अमेरिका द्वारा H-1B वीजा नियमों में कड़ा बदलाव करने के बाद भारतीय बड़े और मिडकैप IT कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। इस बदलाव में नए वीजा आवेदनों पर $100,000 की अतिरिक्त फीस लगाने का आदेश शामिल है, जिससे अमेरिकी बाजार पर निर्भर भारतीय IT सेक्टर की कारोबार संभावनाओं और मुनाफे पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। इस खबर के सामने आने के बाद 22 सितंबर को शुरुआती ट्रेडिंग में Nifty IT index करीब 3% तक गिर गया, जबकि TechM, Wipro, Infosys, HCLTech और TCS जैसे प्रमुख IT स्टॉक्स में 2 से 5 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई। विशेष रूप से Tech Mahindra का शेयर सबसे अधिक प्रभावित हुआ, जो लगभग 4% नीचे आ गया। IT सेक्टर में आई इस बेचैनी का असर पूरे शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स Nifty और Sensex पर भी पड़ा, जो लगभग 0.25% नीचे गए, हालांकि दिनभर के कारोबार में कुछ सुधार भी देखने को मिला। साल 2023 में अब तक Nifty IT index लगभग 18% नीचे आ चुका है, जो इस सेक्टर की मौजूदा चुनौतियों का संकेत है। इस गिरावट का प्रभाव केवल बड़े IT कंपनियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि Firstsource Solutions और Persistent Systems जैसे फर्मों के शेयरों में भी कमी आई, जबकि इन कंपनियों ने स्पष्ट किया कि नए वीजा नियमों का उनके व्यवसाय पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। Firstsource ने बताया कि उनकी मजबूत स्थानीय भर्ती रणनीति और वैश्विक वितरण मॉडल के कारण वे इमिग्रेशन नियमों में हुए बदलाव से सुरक्षित हैं। इसके बावजूद Firstsource के शेयर 1.5% से अधिक गिर गए। Persistent Systems ने भी कहा कि आदेश का उनके संचालन या वित्तीय स्थिति पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन उनके शेयरों में भी तेज गिरावट देखी गई
ब्रोकर एजेंसियों के नजरिए से, JPMorgan ने अपने क्लाइंट्स को एक नोट में बताया कि नए वीजा नियम H-1B वेतन को बढ़ा सकते हैं, जिससे कंपनियों के मार्जिन पर दबाव आएगा। JPMorgan के मुताबिक, अगर कंपनियां अतिरिक्त $100,000 फीस चुकाने का विकल्प चुनती हैं, तो FY27 में उनकी EPS (Earnings Per Share) में 2 से 6% तक की गिरावट आ सकती है, जबकि लेबर सप्लाई चेन में कोई बदलाव नहीं होगा। Citi की रिपोर्ट में बताया गया कि Infosys और HCLTech के अमेरिका में 60% और 80% बिजनेस वीजा अनुमोदन पर निर्भर हैं, इसलिए इस बदलाव का असर FY27 से शुरू हो सकता है। Jefferies ने भी कहा कि टैलेंट की कमी और ऑनसाइट वेतन बढ़ने से भारतीय IT कंपनियों की मुनाफाखोरी प्रभावित हो सकती है और विकास दर धीमी पड़ सकती है, खासकर मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक दबाव और AI से जुड़े जोखिमों के बीच। यह बदलाव ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने H-1B वीजा प्रोग्राम में बड़ा बदलाव करते हुए नए आवेदनों के लिए $100,000 की फीस अनिवार्य कर दी है। यह कदम उन आउटसोर्सिंग कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा जो अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिका से प्राप्त करती हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी बाजार में व्यापारिक तनाव भी बढ़ेंगे क्योंकि यह कदम भारत के साथ सेवा निर्यात को प्रभावित कर सकता है। IT सेक्टर पहले ही जून तिमाही में धीमी कमाई और TCS द्वारा बड़े पैमाने पर छंटनी की घोषणा के कारण दबाव में है। Trump के टैरिफ और अमेरिकी कंपनियों द्वारा IT खर्च में कटौती से परेशान निवेशक अब इस नए वीजा नियम से और अधिक सतर्क हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से IT कंपनियों को अधिक महंगे ऑनशोर मॉडल की ओर बढ़ना पड़ सकता है या फिर अधिक काम विदेशों में करना पड़ सकता है ताकि लागत कम रखी जा सके
इस बीच, इस कदम के कुछ ही दिनों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति Trump और प्रधानमंत्री Modi के बीच हुई वार्ता में दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक और व्यापक साझेदारी को जारी रखने पर सहमति जताई थी। लेकिन H-1B वीजा नियमों में यह बदलाव दोनों देशों के बीच ट्रेड संबंधों में नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है। भारत के वाणिज्य मंत्री Piyush Goyal इस सप्ताह अमेरिकी दौरे पर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ व्यापार वार्ता जारी रखने वाले हैं, ताकि जल्द से जल्द किसी समझौते पर पहुंचा जा सके। इस प्रकार, H-1B वीजा में बदलाव ने भारतीय IT सेक्टर की स्थिति को और जटिल बना दिया है, जिससे निवेशकों में चिंता और बेचैनी बढ़ गई है। IT कंपनियों की रणनीतियां और वित्तीय प्रदर्शन इस नए माहौल में किस तरह ढलेंगे, यह आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल बाजार में यह कदम भारतीय IT शेयरों पर दबाव डालता हुआ दिख रहा है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह सामने आ रहा है