2025 की शुरुआत से लेकर अब तक Gold और Silver ने निवेशकों को सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है। जहां Gold ने 55% की जबरदस्त बढ़त दिखाई है, वहीं Silver ने तो 81% तक की कमाई से हर किसी को चौंका दिया है। इसके मुकाबले NIFTY50 ने महज मिड-सिंगल डिजिट रिटर्न दिया है। इस शानदार प्रदर्शन के चलते अब निवेशकों की नजरें सोने और चांदी पर टिकी हैं। कुछ निवेशक फिजिकल Gold खरीद रहे हैं, तो कुछ डिजिटल रूप में ETF या एक्टिव फंड्स के जरिए इनकी जमाखोरी कर रहे हैं। हाल ही में AMFI के आंकड़ों ने भी ETF में भारी निवेश प्रवाह को दर्शाया है। लेकिन क्या अभी Gold और Silver में निवेश करने का सही समय है? खासकर ETF के जरिए निवेश करने वाले लोगों के लिए यह सवाल अहम है। ETF यानी Exchange Traded Fund, असल में ऐसे फंड्स होते हैं जो underlying asset यानी Gold या Silver के रिटर्न को replicate करते हैं। ये फंड Asset Management Companies या Issuer Companies द्वारा issue किए जाते हैं, जो मार्केट से फिजिकल Gold या Silver खरीदकर स्टॉक एक्सचेंजों को सप्लाई करते हैं। इसके बदले में उन्हें यूनिट्स मिलती हैं, जिन्हें निवेशकों को Net Asset Value (NAV) पर बेचा जाता है
Net Asset Value (NAV) उस underlying asset का सही मूल्य होता है, जो liabilities घटाने के बाद प्रति शेयर निकलता है। इसके अलावा iNAV यानी Indicative Net Asset Value भी होता है, जो किसी यूनिट की वर्तमान बाजार कीमत का अनुमान लगाता है। ETF की ट्रेडिंग कीमत इसका मार्केट प्राइस होती है, जो मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। जब ETF की मांग बढ़ती है, तो इसका प्राइस iNAV से ऊपर यानी प्रीमियम पर ट्रेड करता है। उदाहरण के तौर पर, Nippon India Silver ETF की वर्तमान ट्रेडिंग कीमत ₹172 प्रति यूनिट है, जबकि iNAV ₹165 है। यह दर्शाता है कि Silver ETF की मांग बहुत अधिक और सप्लाई कम है, इसलिए प्राइस प्रीमियम पर चल रहा है। वहीं, जब सप्लाई ज्यादा और मांग कम होती है, तो ETF डिस्काउंट पर ट्रेड करता है। हाल के दिनों में Gold और Silver की कीमतों में sharp rally के बीच ETF सबसे किफायती तरीका माना जा रहा है इन धातुओं में निवेश करने का। लेकिन इसी के चलते ETF की यूनिट्स की कीमतों में प्रीमियम भी बढ़ा है। Silver ETF में यह प्रीमियम खासतौर पर ग्लोबल फिजिकल Silver की कमी के कारण बना हुआ है
अगर यह कमी बनी रहती है तो ETF की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। लेकिन यह सप्लाई शॉर्टेज हमेशा नहीं रहता और प्रीमियम कम होने पर ETF की कीमतें NAV के करीब आ सकती हैं। ऐसे में जो निवेशक प्रीमियम के ऊपर ETF खरीदते हैं, वे ज्यादा कीमत चुका सकते हैं। इसलिए निवेशकों को ETF खरीदते वक्त इस प्रीमियम और डिस्काउंट के रिस्क को समझना बेहद जरूरी है। ETF की कीमतों में उतार-चढ़ाव के अलावा फिजिकल Gold और Silver की मार्केट सप्लाई और डिमांड को भी ध्यान में रखना चाहिए। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करना और जरूरत हो तो किसी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेना बेहतर होगा। फिलहाल 2025 में Gold और Silver की चमक ने शेयर बाजार की धीमी रफ्तार को पीछे छोड़ दिया है। निवेशक इस रैली का फायदा उठाने के लिए ETF में निवेश कर रहे हैं, लेकिन प्रीमियम और सप्लाई शॉर्टेज को लेकर सावधानी बरतना जरूरी है। जानकार मानते हैं कि अगर सप्लाई की कमी दूर हो जाती है तो ETF की कीमतें जल्द NAV के करीब आ सकती हैं, जिससे निवेशकों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है। इस साल Dhanteras और त्योहारों के दौरान Gold और Silver की मांग और भी बढ़ने वाली है, जिससे कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है
ऐसे में निवेशकों के लिए सही समय और सही रणनीति न सिर्फ लाभदायक होगी, बल्कि जोखिमों से बचाव भी करेगा। निष्कर्ष यह है कि 2025 में Gold और Silver ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए हैं और ETF के जरिए निवेश करना अब काफी लोकप्रिय हो गया है। लेकिन ETF की कीमतों में प्रीमियम और डिस्काउंट को समझकर ही निवेश करना चाहिए ताकि भविष्य में अनावश्यक नुकसान से बचा जा सके