यह सप्ताह भारतीय शेयर बाजार के लिए मिश्रित लेकिन उत्साहजनक रहा। अक्टूबर के इस Diwali सप्ताह में BSE Midcap और Smallcap indices ने मुख्य सूचकों से बेहतर प्रदर्शन दिखाया। BSE Midcap ने 0.5 प्रतिशत की बढ़त हासिल की, जबकि Smallcap ने 1 प्रतिशत से अधिक की मजबूती दिखाई। वहीं BSE Sensex ने 259.69 अंकों की तेजी के साथ 84,211.88 पर बंद किया और Nifty50 ने भी 85.3 अंकों की तेजी के साथ 25,795.15 के स्तर पर समाप्त किया। अक्टूबर के पूरे महीने में दोनों प्रमुख सूचकांक लगभग 5 प्रतिशत की बढ़त के साथ निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। इस सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने शुद्ध खरीदारी का रुख अपनाया और लगभग Rs 342.74 करोड़ के शेयर खरीदे। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) लगातार 27वें सप्ताह खरीदारी कर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने Rs 5,945.31 करोड़ के शेयर खरीदे। अक्टूबर माह में अब तक FII ने Rs 244.02 करोड़ के शेयर बेचे हैं जबकि DII ने भारी खरीदारी करते हुए Rs 33,989.76 करोड़ के शेयर खरीदे हैं, जो घरेलू निवेशकों की बाजार में मजबूत रुचि को दर्शाता है। सेक्टोरल स्तर पर देखा जाए तो Nifty IT index ने 3 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़त दर्ज की, PSU Bank ने 2 प्रतिशत की मजबूती दिखाई, जबकि Nifty Metal और Nifty Media indices क्रमशः 1.5 और 1.3 प्रतिशत ऊपर गए। Nifty Oil & Gas index ने भी 1 प्रतिशत की बढ़त हासिल की
हालांकि, Nifty FMCG और Auto sectors में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में कुछ क्षेत्र अभी भी दबाव में हैं। विशेषज्ञों ने इस सप्ताह की बाजार स्थिति को लेकर मिश्रित विचार व्यक्त किए। Vinod Nair, Head of Research, Geojit Investments ने बताया कि इस सप्ताह सम्राट 2082 के आगमन के साथ बाजार में त्योहारों से प्रेरित उत्साह देखने को मिला। उपभोक्ता मांग में तेजी और मजबूत घरेलू खर्च ने बाजार को समर्थन दिया। PSU बैंकिंग सेक्टर ने बेहतर परिणाम और संभावित एकीकरण की खबरों से बाजार को मजबूत किया। हालांकि, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और लाभ निकालने की प्रक्रिया ने बाजार की गति को कुछ हद तक धीमा किया। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ाई है। अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा रूस के तेल उद्योग पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण वैश्विक आपूर्ति पर दबाव बढ़ा है, जिससे महंगाई और भारत के आयात बिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। वैश्विक स्तर पर भी बाजार की दिशा प्रमुख केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीतियों पर निर्भर करेगी
अगले सप्ताह FED और ECB की ब्याज दर से संबंधित घोषणाएं निवेशकों के रुख को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, भारत-यूएस व्यापार वार्ता में प्रगति से भी बाजार में सकारात्मकता बढ़ने की उम्मीद है। BSE Small-cap index ने इस सप्ताह लगभग 1 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की, जिसमें Bhageria Industries, Mafatlal Industries, DCB Bank, Shipping Corporation of India, Rajratan Global Wire और Utkarsh Small Finance Bank जैसे शेयर 21 से 36 प्रतिशत तक उछले। वहीं Stallion India, Fluorochemicals, Gallantt Ispat, Indo Thai Securities, Uniparts India, Kellton Tech Solutions, Genesys International Corporation, Astec Lifesciences और Tanla Platforms जैसे शेयर दबाव में रहे। तकनीकी विश्लेषकों के अनुसार, Nifty50 अगले 1-2 सत्रों में अस्थिरता दिखा सकता है, लेकिन इसके बाद मजबूत रैली की संभावना है। LKP Securities के Senior Technical Analyst Rupak De के मुताबिक, 25,850 के ऊपर Nifty 26,000 से 26,200 के स्तर तक पहुंच सकता है। वहीं Motilal Oswal Financial Services के Head of Research Siddhartha Khemka ने कहा कि Kotak Mahindra Bank के तिमाही नतीजों के आने के बाद बाजार की दिशा स्पष्ट होगी। उन्होंने बताया कि बाजार वैश्विक संकेतों, Q2 नतीजों और मैक्रो-आर्थिक डेटा को ध्यान में रखते हुए सीमित दायरे में कारोबार कर सकता है। FII की खरीदारी और सकारात्मक प्रबंधन टिप्पणियां बाजार की तेजी को बनाए रख सकती हैं, हालांकि समय-समय पर मुनाफा निकालने की प्रवृत्ति भी बनी रहेगी। HDFC Securities के Senior Technical Research Analyst Nagaraj Shetti ने कहा कि Nifty के साप्ताहिक चार्ट पर एक छोटा नकारात्मक कैंडल बना है, जो उच्च स्तर पर समेकन का संकेत देता है
उन्होंने कहा कि निफ्टी का निकट भविष्य सकारात्मक है, लेकिन छोटी अवधि में बिकवाली का दबाव बना हुआ है। उन्होंने 25,600-25,500 के स्तर को मजबूत सहायता क्षेत्र बताया, जहां गिरावट पर खरीदारी का मौका मिल सकता है। वहीं, तत्कालीन प्रतिरोध 25,950 के स्तर पर है। कुल मिलाकर, इस सप्ताह भारतीय बाजार ने त्योहारों के बीच उत्साह और निवेशकों की मजबूत रुचि के कारण बढ़त बनाई है। घरेलू और विदेशी निवेशकों की खरीदारी, बेहतर तिमाही नतीजे और सेक्टरल मजबूती ने बाजार को सपोर्ट दिया है। हालांकि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक जोखिम अभी भी सतर्क रहने की जरूरत बताते हैं। आने वाले सप्ताह में FED-ECB की घोषणाएं और भारत-यूएस व्यापार वार्ता बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी