पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने एक बार फिर से reciprocal tariffs को लेकर चर्चा गरमा दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि वे फिर से चुने गए तो भारत जैसे देशों के खिलाफ अमेरिका का व्यापारिक रुख और सख्त हो जाएगा। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दोनों देशों के बीच एक सीमित bilateral trade agreement पर 9 जुलाई की डेडलाइन नजदीक है। इस डेडलाइन तक समझौता न होने पर दोनों देशों के बीच select goods पर tariffs फिर से लागू हो सकते हैं। Pennsylvania में एक रैली के दौरान Trump ने कहा कि अमेरिका को trading partners द्वारा “सालों से ठगा गया है” और वे unfair treatment को reciprocal tariffs के जरिए खत्म करना चाहते हैं। Trump ने खासतौर पर भारत जैसे high-duty markets पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर India American bikes या whiskey पर 100% tariff लगाता है, तो हमें भी उनके सामान पर वैसा ही करना चाहिए। ” उनके इस बयान से साफ हो जाता है कि वे trade negotiations में कड़ी नीति अपनाना चाहते हैं। इस वक्त दोनों देशों के trade officials लगातार बातचीत कर रहे हैं ताकि एक “mini deal” पर सहमति बनाई जा सके। इस समझौते में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं जैसे कि certain U.S. agricultural exports पर कम tariffs, Indian pharmaceuticals और textiles के लिए market access, और long-standing digital services taxes का समाधान। सूत्रों के मुताबिक, deal के contours लगभग तय हो चुके हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल और आगामी U.S. चुनावों के चलते आखिरी दौर की बातचीत में बाधा आ सकती है
Trump के trade related बयान नए नहीं हैं, वे अपनी पहली अवधि में भी reciprocal tariffs को लेकर कड़े रुख पर थे। लेकिन इस बार बात का समय ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि India-U.S. संबंध नाजुक स्थिति में हैं और वर्तमान Biden प्रशासन trade tension को कम करने की कोशिश कर रहा है। Trump के इस रुख से यह उम्मीद बढ़ गई है कि अगर वे सत्ता में लौटे तो trade नीति में बदलाव आ सकता है और कड़ी नीतियां लागू हो सकती हैं। Washington स्थित एक वरिष्ठ trade analyst ने कहा, “अगर Trump जीतता है, तो friendly partners के साथ भी hardline trade talks की वापसी होगी। ” इस बयान से स्पष्ट होता है कि Trump की वापसी से bilateral trade relations पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत की तरफ से इस मसले पर सावधानी और रणनीति दोनों ही दिखाई दे रही हैं। New Delhi ने बार-बार tariff bullying के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई है, लेकिन साथ ही वे India-U.S. ties के broader momentum को बनाए रखने के लिए भी इच्छुक हैं, खासकर defense, semiconductors, और clean energy क्षेत्रों में। हालांकि, New Delhi के अधिकारी Trump के बयान पर सीधे प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं और बातचीत पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि tariffs की पुनः लागू होने की स्थिति में भारत भी reciprocal कदम उठा सकता है जिससे bilateral initiatives की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। इन घटनाक्रमों पर बाजार भी काफी सतर्क नजर आ रहे हैं
खासकर steel, tech outsourcing, और agricultural exporters जैसे trade-sensitive sectors ने आने वाले दिनों में होने वाले फैसलों पर निगाहें गड़ाई हुई हैं। यदि समझौता नहीं होता है, तो renewed duties और उच्च लागत के कारण supply chains और investor sentiment पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं यदि दोनों देशों के बीच एक सीमित लेकिन प्रभावी deal हो जाती है, तो यह आगामी U.S. चुनावों से पहले स्थिरता का संकेत होगा और tensions को बढ़ने से रोकेगा। अभी के लिए यह स्पष्ट है कि आने वाले कुछ दिन विश्व के सबसे महत्वपूर्ण trade relationships में से एक को नई टकराव से बचाने या फिर tariff युद्ध में फंसाने का फैसला करेंगे। भारत और अमेरिका दोनों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील और निर्णायक है। Donald Trump के कड़े संकेत और दोनों देशों के trade officials की बातचीत के बीच इस डेडलाइन के परिणाम से वैश्विक बाजारों और निवेशकों की निगाहें जुड़ी हुई हैं