India Equity Market में Earnings Recovery के बीच छिपा है बड़ा खतरा, जानिए क्या कहता ..

Saurabh
By Saurabh

India Equity Market में Earnings Recovery के बीच छिपा है बड़ा खतरा, जानिए क्या कहता है Robin Arya Robin Arya, जो smallcase के Investment Manager और GoalFi के Founder हैं, ने हाल ही में Indian equity markets और earnings outlook को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। उनके मुताबिक, भले ही earnings downgrade की गति अब कम हुई है और निचला स्तर लगभग नज़र आ रहा है, लेकिन Q2 FY26 से आगे कोई और downgrade नहीं होगा, यह उम्मीद करना थोड़ा ज़्यादा optimistic होगा। उनके अनुसार, recovery धीरे-धीरे और असमान रूप से विभिन्न sectors में होगी, जिसमें large-cap companies mid- और small-caps की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगी। Robin Arya ने बताया कि banking sector अभी भी दबाव में है। Nifty50 के सभी छह बड़े बैंक पिछले कुछ महीनों में earnings कटौती का सामना कर रहे हैं। खासकर mid-size private banks, जिनका unsecured retail loans में ज्यादा एक्सपोजर है, FY26 में 41 से 95 प्रतिशत तक earnings में गिरावट देखी गई है। इसी तरह consumer staples sector के सात में से आठ कंपनियों की earnings में भी नीचे की ओर revision हुआ है। हालांकि, NSE की नई corporate review रिपोर्ट के मुताबिक top 200 कंपनियों के aggregate earnings FY26 में लगभग 11.6 प्रतिशत और FY27 में 15 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। Robin Arya ने स्पष्ट किया कि deposits के repricing और phased cash reserve ratio cuts की वजह से banking sector में कुछ स्थिरता आई है, लेकिन पूरी तरह से downgrades से बचना तब तक संभव नहीं जब तक underlying demand में सुधार स्थायी रूप से नहीं आता। उनके मुताबिक, earnings recovery smooth नहीं होगी और अलग-अलग sectors के बीच इसका प्रभाव भी अलग-अलग होगा

large-caps में बेहतर resilience दिखेगा, जबकि mid और small caps पर अभी भी दबाव बना रहेगा। सबसे बड़ा खतरा Robin Arya के अनुसार India-US trade deal में देरी है। इस देरी से Indian equity markets को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है, खासकर export-dependent sectors में। वर्तमान में भारत से अमेरिका को जा रहे $48.2 बिलियन के exports पर 50 प्रतिशत tariff लागू है, जो FY26 में $86.5 बिलियन से घटकर $49.6 बिलियन तक गिर सकता है। इससे textile, apparel, gems & jewellery, और shrimp exporters जैसे सेक्टरों पर बड़ा असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, gems & jewellery सेक्टर को 2.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 52.1 प्रतिशत तक tariff बढ़ाना पड़ सकता है, जबकि shrimp exporters पर 60 प्रतिशत combined duties लग सकती हैं। इसके उलट pharmaceuticals, electronics और petroleum products इस tariff से मुक्त हैं। यह स्थिति manufacturing push और private capex momentum के लिए भी चिंता का विषय है, जिससे निवेशक sentiment में गिरावट और capital flight का खतरा भी बन सकता है। GST reform के कारण consumer staples sector में भी बदलाव की संभावना है। नए GST स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत में विभाजित किए गए हैं, जिससे personal care और processed foods जैसे essential goods पर टैक्स घटकर 5 प्रतिशत हो गया है

इससे इन उत्पादों की कीमतें कम हो सकती हैं और consumption volume बढ़ सकता है, खासकर ग्रामीण और semi-urban क्षेत्रों में। Navratri 2025 के दौरान इस बदलाव के असर के तौर पर FMCG कंपनियों की sales में 25 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई। हालांकि, carbonated beverages जैसे कुछ उत्पादों पर GST 40 प्रतिशत बढ़ा है, जो उस sub-sector के लिए growth को सीमित कर सकता है। इसके अलावा, GST के लाभ पूरी तरह से consumers तक पहुंचने में देरी या कमी भी हो सकती है। Robin Arya ने IPO निवेश को लेकर भी अपनी राय दी। वे स्वयं IPOs में निवेश नहीं करते और सलाह देते हैं कि निवेशकों को initial listing के बाद market stabilization और valuation clear होने तक इंतजार करना चाहिए। Tata Capital और LG Electronics के IPO पर उनकी नजर है, क्योंकि Tata Capital भारत के सबसे बड़े NBFC IPO के रूप में वित्तीय सेवा क्षेत्र में अच्छी growth संभावनाएं लेकर आता है। वहीं, LG Electronics भारत के consumer durables मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति के कारण निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है। हालांकि, LG का IPO offer-for-sale है, इसलिए इसमें fresh capital infusion नहीं हो रहा है। IT sector की बात करें तो Robin Arya के अनुसार अगले एक-दो वर्षों में IT sector का earnings growth single-digit में रहेगा

AI और automation से productivity तो बढ़ रही है, लेकिन fixed-price contracts और बढ़ती employee costs के कारण margin expansion सीमित रहेगा। इसके अलावा, H-1B visa restrictions और global spending cautiousness भी growth में बाधाएं डालेंगे। FY26 में 3-8 प्रतिशत की moderate earnings growth की उम्मीद है, और double-digit growth के लिए broader economic rebound और बेहतर pricing power की आवश्यकता होगी, जो FY27 के बाद ही संभव हो पाएगी। कुल मिलाकर Robin Arya का कहना है कि Indian equity markets में earnings recovery सिमट कर आ रही है, लेकिन यह पूरी तरह से smooth और uniform नहीं होगी। sectors के बीच divergence रहेगा और global- domestic economic माहौल के अनुसार बाजार की स्थिति प्रभावित होगी। India-US trade deal में देरी से export sectors को बड़ा झटका लग सकता है, जो बाजार की अस्थिरता को और बढ़ा सकता है। निवेशकों के लिए यह समय सतर्कता और विवेक से काम लेने का है, क्योंकि recovery के रास्ते में अभी कई चुनौतियां बनी हुई हैं

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