GIFT City ने अपने स्थापना काल से लेकर अब तक कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं, जो खास तौर पर रिटेल निवेशकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहे हैं। पहले यह क्षेत्र मुख्य रूप से HNIs और FIIs के लिए था, लेकिन अब यहां रिटेल निवेशकों के लिए भी नए अवसर खुल रहे हैं, जिससे उनकी निवेश की दुनिया में विविधता लाना आसान हो गया है। यह बात Moneycontrol के Mutual Fund Summit में सामने आई, जहां Mirae Asset Investment Managers के Vaibhav Shah, PGIM India Mutual Fund के Abhishek Tiwari और PPFAS के Neil Parikh ने इस बदलाव पर चर्चा की। सबसे बड़ा बदलाव GIFT City में रिटेल फंड स्ट्रक्चर्स का परिचय है। पहले यहां अंतरराष्ट्रीय फंड्स में निवेश के लिए न्यूनतम राशि $75,000 से लेकर $250,000 तक थी, जो Liberalised Remittance Scheme (LRS) की सीमा के बराबर थी। लेकिन अब, फंड मैनेजर्स रिटेल निवेशकों के लिए ऐसे स्कीम्स लॉन्च कर सकते हैं जिनमें न्यूनतम निवेश मात्र $5,000 से $10,000 हो। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि Tax Collected at Source (TCS) तब ही लागू होता है जब वित्तीय वर्ष में निवेश ₹10 लाख से अधिक हो, इसलिए कम निवेश राशि से निवेशक TCS के 20 प्रतिशत कटौती से बच सकते हैं। इस बदलाव के साथ-साथ ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया भी अब ज्यादातर डिजिटल हो गई है, जिससे निवेशकों का अनुभव घरेलू म्यूचुअल फंड की तरह सहज बनने लगा है। फंड हाउस के लिए भी यह एक सुनहरा मौका है कि वे रिटेल और HNI दोनों ही तरह के निवेशकों को ग्लोबल थीम्स में निवेश करने का अवसर दे सकें। हालांकि, अभी भी कुछ ऑपरेशनल चुनौतियां मौजूद हैं
निवेश LRS के तहत ही होना चाहिए और यह प्रक्रिया घरेलू म्यूचुअल फंड्स की तुलना में जटिल है, जिससे निवेशकों को अच्छी शिक्षा की आवश्यकता होती है। GIFT City की बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर भी अभी सुधार के दौर में है और ट्रांसफर उतने सहज या तुरंत नहीं होते जितने घरेलू निवेश में होते हैं। इस इकोसिस्टम को मजबूत करना जरूरी है ताकि बड़े स्तर पर रिटेल निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। जैसे-जैसे ऑपरेशनल सिस्टम बेहतर होंगे, GIFT City ग्लोबल निवेशों के लिए रिटेल पूंजी को आकर्षित करने वाला एक बड़ा चैनल बन सकता है। Mirae Asset ने हाल ही में GIFT City से एक आउटबाउंड फंड लॉन्च किया है, जिसे सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सेंटर्स और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे ग्लोबल इनोवेशन थिम्स में निवेश करने का मौका मिलता है, जो भारतीय बाजार में सीमित हैं। इस फंड को निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। PPFAS के Neil Parikh ने बताया कि GIFT City की संरचना में टैक्सेशन एक ऐसा क्षेत्र है जहां सुधार की जरूरत है। GIFT City में स्थित फंड्स पर हर सेल ट्रांजेक्शन (चर्न) पर टैक्स लगता है, जिससे एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर असर पड़ता है। इसे सुधारने के लिए PPFAS फीडर फंड या फंड-ऑफ-फंड (FoF) स्ट्रक्चर्स पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां चर्न पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता और डिविडेंड विदहोल्डिंग टैक्स भी लगभग 15 प्रतिशत है, जो सीधे विदेशी निवेश की तुलना में कम है। PPFAS अगले साल तीन ऐसे फीडर फंड लॉन्च करेगा, जिनमें दो पैसिव होंगे जो S&P 500 और NASDAQ जैसे बड़े ग्लोबल इंडेक्स को मिरर करेंगे, जबकि एक एक्टिव मैनेज्ड फंड होगा जो विकसित बाजारों में ग्लोबल एक्सपोजर वाले बिजनेस में निवेश करेगा
PGIM (India) के पास वर्तमान में तीन अंतरराष्ट्रीय FoFs हैं: PGIM India Emerging Markets Equity Fund of Fund, PGIM India Global Equity Opportunities Fund of Fund, और PGIM India Global Select Real Estate Securities Fund of Fund। सितंबर 2025 के अंत तक इन फंड्स का कुल AUM ₹2,344.72 करोड़ तक पहुंच चुका है। इस प्रकार GIFT City अब रिटेल निवेशकों के लिए भी खुलता जा रहा है और ग्लोबल निवेश के अवसर बढ़ा रहा है। हालांकि कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन डिजिटल ऑनबोर्डिंग और कम निवेश सीमा जैसे बदलाव इसे और अधिक आकर्षक बना रहे हैं। आने वाले समय में जब बैंकिंग और ऑपरेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा, तो GIFT City ग्लोबल निवेश के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है, जो भारतीय रिटेल निवेशकों को विदेशी बाजारों में निवेश के नए आयाम प्रदान करेगा