FMCG Stocks में भारी गिरावट के बाद निवेशकों की चिंता बढ़ी, GST और मानसून ने बढ़ाई दबाव

Saurabh
By Saurabh

FMCG सेक्टर की कंपनियों के शेयरों ने 7 अक्टूबर को लगातार दूसरे कारोबारी दिन भी कमजोरी दिखाई, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है। यह गिरावट GST सुधारों के बाद आए तेज रैली के बाद आई है, जो निवेशकों के लिए एक चेतावनी संकेत माना जा रहा है। Nifty FMCG index मंगलवार को 0.53 प्रतिशत यानी लगभग 294 अंक गिरकर 54,763.85 पर बंद हुआ। पिछले दो सत्रों में यह इंडेक्स करीब 0.7 प्रतिशत या लगभग 407 अंकों की गिरावट दर्ज कर चुका है। इस गिरावट में Britannia Industries और Tata Consumer Products के शेयर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, दोनों के शेयर लगभग 2 प्रतिशत तक लुढ़क गए। Emami के शेयर भी 1 प्रतिशत से अधिक नीचे आए। United Spirits और Dabur India के शेयरों में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि Nestle India, Hindustan Unilever (HUL), Patanjali Foods, ITC, Marico और United Breweries (UBL) के शेयर मामूली नुकसान के साथ बंद हुए। वहीं, इस समग्र मंदी के बीच Radico Khaitan के शेयरों में 1 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई, जबकि Colgate Palmolive, Varun Beverages और Godrej Consumer Products के शेयर मामूली लाभ के साथ बंद हुए। Elara Capital ने अपने ताज़ा नोट में Q2 के नतीजों को लेकर FMCG सेक्टर के लिए एक संयमित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि Q2 में FMCG की मांग स्थिर रही, लेकिन GST संक्रमण और लंबे मानसून के कारण अस्थायी मंदी आई है

Elara Capital ने यह भी बताया कि कुछ कंपनियां प्राइसिंग आधारित ग्रोथ से लाभान्वित हो सकती हैं, जबकि प्रतिस्पर्धा की तीव्रता के कारण अन्य कंपनियों को दबाव झेलना पड़ सकता है। विशेष रूप से, Elara Capital ने चेतावनी दी है कि उच्च इनपुट कॉस्ट के कारण मुनाफे पर दबाव पड़ेगा और अधिकांश कंपनियां Q2 में लाभप्रदता में गिरावट दिखाएंगी। उनके मुताबिक, Marico, Tata Consumer और Titan उन कंपनियों में हैं जिन्हें वे प्राथमिकता देंगे। Extended monsoon और GST बदलाव के कारण FMCG की अल्पकालिक मांग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। Elara Capital ने बताया कि मानसून के कारण घरेलू कीटाणुनाशक और पेय पदार्थों की बिक्री में कमी आई है, क्योंकि लगभग 91% उप-क्षेत्रों में सामान्य या अधिक वर्षा हुई है। पेय पदार्थों के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कड़ी बनी हुई है, जिससे कंपनियां प्रमोशन और डिस्काउंट के माध्यम से अपने बाजार हिस्से की रक्षा करने में लगी हैं। ग्रामीण भारत में विकास शहरों की तुलना में बेहतर बना हुआ है, जो कुछ हद तक सकारात्मक संकेत है। GST दरों की हाल ही में हुई rationalization से उपभोक्ता मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश खाद्य और व्यक्तिगत देखभाल श्रेणियों पर टैक्स रेट 5% हो गया है, जो पहले 12-18% था। लेकिन कंपनियों ने यह भी साफ किया है कि इस बदलाव के कारण निकट अवधि में वॉल्यूम्स पर अस्थायी असर पड़ेगा क्योंकि ट्रेड चैनल्स GST पूर्व के इन्वेंट्री को खत्म करने में लगे हुए हैं। इससे.secondary sales में अस्थायी गिरावट आएगी

कच्चे माल की कीमतों में मिश्रित रुझान भी कंपनियों की आय पर असर डालेंगे। खासकर पाम ऑयल, कॉफी जैसी वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है। इस पूरी स्थिति में बाजार विशेषज्ञों ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि वे अपने निवेश फैसले सोच-समझकर लें और प्रमाणित विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें। FMCG सेक्टर की यह मंदी अस्थायी मानी जा रही है, लेकिन आगामी तिमाही के परिणामों पर नजरें बनी रहेंगी कि कंपनियां कैसे इस दबाव से उबरती हैं। इस बीच, बैंकिंग सेक्टर में Bank Nifty लगातार छठे दिन बढ़त पर रहा, जिसमें Federal Bank और HDFC के शेयर 3% तक मजबूत हुए। वहीं IndiGo के शेयर Q2 के नतीजों को लेकर निराशाजनक अनुमान के कारण दबाव में रहे। कुल मिलाकर FMCG सेक्टर फिलहाल चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है, जहां न तो मांग में तेजी है और न ही लागत में कमी। GST सुधारों के सकारात्मक प्रभाव के बावजूद मानसून और कच्चे माल की कीमतें कंपनियों के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। निवेशकों के लिए अब यह देखना होगा कि कौन सी कंपनियां इस दबाव में टिकती हैं और कौन सी आगे बढ़ती हैं। FMCG सेक्टर के लिए यह वक्त धैर्य और सतर्कता का है क्योंकि आर्थिक सुधारों के साथ-साथ मौसमी कारक भी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं

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