भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में GIFT City के International Financial Services Centre (IFSC) को लेकर जोश और उम्मीदें चरम पर हैं। यह केंद्र अब केवल विदेशी निवेशकों के लिए भारत में पूंजी लाने का रास्ता नहीं रह गया है, बल्कि भारतीय निवेशकों के लिए भी विदेशों में निवेश का द्वार खोल रहा है। हाल ही में हुए Mutual Fund Summit, Bangalore Edition में विशेषज्ञों ने इस बदलाव की संभावनाओं पर चर्चा की, लेकिन साथ ही कुछ अहम अड़चनों की भी पोल खोल दी। Mirae Asset Investment Managers के Vaibhav Shah ने इस बदलाव को बखूबी बयां किया, उन्होंने कहा कि “GIFT City अब केवल ग्लोबल कैपिटल को भारत में आकर्षित करने का केंद्र नहीं है, बल्कि भारतीय निवासियों को भी वैश्विक निवेश करने की सुविधा दे रहा है। ” यह एक बड़ा मोड़ है, जहां पहले यह केंद्र केवल देश में पूंजी लाने के लिए था, अब यह ‘लोकल-प्लस-ग्लोबल’ प्लेटफॉर्म बनता जा रहा है। लेकिन Vaibhav Shah ने साफ कहा कि भले ही योजना अच्छी हो, लेकिन कार्यान्वयन में अभी काफी सुधार की जरूरत है। उनका मानना है कि “GIFT City का बैंकिंग सिस्टम अभी उतना मजबूत नहीं है जितना कि म्यूचुअल फंड भुगतान प्रणाली होनी चाहिए। जब यह समस्या हल हो जाएगी, तो रिटेल निवेशकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ सकती है। ” GIFT City से जुड़े सभी वैश्विक निवेश लेनदेन अभी भी Liberalised Remittance Scheme (LRS) की सीमा के अधीन हैं, और रिटेल निवेशकों में इस नियम की जानकारी कम है, जो एक बड़ी बाधा बनी हुई है। वहीं, PPFAS Mutual Fund के Neil Parekh ने कहा कि आज GIFT City के माध्यम से रिटेल फंड्स को $5,000 या $10,000 के न्यूनतम निवेश के साथ लॉन्च किया जा सकता है, जिससे रिटेल भागीदारी बढ़ सकती है
लेकिन Parekh ने यह भी स्वीकार किया कि डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में अभी सुधार की जरूरत है ताकि निवेशकों को इसे समझना और अपनाना आसान हो सके। टैक्स और संरचनात्मक कमियों ने इस पूरे प्रयास को कुछ हद तक रोक रखा है। Parekh का कहना है कि “GIFT City से लॉन्च किए गए फंड्स में हर बिक्री पर टैक्स लगता है, जो निवेशकों के लिए अच्छा नहीं है। ” टैक्स के कारण न केवल उत्पादों की डिजाइनिंग प्रभावित होती है, बल्कि निवेशकों के व्यवहार पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। Vaibhav Shah ने इसके लिए एक व्यावहारिक विकल्प सुझाया—फीडर फंड स्ट्रक्चर जिसमें मुख्य फंड कम टैक्स वाले देशों में हो। उन्होंने कहा कि यह तरीका निवेशकों के लिए वैश्विक निवेश को अधिक टैक्स-कुशल बनाता है। इसके अलावा GIFT City से लॉन्च किए गए फंड्स में ₹10 लाख तक के निवेश पर 20% Tax Collected at Source (TCS) नहीं लगता, जो एक आकर्षक व्यावसायिक प्रोत्साहन है। फीडर फंड की प्रासंगिकता भी इस मामले में बनी हुई है। PGIM India Mutual Fund के Abhishek Tiwari ने बताया कि पारंपरिक फीडर फंड रूट अभी भी मजबूत है क्योंकि यह लगभग ₹1000 की SIP के माध्यम से निवेश की सुविधा देता है और ऑपरेशन में सरलता के कारण निवेशकों के लिए यह आकर्षक विकल्प है। मतलब यह कि GIFT City के माध्यम से सीधे वैश्विक निवेश एक नया और आकर्षक विकल्प है, लेकिन फीडर फंड मार्ग अपनी उपयोगिता और सहजता के कारण अभी भी लोकप्रिय है, खासकर छोटे निवेशकों के लिए
वैश्विक थीम आधारित निवेश की बात करें तो यह एक बड़ा आकर्षण है। Vaibhav Shah ने बताया कि GIFT City के आउटबाउंड फंड में ऐसे थीम शामिल हैं जो भारत में बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं हैं, जैसे कि semiconductors, AI, digital infrastructure, और data centres। Abhishek Tiwari ने भी इस बात पर जोर दिया कि mobility जैसे वैश्विक विषय 38% की कंपाउंड ग्रोथ से बढ़ रहे हैं, और यदि निवेशक इस क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं तो उन्हें वैश्विक बाजारों की ओर देखना होगा। यह थीम-आधारित निवेश इस पूरे प्रयास का मूल कारण है, जिससे भारतीय निवेशक उन क्षेत्रों में भी निवेश कर सकेंगे जिनमें भारत का बाजार अभी विकसित नहीं हुआ है। हालांकि GIFT City के पास न्यूनतम निवेश राशि को कम करने, वैश्विक पहुंच प्रदान करने, और थीम आधारित निवेश के जरिए नए अवसर प्रदान करने की ताकत है, लेकिन बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, LRS नियमों की समझ, टैक्स की जटिलताएं, फीडर फंड और डायरेक्ट फंड स्ट्रक्चर के बीच संतुलन, और ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। ये सभी बातें इस नए प्लेटफॉर्म की सफलता के लिए अनिवार्य हैं। इसलिए, जहां भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री GIFT City को लेकर उत्साहित है, वहीं यह भी समझ रही है कि इस उत्साह को वास्तविक सफलता में बदलने के लिए अभी कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हल होनी बाकी हैं। अगर ये समस्याएं दूर हो जाती हैं तो GIFT City भारतीय निवेशकों के लिए वैश्विक निवेश का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है