Chris Wood, जो Jefferies के global head of equity strategy हैं और Greed & Fear रिपोर्ट के लेखक भी हैं, ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत के स्टॉक मार्केट को लेकर एक खास टिप्पणी की है। Wood ने बताया है कि उन्होंने Asia Pacific ex-Japan के relative-return पोर्टफोलियो में भारत के लिए केवल marginal overweight की स्थिति बनाए रखी है। इसका कारण है भारत के बाजार में उच्च valuations और equity supply की चिंताजनक स्थिति। Wood की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 15 सालों में भारत ने अपने प्रदर्शन के मामले में सबसे बड़ी relative underperformance देखी है। Jefferies के India research के मुताबिक, MSCI India index ने पिछले 12 महीनों में MSCI Emerging Markets index से 24 प्रतिशत अंक पीछे रहने का प्रदर्शन दिया है। वहीं, अप्रैल के मध्य से यह अंतर 18 प्रतिशत अंक तक पहुंच चुका है। Wood का मानना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण भारत के बाजार में valuations का अत्यधिक होना और equity supply का अचानक बढ़ जाना है। Nifty फिलहाल 20.2 गुना एक साल आगे के earnings के हिसाब से ट्रेड कर रहा है, जो कि ऐतिहासिक औसत से ऊपर है, हालांकि यह अक्टूबर 2021 के 22.4x के पीक से थोड़ा नीचे है। Wood ने बताया कि जून महीने में monthly equity supply $10.4 बिलियन तक पहुंच गई, जो कि 2024 के दूसरे छमाही के $7.3 बिलियन के औसत से काफी ज्यादा है। इस भारी सप्लाई ने भारतीय बाजार की मजबूती को चुनौती दी है
Wood ने Asia के अन्य बाजारों का उदाहरण देते हुए कहा कि Korea ने Value-Up थीम के चलते अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि Taiwan को hyperscaler-driven capex से मजबूती मिली है। इसके विपरीत, भारत का बाजार इस बीच कमजोर पड़ा हुआ दिख रहा है। हालांकि, Jefferies की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के बाजार अक्सर ऐसी phases के बाद मजबूत वापसी करते हैं। Wood ने कहा कि पिछली बार जब भारत ने ऐसी relative कमजोरी दिखाई थी, तब बाजार ने फिर तेजी दिखाई थी। वर्तमान valuations, जो emerging-market peers से 63 प्रतिशत के 10 साल के औसत प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं, इस बात का संकेत देते हैं कि गिरावट का असर पहले ही बाजार में शामिल हो चुका है। भारतीय घरेलू निवेशकों का निवेश भी बाजार की मजबूती की वजह बना हुआ है। जुलाई में equity mutual fund inflows लगभग दोगुने होकर $6.4 बिलियन हो गए, जो अक्टूबर 2024 के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं, broader domestic inflows, जिसमें non-mutual fund निवेशक भी शामिल हैं, साल के पहले सात महीनों में औसतन $7.2 बिलियन प्रति माह रहे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा मात्र $2.4 बिलियन था। नीति के मामले में, Reserve Bank of India ने इस साल ब्याज दरों में 100 basis points की कटौती की है और अपनी हालिया बैठक में भी रुख को dovish रखा है। हालांकि, मई से रुपए की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4.2% की कमजोरी देखी गई है
Wood ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 50 प्रतिशत के टैरिफ के खतरे को भी बहुत ज्यादा गंभीर नहीं माना। उनका कहना है कि यह टैरिफ भारत के शेयरों को खरीदने का अवसर हो सकता है। Wood का अनुमान है कि अमेरिका जल्द ही इस टैरिफ के खिलाफ अपनी स्थिति बदल सकता है, क्योंकि यह अमेरिका के हित में नहीं होगा। सारांश में, Chris Wood का मानना है कि भारत के बाजार में फिलहाल जोखिम जरूर हैं, खासकर valuation और supply के संदर्भ में, लेकिन घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी और RBI की नीतिगत सहारा के कारण बाजार में पूरी तरह से गिरावट के आसार नहीं हैं। India का बाजार, जो पिछले कुछ समय से MSCI Emerging Markets से पिछड़ रहा है, भविष्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है, लेकिन फिलहाल केवल marginal overweight की स्थिति ही बनाए रखना बेहतर होगा। यह रिपोर्ट उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती है जो India के बाजार में भविष्य की संभावनाओं को समझना चाहते हैं और साथ ही यह सतर्क करती है कि उच्च valuations और बढ़ती equity supply के कारण जोखिम भी कम नहीं हैं