भारत में Quantitative PMS का धमाकेदार उछाल, निवेशकों की पसंद बन रहा Algorithmic Investing

Saurabh
By Saurabh

भारत में Quantitative और factor-based Portfolio Management Services (PMS) तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। देश के High-Net-Worth Individuals (HNIs) अब पारंपरिक निवेश विधियों से हटकर डेटा-संचालित और algorithmic रणनीतियों की ओर रुख कर रहे हैं ताकि वे बाजार के सामान्य benchmarks से बेहतर रिटर्न हासिल कर सकें। PMS AIF World की अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल लॉन्च हुए लगभग आधे नए PMS स्ट्रैटेजी quantitative या factor-based मॉडल पर आधारित हैं। यह निवेशकों के बीच manager-driven, discretionary तरीके से दूर हटकर एक नई क्रांति का संकेत है। इस साल भारत में Qode Advisors के All Weather Growth और Tactical Funds, ArthAlpha Machine Learning Quant PMS, और Elever Adviser FactorCore PMS जैसी पांच quant-oriented नई PMS योजनाएं बाजार में आई हैं। ये योजनाएं algorithmic मॉडल, momentum indicators, और methodical data analytics का उपयोग कर निवेश के अवसर तलाशती हैं। लगभग एक साल पहले तक “quant” लेबल वाली PMS लॉन्च लगभग न के बराबर थीं, लेकिन अब भारत के अमीर निवेशक structured data मॉडल पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं, बजाय परंपरागत human intuition के। विश्लेषकों के अनुसार, यह बदलाव वैश्विक निवेश की दिशा में भी देखने को मिलता है, जहां quant आधारित रणनीतियां पहले institutional निवेशकों तक सीमित थीं, अब व्यापक स्तर पर लोकप्रिय हो रही हैं। प्रदर्शन के आंकड़े भी इस बदलाव का समर्थन करते हैं। पिछले छह महीनों में quant PMS रणनीतियों ने 10% से 17% तक रिटर्न दिए, जो BSE 500 TRI (7.19%) और Nifty 50 TRI (5.53%) जैसे प्रमुख benchmarks से कहीं बेहतर प्रदर्शन है

इसके विपरीत, MoneyGrow PMS और Dynamic Equities Bluechip PMS जैसी गैर-quant योजनाएं फ्लैट या नकारात्मक रिटर्न दे रही हैं, जो systematic models की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है। जहां discretionary multi-cap और small-cap PMS अभी भी कुल AUM में ज्यादा हिस्सेदारी रखते हैं, वहीं quant-driven रणनीतियां तेजी से अपनी जगह बना रही हैं। 2024 से अब तक नए PMS लॉन्च का 40-50% हिस्सा quant मॉडल का है, जो HNIs के algorithmic निवेश में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। Qode Advisors के All Weather और Tactical मॉडल, Capitalmind SmartCore, और ArthAlpha Quant PMS जैसी नई quant PMS योजनाएं मिलकर लगभग ₹160 करोड़ का प्रबंधन कर रही हैं, यानी प्रति योजना औसतन ₹40 करोड़। हालांकि यह राशि discretionary योजनाओं के ₹80 करोड़ के औसत AUM से कम है, लेकिन लॉन्च के समय ₹15 करोड़ से नीचे की तुलना में यह एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जो डेटा आधारित निर्णय लेने की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। भारत की डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार जैसे Aadhaar, UPI सिस्टम और कॉर्पोरेट वित्तीय डेटाबेस quant निवेश के लिए मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं। ये डेटा स्रोत predictive factor modelling और AI-driven analytics को सक्षम बनाते हैं, जिससे fund managers behavioral biases से बचकर portfolio discipline बनाए रख सकते हैं। विशेषज्ञ इस उछाल को अमेरिका के early 2010s में आए “quant renaissance” से जोड़ते हैं, जब momentum, quality, और low-volatility जैसे factor मॉडल पर आधारित रणनीतियों ने दशकों तक पारंपरिक discretionary फंड्स को पछाड़ा। जैसे-जैसे automation, AI और data analytics निवेश प्रबंधन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं, quant PMS फंड भारत में अगले धन सृजन के चरण में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार लगते हैं। यह बदलाव केवल निवेशकों की पसंद में बदलाव नहीं है, बल्कि वित्तीय निर्णय लेने के तरीके में एक मौलिक परिवर्तन है, जो इंस्टींक्स से बुद्धिमत्ता की ओर बढ़ रहा है

इस नए युग में, quant PMS फंड्स निवेशकों को अधिक पारदर्शिता, नियंत्रण, और बेहतर रिटर्न की उम्मीद दे रहे हैं, जो भारत के वित्तीय परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकते हैं

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