भारत के ब्रोकिंग उद्योग में हाल के वर्षों में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला है। खासतौर पर discount broking firms ने बाजार में अपनी पकड़ इतनी मजबूत कर ली है कि अब वे कुल ग्राहक खातों के आधार पर सबसे बड़े खिलाड़ी बन गए हैं। Groww, Zerodha जैसे नाम अब इस सेक्टर के टॉप ब्रोकर्स में शुमार हैं। Anand Rathi Share & Stock Brokers के IPO ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट्स से पता चला है कि discount brokers का बाजार हिस्सेदारी पिछले पांच वर्षों में दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर लगभग 80% तक पहुंच गई है, जबकि FY20 में यह सिर्फ 38-40% थी। यह बदलाव पिछले दस वर्षों में और भी ज्यादा स्पष्ट हुआ है, क्योंकि FY15 में यह आंकड़ा केवल 7-8% था। ये आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि भारतीय निवेशक तेजी से पारंपरिक ब्रोकिंग से discount broking मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और कम लागत वाले निवेश विकल्पों ने निवेशकों के बीच लोकप्रियता हासिल की है। India का broking industry, जो FY24 में लगभग Rs 450 billion का था, Anand Rathi Share & Stock Brokers के द्वारा कमिशन की गई Care Edge Analytics & Advisory की रिपोर्ट के अनुसार अगले चार वर्षों में CAGR 16-18% की दर से बढ़कर FY28 तक Rs 850 billion तक पहुंचने की संभावना है। इस उद्योग में इस तेजी के पीछे कई वजहें हैं। सबसे महत्वपूर्ण है वित्तीय साक्षरता में वृद्धि और निवेश की लागत में कमी
Discount brokers ने निवेशकों को सस्ते दामों पर रियल-टाइम जानकारी, स्टॉक रिसर्च टूल्स, और आसान ऑर्डर प्लेसमेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। इससे ग्राहक अनुभव बेहतर हुआ है और पारंपरिक ब्रोकर्स की तुलना में ये डिजिटल-फर्स्ट प्लेटफॉर्म बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। Redseer Strategy Consultants द्वारा तैयार की गई एक अन्य रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि 2020 से 2025 के बीच डिजिटल-फर्स्ट निवेश और wealth management प्लेटफॉर्म्स ने लगभग 85% नए ग्राहक जोड़े हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में NSE पर सक्रिय ग्राहकों के कुल संख्या में discount brokers का हिस्सा 76-78% तक पहुंच गया है। ये बदलाव भारत में निवेश के स्वरूप में भी बड़े पैमाने पर बदलाव का संकेत देते हैं। Redseer की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय परिवारों की बचत में वित्तीय संपत्तियों का हिस्सा FY2012 से बढ़कर FY2024 में 47% तक पहुंच गया है। वहीं, घरेलू बचत का प्रवाह भी equities और mutual funds की ओर बढ़ा है, जो FY2020 में लगभग 5% था, वह FY2024 में लगभग 17% हो गया है। equities का प्रतिशत घरेलू संपत्तियों में FY2024 में 6% के करीब रहा। इसका मतलब है कि भारत में पारंपरिक सेविंग्स से अधिक जोखिम भरे लेकिन लाभदायक वित्तीय उत्पादों की तरफ लोगों की रुचि बढ़ रही है। हालांकि, भारत में अभी भी स्टॉक ट्रेडिंग में सक्रिय लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम है
Care Edge की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल आबादी का केवल 4-5% ही स्टॉक ट्रेडिंग में सक्रिय है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 55%, ब्रिटेन में 33%, और चीन में 13% है। इस लिहाज से भारत के ब्रोकिंग उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। जब तक वित्तीय साक्षरता और निवेश की पहुंच बढ़ती रहेगी, तब तक discount broking firms के लिए बाजार में विस्तार की राह और भी आसान हो जाएगी। Groww इस क्षेत्र में वर्तमान में सबसे बड़े broking firm के रूप में उभरा है, जिसके पास सबसे ज्यादा सक्रिय ग्राहक हैं। Anand Rathi Share & Stock Brokers भी अपनी Rs 745 crore की IPO योजना के साथ इस तेजी से बढ़ते उद्योग का हिस्सा बनने जा रहा है। उनकी IPO प्राइस बैंड Rs 393-414 प्रति शेयर तय की गई है, जो निवेशकों के बीच उत्सुकता पैदा कर रही है। भारत के ब्रोकिंग सेक्टर में यह तेजी न केवल निवेशकों के लिए बल्कि पूरे वित्तीय बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। जैसे-जैसे डिजिटल तकनीकें और discount broking मॉडल आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे निवेश की पहुंच और भी ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। इससे न सिर्फ बाजार में तरलता बढ़ेगी बल्कि घरेलू निवेशकों का आत्मविश्वास भी मजबूत होगा। कुल मिलाकर, भारतीय ब्रोकिंग उद्योग की कहानी अब discount brokers के बढ़ते दबदबे की कहानी बन चुकी है
यह ट्रेंड आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की संभावना है, जो इस सेक्टर को और भी अधिक प्रतिस्पर्धी और समृद्ध बनाएगा। निवेशकों के लिए यह समय न केवल नए अवसरों की खोज का है, बल्कि वित्तीय बाजार के विकास में भागीदारी का भी है