RBI के नए ECL मॉडल की घोषणा से Banking Stocks में आई गिरावट, SBI और HDFC Bank में दबाव

Saurabh
By Saurabh

Reserve Bank of India (RBI) द्वारा प्रस्तावित Expected Credit Loss (ECL) मॉडल को अपनाने की खबर से major बैंकिंग stocks में बुधवार को गिरावट देखने को मिली। इस बदलाव के तहत बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट में बड़ा बदलाव आएगा, जिससे निवेशकों में असमंजस पैदा हुआ और State Bank of India (SBI), HDFC Bank, ICICI Bank, Punjab National Bank (PNB) जैसे बड़े बैंक के शेयर डाउन हुए। NIFTY BANK index 0.22% गिरकर 56,116.90 पर बंद हुआ, जबकि NIFTY FINANCIAL SERVICES index भी 0.18% की गिरावट के साथ 26,728.10 पर आ गया। व्यक्तिगत शेयरों की बात करें तो SBI 0.43% की गिरावट के साथ ₹860.95 पर ट्रेड कर रहा था, Bank of Baroda 0.27% नीचे 262.55 रुपये पर, HDFC Bank 0.16% गिरकर ₹980.90 पर, और ICICI Bank में 0.42% की गिरावट के साथ ₹1,370.10 पर कारोबार हुआ। यह सभी बैंक शेयर नए ECL मॉडल की वजह से उत्पन्न अनिश्चितताओं को लेकर दबाव में रहे। RBI ने जो बदलाव सुझाए हैं, उसमें बैंक अब loans पर संभावित expected losses को तभी से मानेंगे जब loan जारी किया जाएगा, जबकि पुराने incurred-loss मॉडल के तहत नुकसान तभी मान्य होता था जब डिफॉल्ट का कोई सबूत मिलता था। यह नया forward-looking तरीका क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर बनाएगा, पारदर्शिता बढ़ाएगा और भारतीय बैंकिंग नियमों को global accounting standards के साथ सामंजस्य स्थापित करेगा। इस मॉडल में loans और अन्य financial assets को तीन stages में वर्गीकृत किया जाएगा — Stage 1, Stage 2, और Stage 3 — जो initial recognition और हर रिपोर्टिंग डेट पर संभावित क्रेडिट नुकसान के आधार पर होंगे। इस staged classification से provisioning की सटीकता बढ़ेगी और बैंक क्रेडिट रिस्क के प्रति अधिक मजबूत बने रहेंगे। RBI के ड्राफ्ट ‘Scheduled Commercial Banks & All India Financial Institutions – Asset Classification, Provisioning and Income Recognition Directions, 2025’ में income recognition के लिए Effective Interest Rate (EIR) method को भी शामिल किया गया है, साथ ही मॉडल रिस्क मैनेजमेंट पर दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं

यह framework Small Finance Banks, Payment Banks, Regional Rural Banks और कुछ All India Financial Institutions पर लागू नहीं होगा। RBI ने यह भी बताया है कि ECL मॉडल के कारण provisioning में एक बार की वृद्धि हो सकती है, लेकिन minimum regulatory capital पर इसका कुल प्रभाव नगण्य रहेगा। संक्रमण को सहज बनाने के लिए RBI ने पांच साल का glide path सुझाया है। इसके अलावा, RBI ने इस प्रस्ताव पर public feedback आमंत्रित किया है, जिसकी अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 है, और नए नियम 1 अप्रैल 2027 से लागू होंगे। साथ ही RBI ने Basel Standardised Approach के संशोधित ड्राफ्ट भी जारी किए हैं, जिनमें corporates, MSMEs, और real estate के लिए जोखिम भार में अधिक विस्तार किया गया है। इसके अलावा timely-repaying credit card users को retail category में शामिल किया गया है। यह कदम भारतीय बैंकों के क्रेडिट रिस्क से जुड़े capital charges की मजबूती और जोखिम संवेदनशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। कुल मिलाकर, RBI द्वारा ECL मॉडल को अपनाना भारतीय बैंकिंग उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। यह बदलाव न केवल क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर बनाएगा बल्कि वैश्विक मानकों के साथ भी मेल खाएगा। हालांकि इस घोषणा के तुरंत बाद बैंकिंग शेयरों में नकारात्मक प्रतिक्रिया आई है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह कदम वित्तीय प्रणाली को अधिक स्थिर और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा

इस पूरे परिदृश्य में निवेशकों की नजरें RBI पर बनी हुई हैं कि वह इस संक्रमण को कैसे नियंत्रित करता है ताकि बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव न आए और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता बनी रहे। फिलहाल बैंकिंग सेक्टर में यह बदलाव एक नया अध्याय खोलने जा रहा है, जिसमें जोखिम प्रबंधन के नए मानक स्थापित होंगे और भारतीय बैंकिंग प्रणाली को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा

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