आज 56वीं बार Goods and Services Tax (GST) Council की बैठक शुरू हुई, जिसमें Finance Minister Nirmala Sitharaman ने अध्यक्षता की। यह दो दिवसीय बैठक देश के बाजारों और उपभोक्ताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस बार GST की संरचना में बड़े बदलाव की संभावना है। 2017 में GST लागू होने के बाद से यह सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है, जो सीधे तौर पर लाखों लोगों की जेब पर असर डालेगा। बैठक की सबसे बड़ी चर्चा केंद्र में है कि GST स्लैब को चार से घटाकर सिर्फ दो स्लैब किए जाएं। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है, तो अब केवल 5% और 18% की दरें लागू होंगी, जबकि टबैको, pan masala और अन्य हानिकारक वस्तुओं के लिए 40% का अलग स्लैब रखा जाएगा। सूत्रों की मानें तो लगभग 175 वस्तुओं के GST में कमी हो सकती है, जिनमें रोजमर्रा की घरेलू चीजें जैसे toothpaste, shampoos, ghee और pickles शामिल हैं। इसके अलावा consumer durables जैसे refrigerators, televisions और washing machines पर भी टैक्स कम होने की संभावना है। ऑटोमोबाइल सेक्टर भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। खास तौर पर entry-level cars और two-wheelers को 18% स्लैब में लाने पर विचार चल रहा है, जबकि luxury vehicles और SUVs पर उच्च दर लागू की जा सकती है। अधिकारी मानते हैं कि अगर यह बदलाव होता है तो average GST rate वर्तमान 11.5% से नीचे आकर 10% से भी कम हो सकता है
यह खबर FMCG sector को खासा उत्साहित कर रही है, क्योंकि टैक्स में कटौती से packaged foods और essentials पर सकारात्मक असर पड़ेगा। Electronics sector भी GST में राहत की उम्मीद लगाए हुए है, खासकर त्योहारों के सीजन से पहले, जिससे consumer spending में बढ़ोतरी हो सकती है। ऑटो सेक्टर में निवेशकों की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं, क्योंकि two-wheelers और compact cars पर GST कम होने की संभावना से बाजार में तेजी आ सकती है। वहीं tyre manufacturers ने सरकार से आग्रह किया है कि tyres पर GST 28% से घटाकर 5% किया जाए, क्योंकि वे कृषि, परिवहन और खनन जैसे आवश्यक क्षेत्रों के लिए जरूरी हैं, न कि luxury items। Insurance सेक्टर में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर GST पूरी तरह से खत्म करने का प्रस्ताव है, जिससे घरेलू खर्चों में राहत मिलेगी, लेकिन इसके चलते सरकार की वार्षिक आय में ₹9,700 करोड़ की कटौती हो सकती है। GST Council की बैठक में compensation cess के भविष्य पर भी चर्चा होगी। यह cess राज्यों को उनके राजस्व घाटे की भरपाई के लिए लगाया गया था और मार्च 2026 तक जारी रहने वाला था। लेकिन अब अधिकारियों ने इसे अक्टूबर 2024 से पहले ही खत्म करने पर विचार शुरू कर दिया है, बशर्ते महामारी के दौरान लिए गए कर्ज़ चुका दिए जाएं। cess खत्म होने पर लगभग ₹2,000-3,000 करोड़ का अतिरिक्त धनराशि केंद्र और राज्यों के बीच बांटी जा सकती है
फिर भी राज्यों की चिंता बनी हुई है। कई finance ministers ने चेतावनी दी है कि GST दरों में कटौती से राज्य सरकारों को सालाना लगभग ₹80,000 करोड़ का नुकसान हो सकता है, जिससे बजट संतुलन करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए क्या कोई अल्पकालिक वित्तीय व्यवस्था की जाएगी, इस पर भी चर्चा हो सकती है, लेकिन मौजूदा cess को बढ़ाने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है। इस 56वीं GST Council की बैठक का नतीजा भारत के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को पूरी तरह से बदल सकता है। जहां रोजमर्रा की जरूरी चीजों, कारों और इलेक्ट्रॉनिक्स पर कम टैक्स उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आएगा, वहीं राज्यों के राजस्व घाटे की भरपाई का मसला इसे जटिल भी बना सकता है। बाजार, उद्योग और आम परिवार इस बैठक के परिणाम पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं क्योंकि यह फैसला सीधे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर डालेगा। GST में संभावित बदलाव के चलते FMCG, Auto और Electronics sector के stocks पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। निवेशक भी इन संकेतों को ध्यान में रखकर अपने portfolio में बदलाव कर सकते हैं। कुल मिलाकर, यह बैठक भारत के कर ढांचे में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है, जिसका असर आने वाले वर्षों तक महसूस किया जाएगा