Avendus Wealth Management के Chief Investment Officer Saurabh Rungta ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि GST 2.0 सुधारों के बाद भी भारत में सुधार की गति जारी रहेगी, चाहे वह टैक्सेशन हो, मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव्स हों या वित्तीय क्षेत्र का गहरा विकास। उनका मानना है कि ये छोटे-छोटे सुधार भारत की 6-7% की आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखने और निवेशकों का भरोसा मजबूत करने के लिए अत्यंत जरूरी हैं। Rungta ने बताया कि FY27 में डबल डिजिट यानी 10-18% के बीच की कमाई वृद्धि (earnings growth) संभव दिख रही है। उन्होंने खासतौर पर Banking, Industrials, Manufacturing-Linked sectors और कुछ चुनिंदा Consumer categories को इस बढ़ोतरी के लिए बेहतर स्थिति में बताया। उनके अनुसार, पिछले दशक में कॉर्पोरेट्स ने अपने कर्ज को कम किया है, बैलेंस शीट्स मजबूत हुई हैं, सरकार की ओर से कैपेक्स (capex) बढ़ा है और नीति सुधार जैसे पिछले साल के टैक्स कटौती, GST सुधार और Make in India अभियान ने इस चक्र को समर्थन दिया है। भारत का शेयर बाजार विश्व स्तर पर सबसे टिकाऊ बाजारों में से एक माना जाता है, लेकिन पिछले एक साल के रिटर्न्स की तुलना अगर US, Emerging Markets या Developed Markets से की जाए तो भारत की तुलना में वे कमज़ोर रहे हैं। हालांकि, Valuations अब सस्ते नहीं रह गए हैं, लेकिन भारत की Structural Growth Premium के संदर्भ में ये उचित नजर आते हैं। Domestic flows मजबूत बने हुए हैं, लेकिन Global निवेशकों की फिर से भागीदारी आवश्यक है। फिलहाल बाजार वैश्विक संकेतों विशेषकर Indo-US रिश्तों में स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं, इससे पहले कि वे कोई निर्णायक कदम उठाएं। GST दरों के Rationalisation पर Rungta ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है
इससे Compliance सरल होगा, Consumption को बढ़ावा मिलेगा और सरकार की आय में दीर्घकालिक सुधार होगा क्योंकि वॉल्यूम ग्रोथ कम दरों के प्रभाव को पार कर जाएगी। ऐसे नीति सुधार बाजारों में विश्वास बढ़ाने का काम करते हैं। भले ही वैश्विक कारकों के कारण डाउनसाइड रिस्क पूरी तरह खत्म नहीं हो सकता, लेकिन घरेलू सुधार भारत की स्थिरता को अन्य देशों की तुलना में बेहतर बनाते हैं। उपभोक्ता खर्च (consumption) में सुधार की उम्मीद की जा रही है, हालांकि इसका असर FY26 में ज्यादा दिखाई देगा। ग्रामीण क्षेत्र की रिकवरी, बेहतर रियल वेज और त्योहारी सीजन में खर्च के बढ़ने से उम्मीद जताई जा रही है कि इस दीवाली सीजन में अच्छी बिक्री होगी। GST सुधार से उपभोक्ता खर्च में कई तिमाहियों तक स्थिर सुधार होगा, जिससे आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी। RBI की मौद्रिक नीतियों के बारे में Rungta ने कहा कि RBI ने मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन अच्छा रखा है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर दरों में कटौती की संभावना कम है। RBI संभवतः व्यापक मौद्रिक ढील के बजाय तरलता उपकरणों और लक्षित उपायों पर ज्यादा भरोसा करेगा। यदि US Fed कहीं अधिक कटौती करता है, तो RBI के लिए कुछ और ढील देने की जगह बन सकती है
आगे के सुधारों को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार टैक्सेशन, मैन्युफैक्चरिंग इंसेंटिव्स और वित्तीय क्षेत्र के और गहरे विकास जैसे क्षेत्रों में सुधारों की गति जारी रखेगी। ये छोटे-छोटे सुधार भारत की 6-7% आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखने और कॉर्पोरेट कमाई को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। समय के साथ ये कदम पूंजी बाजारों को गहरा बनाते हैं और निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाते हैं, जो मैक्रो आर्थिक विकास को वास्तविक धन सृजन में बदलने के लिए जरूरी है। इस प्रकार, Saurabh Rungta ने स्पष्ट किया कि GST 2.0 के बाद न केवल आर्थिक सुधारों की लहर जारी रहेगी, बल्कि भारतीय शेयर बाजार में भी मध्यम अवधि में मजबूत प्रदर्शन देखने को मिलेगा। Banking, Industrials और Manufacturing जैसे सेक्टर्स के मजबूत आधार और सरकार की नीतिगत पहल निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत हैं। हालांकि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं बनी रहेंगी, घरेलू सुधारों की वजह से भारत का शेयर बाजार अपने आप को एक स्थिर और आकर्षक निवेश मंच के रूप में स्थापित कर रहा है। Rungta के विचारों से स्पष्ट होता है कि भारत की आर्थिक विकास यात्रा में GST सुधारों ने एक नई गति दी है, और आने वाले वर्षों में यह बाजार में निवेशकों के लिए अवसरों की भरमार लाएगा। इसलिए निवेशकों को चाहिए कि वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय इक्विटी बाजार पर नजर रखें क्योंकि यह बाजार अब वैश्विक परिदृश्य में मजबूती से अपनी जगह बना रहा है