चीन के Rare Earths पर एक्सपोर्ट बैन और Trump के Tariff धमकी ने बाजार में मचाई हलचल, जानिए कैसे रहेंगे Global Markets के आगे के रुख

Saurabh
By Saurabh

China द्वारा rare earths पर नए export restrictions लगाने और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump की massive tariff hike की धमकी ने वैश्विक बाजारों में भारी अस्थिरता पैदा कर दी है। OmniScience Capital के AVP और Portfolio Manager Ashwini Shami के अनुसार, चीन के ये प्रतिबंध खासतौर पर military और semiconductor जैसे सेक्टर्स को प्रभावित करेंगे, क्योंकि ये क्षेत्र critically important mineral supply chains पर निर्भर हैं। इस वजह से इन सेक्टर्स पर इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा। Ashwini Shami ने बताया कि Trump की tariff धमकी से केवल चीन ही नहीं बल्कि वैश्विक सूचकांक (global indexes) भी दबाव में आ सकते हैं, जिससे बाजारों में उथल-पुथल बनी रहेगी और बाजार consolidation phase में फंसा रहेगा। दोनों देश अपने-अपने geopolitical फायदे के लिए trade tariffs को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और फिलहाल कोई भी पक्ष बातचीत के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा। इसलिए इस टैरिफ युद्ध (tariff war) के और तेज होने की संभावना बढ़ गई है, जैसा कि इस साल पहले भी देखा गया था। China ने rare earth elements के एक्सपोर्ट पर कड़े नियम लागू किए हैं, जिससे अब कुल 17 में से 12 rare earth minerals पर restrictions हैं। यह कदम geo-strategic स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे दुनिया के कई देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने भी इस दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। देश ने mining, R&D और domestic manufacturing को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन दिए हैं

इसके तहत भारत 2030 तक 6,000 टन rare earth magnets का उत्पादन करने के लिए ₹7,300 करोड़ की योजना चला रहा है। National Critical Mineral Mission (NCMM) भी घरेलू mining, exploration और processing के साथ-साथ US-led Mineral Security Partnership जैसे अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। Ashwini Shami ने यह भी कहा कि US-China tariff युद्ध अब रोक पाना मुश्किल हो गया है। दोनों देश टैरिफ को अपने geopolitical प्रभुत्व के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और फिलहाल कोई भी पक्ष वार्ता के लिए नरम पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा। इस माह के अंत में Asia-Pacific Summit के दौरान दोनों नेताओं के मिलने की उम्मीद थी, लेकिन rare earths पर चीन की कड़ी नीति ने सौदे की संभावनाओं को कम कर दिया है। जहां तक भारतीय शेयर बाजार की बात है, Ashwini Shami ने कहा कि large caps की तुलना में mid और small-cap सेक्टर की स्थिति कुछ कमजोर नजर आ रही है। Nifty 50 का Price-to-Earnings (P/E) ratio करीब 22 पर है, जबकि mid और small-cap इंडेक्स के P/E 30 से ऊपर बने हुए हैं। हालांकि Scientific Investing framework की मदद से mid और small-cap के 20-30 स्टॉक्स का ऐसा पोर्टफोलियो तैयार किया जा सकता है, जो बेहतर ग्रोथ रेट ऑफर कर सके और अभी भी mispriced हो। टेक्नोलॉजी सेक्टर के बारे में Ashwini Shami का मानना है कि फिलहाल यह सेक्टर टैरिफ युद्ध, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके अलावा AI-led टेक्नोलॉजीज के तेजी से बदलाव से अनिश्चितता और बढ़ गई है

लेकिन वे लंबे समय में इस सेक्टर के structural importance पर सकारात्मक बने हुए हैं। AI के व्यापक अपनाने, क्लाउड कम्प्यूटिंग और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के कारण टेक सेक्टर में आने वाले कुछ क्वार्टरों में बेहतर अवसर बन सकते हैं। सिल्वर ETFs में हाल ही में जो तेज़ रैली देखी गई है, उसके बारे में Ashwini Shami ने निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। उनका कहना है कि सिल्वर की लंबी अवधि की मांग मजबूत है, खासकर सोलर एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे ग्रीन टेक्नोलॉजी में, लेकिन हाल की तेजी का बड़ा कारण केंद्रीय बैंकों द्वारा डॉलर से डायवर्सिफिकेशन है। इसलिए निवेशकों को केवल परफॉर्मेंस के आधार पर सिल्वर ETFs में निवेश करने से बचना चाहिए और अपनी multi-asset allocation योजना के अनुसार ही निवेश करना चाहिए। गोल्ड के मामले में भी Ashwini Shami ने स्पष्ट किया कि हाल में gold और silver ETFs में निवेश बढ़ा है, लेकिन यह ज्यादातर short-term परफॉर्मेंस चेजिंग का नतीजा है। लंबे समय के निवेशकों के लिए गोल्ड को diversification और portfolio stability के लिए ही रखना चाहिए, न कि return chasing के लिए। गोल्ड का एलोकेशन सीमित और रणनीतिक होना चाहिए। इस पूरी स्थिति से यह स्पष्ट है कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे rare earths और tariff युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता जारी रहेगी। भारत जैसे देश, जो अपने rare earths की पूर्ति के लिए चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं, उनके लिए यह समय रणनीतिक निवेश और विकास का है

वहीं निवेशकों को भी बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच धैर्य और सतर्कता से काम लेना होगा

Share This Article
By Saurabh
Follow:
Hello friends, my name is Saurabh Sharma. I am a digital content creator. I really enjoy writing blogs and creating code. My goal is to provide readers with simple, pure, and quick information related to finance and the stock market in Hindi.
Leave a comment
Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes