इस साल euro ने डॉलर के मुकाबले लगभग 13% की जोरदार तेजी दिखाई है, और शुक्रवार को इसका मूल्य करीब $1.17 पर ट्रेड हुआ। इस बीच, defence stocks और energy markets इस सप्ताह निवेशकों की नजरों में रहेंगे, क्योंकि यूरोपीय नेता यूक्रेन के समर्थन में तेजी से कदम उठा रहे हैं, जबकि U.S. राष्ट्रपति Donald Trump और रूस के राष्ट्रपति Vladimir Putin के बीच चल रही बातचीत में Kyiv पर रूस के पक्ष में शांति समझौता स्वीकार करने का दबाव बढ़ रहा है। Trump और Putin के बीच Alaska में हुए शिखर सम्मेलन के बाद यूक्रेन में युद्धविराम समझौता नहीं हो पाया। इसके बाद Trump ने यह कहा कि वे चाहते हैं कि Kyiv जल्द से जल्द एक शांति समझौते को स्वीकार करे। इसी कड़ी में, Ukrainian राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskiy सोमवार को Washington की यात्रा पर हैं, जहां Germany, UK और France के नेता भी वार्ता में शामिल होंगे। Berenberg के Chief Economist Holger Schmieding ने अपने क्लाइंट्स को भेजे गए नोट में कहा है कि Trump यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन को कम या खत्म करने के पक्ष में लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि Putin ने Trump को रूस के साथ व्यावसायिक सौदों में दिलचस्पी दिलाई है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका रूस पर लगे प्रतिबंधों को हटाकर वहां निवेश कर सकता है। यह बदलाव यूरोप पर अपनी सुरक्षा खर्च तेजी से बढ़ाने का दबाव डालेगा। वास्तव में, फरवरी 2022 से निवेशकों ने इस संभावित बदलाव को लेकर यूरोपीय aerospace और defence stocks में भारी निवेश किया है
उदाहरण के लिए, Italy की Leonardo कंपनी के शेयरों में 600% और Germany की Rheinmetall के शेयरों में 1,500% से अधिक की वृद्धि देखी गई है। यह दर्शाता है कि बाजार पहले से ही यूरोप के रक्षा क्षेत्र में बड़ी तेजी की उम्मीद कर रहा है। Bank of America के strategist Michael Hartnett ने भी इस बात पर जोर दिया है कि U.S. और Russia के बीच Arctic drilling projects की संभावना को देखते हुए वहां के अज्ञात तेल और प्राकृतिक गैस संसाधनों का 15% और 30% हिस्सा respectively उपलब्ध है। इस क्षेत्र में संभावित सहयोग से ऊर्जा बाजार में भारी बदलाव आ सकता है और एक लंबी ऊर्जा मंदी (deep energy bear market) आ सकती है। Brent crude का भाव शुक्रवार को लगभग 1% गिरकर $66 प्रति बैरल के करीब आ गया, जो अभी भी यूक्रेन के शांति समझौते के संभावित प्रभावों को दर्शाता है। Hartnett ने चेतावनी दी है कि Trump अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की कीमतें कम रखना चाहते हैं, जिससे बाजार में और उतार-चढ़ाव आ सकता है। यूक्रेन सरकार के बॉन्ड, जो निवेशकों की भावना के प्रमुख संकेतक होते हैं, भी इस माह की शुरुआत में शिखर सम्मेलन की खबरों के चलते तेजी से ऊपर आए थे। हालांकि, वे अभी भी डॉलर के मुकाबले 55 सेंट के स्तर पर बने हुए हैं, जो कि काफी दबाव में है। Aegon Asset Management के head of emerging market debt Jeff Grills ने कहा कि हाल की तेजी के बाद ये बॉन्ड थोड़े कमजोर हो सकते हैं क्योंकि शुक्रवार के सम्मेलन के बाद रूस के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है। इस पूरी परिस्थिति का असर न केवल यूरोप की सुरक्षा रणनीति पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार और geopolitics में भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे
यूरोप को अपनी रक्षा क्षमता को तेजी से बढ़ाने के लिए भारी निवेश करना होगा, जबकि अमेरिका और रूस के बीच संभावित सहयोग से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इस संदर्भ में, euro की मजबूती एक संकेत है कि निवेशक यूरोप की आर्थिक स्थिति को अभी भी स्थिर मान रहे हैं, जबकि वैश्विक राजनीति में चल रहे बदलावों को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। अगले कुछ हफ्तों में इन घटनाक्रमों से global financial markets की दिशा तय हो सकती है, खासकर defence stocks और energy सेक्टर में। इस तरह, Trump और Putin की बातचीत, यूरोपीय नेताओं की रणनीति, और Arctic ऊर्जा संसाधनों की खोज से जुड़ी खबरें इस सप्ताह निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चिंगारी साबित होंगी। इन फैक्टर्स के आधार पर यह तय होगा कि यूक्रेन संकट का समाधान रूस के पक्ष में होगा या नहीं, और इससे global stock markets पर क्या प्रभाव पड़ेगा। निवेशकों की नजरें इस समय euro की स्थिरता, defence stocks की बढ़त और energy markets की संभावित गिरावट पर टिकी हैं। यह सप्ताह वैश्विक geopolitics और markets के लिए निर्णायक साबित हो सकता है