भारतीय लिस्टेड कंपनियों द्वारा म्यूचुअल फंड्स (MFs) में निवेश ने नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। FY25 में गैर-वित्तीय कंपनियों ने म्यूचुअल फंड्स में ₹3.8 लाख करोड़ का निवेश किया, जो 1990-91 से उपलब्ध डेटा के अनुसार अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह पिछले उच्चतम स्तर ₹3.6 लाख करोड़ (जो FY21 में था) से भी अधिक है। इस अध्ययन में 1,569 गैर-वित्तीय कंपनियों के आंकड़े शामिल किए गए हैं, जो केवल आंशिक नमूना है। निवेश में इस भारी उछाल के पीछे कंपनियों के पास उपलब्ध अतिरिक्त नकदी, कम पूंजीगत व्यय (capex) की इच्छा, और बैंक जमा दरों में गिरावट जैसे कारण प्रमुख हैं। कंपनियों के पास नकदी की बड़ी मात्रा जमा हो रही है। FY25 में गैर-वित्तीय कंपनियों के पास कुल ₹7.4 लाख करोड़ की नकदी उपलब्ध थी, जो महामारी से पहले के ₹3.4 लाख करोड़ से दोगुनी से भी ज्यादा है। इसी दौरान, RBI की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक देश में औसत capacity utilisation 75.5% पर था, जो यह दर्शाता है कि कंपनियों के पास मौजूद उत्पादन साधनों का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसे में नई फैक्ट्रियों या विस्तार के लिए पूंजी निवेश सीमित हो रहा है, और बची हुई नकदी वित्तीय साधनों, खासकर म्यूचुअल फंड्स में लगाई जा रही है। म्यूचुअल फंड्स में निवेश का कॉर्पोरेट एसेट्स में हिस्सा FY25 में 3.2% था, जो पिछले दो दशकों के रुझान के अनुरूप है
हालांकि, इस हिस्से का उच्चतम स्तर 2016-17 में 4.3% था, जब नोटबंदी के कारण कंपनियों के पास बड़ी मात्रा में अतिरिक्त नकदी आई थी और वह वित्तीय साधनों में निवेश कर रही थीं। इस बार भी कंपनियों ने मुख्य रूप से Fixed Income Funds में निवेश को प्राथमिकता दी है, जो उनकी सतर्क और पूंजी संरक्षण पर केंद्रित रणनीति को दर्शाता है। Trust MF के CEO, Sandeep Bagla के अनुसार, “कंपनियां ऐसी वृद्धि के अवसर नहीं देख रही हैं, जहां वे बड़े पैमाने पर capex कर सकें। ” इसके साथ ही, बैंक जमा दरों में कमी भी म्यूचुअल फंड्स को आकर्षक बना रही है। जुलाई 2025 में, scheduled commercial banks द्वारा नई जमा पर औसत ब्याज दर केवल 5.61% थी, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है। इस वजह से फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड्स निवेश के लिए बेहतर विकल्प बन गए हैं। यदि हम unlisted कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को भी शामिल करें, तो कॉर्पोरेट म्यूचुअल फंड निवेश का आकार और भी बड़ा हो जाता है। Association of Mutual Funds in India (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, FY25 में कुल कॉर्पोरेट निवेश ₹23.6 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो FY19 के ₹9.6 लाख करोड़ से दोगुना से ज्यादा है। इसी अवधि में, equity funds में निवेश 129% बढ़कर ₹5.4 लाख करोड़ हो गया, जबकि non-equity (fixed income) निवेश 152% बढ़कर ₹18.2 लाख करोड़ तक पहुंचा। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक वृद्धि के अवसर नहीं सुधरेंगे और capacity utilisation में सुधार नहीं होगा, कंपनियां अपनी अतिरिक्त नकदी को म्यूचुअल फंड्स में निवेश करती रहेंगी
यह प्रवृत्ति न केवल कॉर्पोरेट क्षेत्र की सतर्कता को दर्शाती है, बल्कि म्यूचुअल फंड्स की भूमिका को एक लोकप्रिय और भरोसेमंद liquidity management टूल के रूप में भी मजबूत करती है। इस समय कंपनियों के लिए बड़े पूंजी निवेश का जोखिम कम है, इसलिए वे सुरक्षित और नियमित रिटर्न वाले साधनों की ओर अधिक आकर्षित हो रही हैं। इस पूरे परिदृश्य से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र फिलहाल बड़े उत्पादन विस्तार या नई परियोजनाओं में निवेश के बजाय वित्तीय बाजारों में अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता दे रहा है। म्यूचुअल फंड्स में बढ़ते निवेश के पीछे यह रणनीतिक सोच ही मुख्य कारण बनी है, जो आर्थिक अनिश्चितताओं और बाजार की मौजूदा स्थितियों का सटीक प्रतिबिंब है