सरकार ने हाल ही में pharmaceutical industry को बड़ी राहत दी है जिससे इस क्षेत्र में कारोबार करने वाली कंपनियों को भारी वित्तीय और लॉजिस्टिक दबाव से निजात मिलेगी। GST दरों में कटौती के बाद अब medicines जो 22 सितंबर 2025 से पहले बाजार में आ चुकी हैं, उनकी re-labeling या recall की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, कंपनियों को केवल retail स्तर पर revised pricing अपडेट करनी होगी और revised price lists जारी करनी होंगी। यह फैसला National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) ने Department of Pharmaceuticals के तहत जारी किया है, जिसका उद्देश्य pharmaceutical sector में compliance प्रक्रिया को सरल बनाना और supply chain disruptions से बचाना है। GST Council की 56वीं बैठक में 3 सितंबर 2025 को pharmaceutical products पर GST दरों में कटौती की गई थी, जिसके बाद NPPA ने यह स्पष्ट किया कि drug manufacturers और marketers को Maximum Retail Price (MRP) में नई GST दरों के अनुसार संशोधन करना होगा। लेकिन अब यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जिन दवाओं को पहले से बाजार में जारी किया जा चुका है, उनकी पैकेजिंग को पुनः लेबल या recall करने की जरूरत नहीं होगी, बशर्ते retailers updated pricing सही ढंग से प्रदर्शित करें। इस निर्णय से pharmaceutical कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि पहले की NPPA की मांडेट के तहत medicines की packaging में बदलाव, re-labeling और recall करना पड़ता था, जो न केवल महंगा था बल्कि supply chain को भी प्रभावित करता था। अगर यह प्रक्रिया जारी रहती तो कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता और essential medicines की उपलब्धता में भी बाधा आती। अब कंपनियों को revised या supplementary price lists जारी करनी होंगी, जिनमें नई GST दर और MRP स्पष्ट रूप से दर्शाई जाएगी। ये lists dealers, retailers, state drug controllers और संबंधित सरकारी संस्थानों को प्रदान करनी होंगी
वहीं, retailers की जिम्मेदारी होगी कि वे updated price lists को अपने स्टोर में प्रदर्शित करें ताकि उपभोक्ताओं को सही कीमतें दिखाई दें और वे सही कीमत पर दवाएं खरीद सकें। इस waiver से supply chain smooth बनी रहेगी और medicines की कमी नहीं होगी। इसके साथ ही, pharmaceutical कंपनियों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव कम होगा और उपभोक्ताओं को revised tax rate के अनुसार medicines मिलेंगी। इस फैसले से consumer confusion भी कम होगी क्योंकि price updates retail स्तर पर होंगे, न कि packaging या labeling में। फार्मा कंपनियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि इससे उनकी लागत और संचालन में बाधाएं कम होंगी। साथ ही, retailers को भी compliance के नियम स्पष्ट हो गए हैं, जिससे उनकी जिम्मेदारी में पारदर्शिता आएगी। regulators का मानना है कि यह तरीका regulatory oversight और practical feasibility के बीच संतुलन स्थापित करता है। वे उम्मीद करते हैं कि medicines बाजार में निर्बाध रूप से उपलब्ध होती रहेंगी और उपभोक्ता revised GST के अनुसार दवाएं खरीद सकेंगे। इस फैसले से pharma sector में निवेशकों के बीच भी सकारात्मक भावना देखने को मिल रही है, क्योंकि यह उद्योग के लिए स्थिरता और विकास के संकेत देता है। MRP में बदलाव और GST दरों में कटौती के बावजूद supply chain में रुकावट न आने से pharma stocks पर भी अच्छा असर पड़ने की संभावना है
सरकार द्वारा pharmaceutical industry को दी गई यह बड़ी राहत न केवल कंपनियों और रिटेलर्स के लिए फायदेमंद है, बल्कि अंततः उपभोक्ताओं को भी सस्ते और सुलभ दवाएं उपलब्ध कराएगी। GST दरों में बदलाव के बाद इस तरह की regulatory simplification से pharma sector की growth trajectory को मजबूती मिलेगी और medicines की continuous supply सुनिश्चित होगी। इस तरह, pharmaceutical कंपनियों को compliance की जटिलताओं से निजात देकर सरकार ने एक बार फिर उद्योग की समस्याओं को समझते हुए उन्हें राहत दी है, जो आने वाले समय में इस क्षेत्र के विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है