.97 के नीचे है। IPO बाजार में भी जबरदस्त हलचल देखने को मिलेगी। अगले सप्ताह 28 IPOs लॉन्च होंगे जिनकी कुल कीमत लगभग ₹7,500 करोड़ के आसपास होगी। इनमें से 17 SME सेगमेंट के सार्वजनिक निर्गम होंगे, जबकि 11 कंपनियां मेनबोर्ड पर अपने IPO जारी करेंगी
प्रमुख कंपनियों में Atlanta Electricals, Ganesh Consumer Products, Jaro Education और Anand Rathi Share & Stock Brokers शामिल हैं। इसके अलावा iValue Infosolutions, Saatvik Green Energy और GK Energy के IPO भी बंद होंगे। नई कंपनियों की लिस्टिंग भी अगले सप्ताह शुरू होगी, जिससे बाजार में तरलता और निवेश के विकल्प बढ़ेंगे। तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, निफ्टी 50 ने पिछले सप्ताह की रैली के बाद मजबूत रूप से 25,150 के स्तर से ऊपर कारोबार करना शुरू कर दिया है। यदि यह स्तर बना रहता है तो अगले सप्ताह 25,500 से 25,700 तक की तेजी संभव है। हालांकि, इस स्तर से नीचे गिरावट से बाजार में बिकवाली बढ़ सकती है। विकल्प बाजार के आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि निफ्टी को 25,400-25,500 के बीच मजबूत रेसिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है, जबकि 25,300-25,200 का क्षेत्र समर्थन के रूप में काम करेगा। इंडिया VIX, जो कि बाजार की अनिश्चितता का पैमाना है, पिछले सप्ताह लगातार तीसरे हफ्ते गिरकर 9.97 पर आ गया है, जो एक सकारात्मक संकेत है कि निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव कम रहेंगे। कुल मिलाकर, घरेलू आर्थिक सुधार, उत्सव सीजन की मांग, विदेशी निवेशकों की मनोस्थिति में सुधार और वैश्विक आर्थिक संकेतकों की आड़ में भारतीय शेयर बाजार आगामी सप्ताह में सकारात्मक रुख बनाए रखने की पूरी संभावना है। निवेशक इन सभी घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए हैं ताकि बेहतर निवेश निर्णय ले सकें