भारतीय शेयर बाजार ने पिछले सप्ताह मजबूत वापसी की है, जहां BSE Sensex में 901 अंकों (1.13%) की तेजी देखी गई और यह 80,711 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, Nifty 50 ने 314 अंकों (1.29%) की बढ़त के साथ 24,741 पर कारोबार किया। Nifty Midcap और Smallcap 100 इंडेक्स ने भी बेहतर प्रदर्शन किया, क्रमशः 2.42% और 2.49% की बढ़त दर्ज की। हालांकि इस उछाल के बावजूद बाजार में अगले सप्ताह भी उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि विदेशी निवेशकों (FII) का लगातार निकासी दबाव बना हुआ है और वैश्विक व्यापार तनाव बाजार की धारणा पर भारी पड़ रहे हैं। पिछले सप्ताह के कमजोर प्रदर्शन के बाद निवेशकों ने राहत की सांस ली, लेकिन इस तेजी को स्थायी माना जाना अभी जल्दबाजी होगी। GST दरों में सुधार और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने बाजार को सहारा दिया, लेकिन अमेरिकी टैरिफ को लेकर बनी अनिश्चितता और लगातार विदेशी निकासी ने सेंसेक्स और निफ्टी की बढ़त को सीमित कर दिया। खास बात यह रही कि Nifty IT सेक्टर 1.55% गिरावट के साथ कमजोर रहा, जो इस बात का संकेत है कि उपभोक्ता खर्च में कटौती की चिंताएं अभी बनी हुई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू आर्थिक सुधार और सरल GST फ्रेमवर्क से बाजार को कुछ मजबूती मिलेगी, लेकिन वैश्विक स्तर पर ट्रेड टेंशन और टैरिफ बढ़ोतरी से जोखिम बरकरार रहेगा। Motilal Oswal के Head of Research, Siddhartha Khemka ने भी कहा कि “वैश्विक व्यापार की अनिश्चितता और टैरिफ वृद्धि जोखिम बने हुए हैं, लेकिन घरेलू सुधार बाजार को समर्थन देंगे। ” आने वाले सप्ताह में बाजार की नजर कई अहम आर्थिक संकेतकों पर टिकी रहेगी
12 सितंबर को आने वाला भारत का खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) का डेटा सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जुलाई में मुद्रास्फीति 1.55% पर आ गई थी, जो RBI के 2-6% के लक्ष्य से नीचे है। यह संकेत देता है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बन सकती है, हालांकि RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह पिछले 100 बेसिस पॉइंट की कटौती के प्रभाव को देखना चाहता है। इसी सप्ताह बैंक ऋण एवं जमा वृद्धि और विदेशी मुद्रा भंडार की ताजा स्थिति भी सामने आएगी, जो मौद्रिक नीति निर्धारण में सहायक होगी। अमेरिका में 11 सितंबर को अगस्त का मुद्रास्फीति आंकड़ा जारी होगा, जो फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति के लिए निर्णायक होगा। जुलाई में अमेरिकी मुद्रास्फीति 2.7% थी, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगस्त में यह थोड़ा बढ़ सकता है। इसके साथ ही अमेरिकी साप्ताहिक रोजगार डेटा और मिचिगन विश्वविद्यालय के प्रारंभिक मुद्रास्फीति अपेक्षाएं भी निवेशकों की नजर में रहेंगी। वहीं, चीन में 8-12 सितंबर तक 14वीं National People’s Congress की बैठक होने जा रही है, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होगी। इसमें परमाणु ऊर्जा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, राष्ट्रीय उद्यान, खतरनाक रसायनों के प्रबंधन और साइबर सुरक्षा कानून के संशोधन जैसे विषय शामिल हैं। ये फैसले वैश्विक आर्थिक माहौल पर प्रभाव डाल सकते हैं
यूरोप में भी ECB की 11 सितंबर को होने वाली ब्याज दर बैठक पर ध्यान रहेगा, जहां अधिकांश विशेषज्ञ मौजूदा 2.15% दर को अपरिवर्तित रहने का अनुमान लगा रहे हैं। जापान की दूसरी तिमाही की GDP वृद्धि के नए आंकड़े भी निवेशकों के लिए अहम होंगे, जिसमें 0.3% की वृद्धि दर्ज हुई है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने पिछले सप्ताह भी भारी बिकवाली जारी रखी, उन्होंने लगभग ₹5,667 करोड़ के शेयर्स बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने लगभग ₹13,444 करोड़ की खरीदारी की, जिससे बाजार को कुछ हद तक स्थिरता मिली। विदेशी निवेशकों की निकासी और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता से भारतीय रुपया भी कमजोर रहा और सप्ताह के अंत में यह डॉलर के मुकाबले 88.1430 के स्तर पर बंद हुआ। रुपया इस समय उतार-चढ़ाव भरे दौर से गुजर रहा है और विशेषज्ञ अगले सप्ताह भी इसकी अस्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं। IPO बाजार भी अगले सप्ताह सक्रिय रहने वाला है, जिसमें दस नए IPO लॉन्च होंगे। इनमें मुख्य बोर्ड पर Urban Company, Shringar House of Mangalsutra और Dev Accelerator शामिल हैं, जिनका कुल मूल्य लगभग ₹2,444 करोड़ है। इसके अलावा SME सेक्टर से सात नए IPO भी बाजार में आएंगे। पिछले सप्ताह शुरू हुए SME IPO जैसे Austere Systems, Vigor Plast India और Sharvaya Metals की बिक्री भी अगले सप्ताह बंद होगी
सात कंपनियां बाजार में लिस्टिंग के लिए तैयार हैं, जिनमें Amanta Healthcare मुख्य बोर्ड से है जबकि बाकी SME सेक्टर की हैं। तकनीकी दृष्टिकोण से Nifty 50 ने पिछले सप्ताह एक बुलिश कैंडल बनाई है, लेकिन उच्च स्तर पर बेचने का दबाव भी दिखा। 24,400 से 25,000 के बीच यह रेंज सीमित रहने की संभावना है। 25,000 के ऊपर ब्रेकआउट होने पर 25,200-25,250 तक तेजी आ सकती है, जबकि 24,400 के नीचे गिरावट 24,300 तक जा सकती है, जिससे बाजार में कमजोरियों का दबाव बढ़ेगा। ऑप्शंस मार्केट की स्थिति भी इसी दिशा में संकेत देती है जहां 25,000 कॉल और 24,000 पुट पर सबसे अधिक ओपन इंटरेस्ट है। भारत VIX, जो निवेशकों की भावना का पैमाना है, पिछले सप्ताह लगभग दो साल के निचले स्तर 10.78 पर आ गया, जो बाजार में अल्पकालिक स्थिरता के साथ संभावित तीव्र उतार-चढ़ाव की चेतावनी भी देता है। कुल मिलाकर, Dalal Street पर अगले सप्ताह सतर्कता और संयम की जरूरत होगी। घरेलू आर्थिक सुधार और GST के सकारात्मक प्रभाव से बाजार को कुछ मजबूती मिलेगी, लेकिन वैश्विक व्यापार तनाव, विदेशी निकासी और मुद्रास्फीति डेटा पर नजर रखने की आवश्यकता है। निवेशक और बाजार विशेषज्ञ दोनों इस जटिल माहौल में संतुलित कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं