रुपए की गिरावट के बीच TCS के Q2 Earnings और विदेशी निवेशकों की बेचैनी से शेयर बाजार में बढ़ा तनाव!

Saurabh
By Saurabh

भारतीय शेयर बाजार इस सप्ताह एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है, जहां निवेशकों की निगाहें खासतौर पर IT दिग्गज TCS के Q2 FY26 के नतीजों पर टिकी हैं। साथ ही, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो बाजार की अनिश्चितता को और बढ़ा रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने सितंबर में भारतीय इक्विटीज से भारी निकासी की है, जिससे बाजार में दबाव बना हुआ है। सितंबर महीने में FPIs ने करीब 23,885 करोड़ रुपये (लगभग 2.7 अरब डॉलर) की निकासी की है, जिससे इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत से अब तक कुल आउटफ्लो 1.58 लाख करोड़ रुपये (17.6 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस सप्ताह बाजार की दिशा तय करने में कई कारक अहम भूमिका निभाएंगे। सबसे पहले, TCS के Q2 FY26 के नतीजों से निवेशकों को IT सेक्टर की हालत का पता चलेगा, जो इस बार कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में H-1B वीजा शुल्क में 100,000 डॉलर की भारी वृद्धि, ट्रंप प्रशासन की ओर से प्रस्तावित 25% आउटसोर्सिंग टैक्स और हाल ही में हुई छंटनी जैसे मुद्दे IT सेक्टर के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। TCS के मैनेजमेंट कमेंट्री से यह स्पष्ट होगा कि इन चुनौतियों का कंपनी के व्यवसाय पर क्या प्रभाव पड़ा है, साथ ही भविष्य में हायरिंग, डील्स और AI इनिशिएटिव्स की प्रगति के बारे में भी संकेत मिलेंगे। मैक Macroइकॉनॉमिक स्तर पर भी इस सप्ताह कई महत्वपूर्ण डेटा रिलीज होंगे। HSBC के सर्विसेज और कंपोजिट PMI के साथ बैंकिंग सेक्टर के लोन तथा डिपॉजिट ग्रोथ के आंकड़े बाजार की दिशा निर्धारित करने में सहायक होंगे

इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर अमेरिका के FOMC मिनट्स, बेरोजगारी दावों और कंज्यूमर सेंटिमेंट डेटा पर भी नजर रखी जाएगी, खासकर उस स्थिति में जब अमेरिकी सरकार के शटडाउन के कारण कई आर्थिक आंकड़ों की रिलीज़ में देरी हो रही है। रुपया का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरना भी निवेशकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस कमजोर स्थानीय मुद्रा की स्थिति से विदेशी निवेशकों की बेचैनी बढ़ी है और इससे बाजार में दबाव बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया की चाल को लेकर आने वाले दिनों में भी सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को सीधे प्रभावित कर सकता है। प्राइमरी मार्केट में भी इस सप्ताह बड़ी गतिविधि देखने को मिलेगी। Tata Capital और LG Electronics के बड़े IPOs की घोषणा होने वाली है, जो निवेशकों के बीच उत्साह का माहौल बनाएगी। इससे बाजार में तरलता बढ़ने की उम्मीद है, जो इक्विटी बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा सकता है। पिछले सप्ताह BSE सेंसेक्स में 780.71 अंकों की बढ़त दर्ज की गई, जो 0.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बराबर है। वहीं, Nifty ने भी 239.55 अंक या 0.97 प्रतिशत की बढ़त के साथ सप्ताह समाप्त किया। Vinod Nair, Head of Research, Geojit Investments Limited ने कहा कि RBI की हालिया आर्थिक विकास की नीति की पुष्टि से निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ है, जिसके कारण बाजार में सकारात्मक रुख देखने को मिला

विशेषज्ञों का मानना है कि इस सप्ताह IT सेक्टर की स्थिति को लेकर आने वाली रिपोर्ट और मैनेजमेंट की टिप्पणियां सेक्टर की भावनाओं को प्रभावित करेंगी। Ponmudi R, CEO – Enrich Money ने कहा कि निवेशक इस बार खासतौर पर टैरिफ, वीजा लागत, हायरिंग की स्थिति, डील विंस, डिस्क्रेशनरी टेक खर्च और AI प्रोजेक्ट्स की प्रगति पर ध्यान देंगे। इन कारकों के आधार पर अगले हफ्तों में IT सेक्टर की दिशा तय होगी। विश्व स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय बाजार की चाल भी उतार-चढ़ाव भरी बनी हुई है। विदेशी निवेशकों के लगातार बिकवाली के दबाव और कमजोर रुपये की वजह से बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। हालांकि, मजबूत IPO एक्टिविटी और महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा से बाजार को सहारा मिलने की उम्मीद है। इस प्रकार, आने वाले दिनों में TCS के Q2 के नतीजे और ग्लोबल मैक्रोइकॉनॉमिक अपडेट्स के आधार पर भारतीय शेयर बाजार की दिशा स्पष्ट होगी। निवेशक इन संकेतकों पर गहरी नजर रखे हुए हैं ताकि वे बाजार के अगले रुख का अंदाजा लगा सकें

Share This Article
By Saurabh
Follow:
Hello friends, my name is Saurabh Sharma. I am a digital content creator. I really enjoy writing blogs and creating code. My goal is to provide readers with simple, pure, and quick information related to finance and the stock market in Hindi.
Leave a comment
Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes