भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 21 पैसे कमजोर होकर 88.40 पर खुला। पिछले कुछ महीनों में लगातार गिरावट दर्ज करने वाले Indian Rupee के इस नए निचले स्तर ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, खासकर उन लोगों में जो Global Investments में रुचि रखते हैं। मुद्रा अवमूल्यन की यह जोखिम कई निवेशकों के लिए एक बड़ा सवाल बन गई है कि क्या विदेशों में निवेश करना अभी सही रहेगा या नहीं। हालांकि, Moneycontrol के Mutual Fund Summit में, जो 27 अक्टूबर को बंगलुरु में आयोजित हुआ, Mirae Asset Investment Managers (India) के Vaibhav Shah और PPFAS के CEO Neil Parikh ने इस चिंता को कम करते हुए कहा कि Currency Risk को Diversification के जरिए प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकता है। Neil Parikh ने कहा, “Currency Risk हमेशा रहेगा, लेकिन जब आप ग्लोबल मार्केट्स में निवेश करते हैं तो Diversification आपके Portfolio Risk को घटाता है। Currency depreciation पर निवेशक के हाथ कुछ नहीं होता। ” Vaibhav Shah ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान परिस्थिति में Currency Risk निवेशकों के पक्ष में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “अगर Rupee depreciate होने वाला है तो Global Investing निवेशकों को पहले से ही 2 से 3 प्रतिशत का फायदा देता है, इसलिए इस मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है। ” उन्होंने आगे बताया कि, भारत पिछले 10 से 15 वर्षों में रुपये के लिहाज से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले मार्केट्स में से एक रहा है, लेकिन डॉलर के हिसाब से इसकी रिटर्न्स लगभग 8 से 9 प्रतिशत ही रही हैं। इसके विपरीत, S&P 500 ने डॉलर टर्म्स में लगभग 13 से 14 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, और Taiwan Market ने 12 से 13 प्रतिशत के बीच रिटर्न दिया है
इसका मतलब यह हुआ कि कई ऐसे मार्केट्स हैं जिन्होंने डॉलर के लिहाज से भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है। Vaibhav Shah ने यह भी बताया कि Mirae Asset जैसे Fund House उन Global Themes में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं जो आने वाले 5 से 10 वर्षों में तेजी से बढ़ने वाले हैं, जैसे कि Artificial Intelligence, Semiconductors, Blockchain और Disruptive Materials। उन्होंने कहा, “भारत में इन चार थीम्स पर लिस्टेड कंपनियों की संख्या बहुत कम है, शायद पांच से भी कम। इसलिए अगर कोई निवेशक बड़े और भविष्य के संभावित उभरते हुए सेक्टर्स में निवेश करना चाहता है, तो Global Investing करना फायदेमंद है, भले ही Currency Risk हो। ” इस तरह, Currency Depreciation के बावजूद Global Investing न सिर्फ Currency Advantage देता है, बल्कि निवेशकों को एक व्यापक और उच्च विकास क्षमता वाले स्टॉक्स की यूनिवर्स भी उपलब्ध कराता है, जो घरेलू मार्केट में सीमित है। हाल ही में RBI ने भी कहा है कि Rupee पर Speculative Attack हो सकता है और आवश्यकतानुसार Intervention करेगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि Currency Volatility बनी रहेगी। ऐसे में Diversification और Global Exposure निवेशकों के लिए जोखिम प्रबंधन के अहम हथियार बनकर उभर रहे हैं। इस चर्चा से यह साफ होता है कि मुद्रा के कमजोर होने के बावजूद Global Markets में निवेश को नजरअंदाज करना निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं होगा। Currency Risk को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं, लेकिन सही रणनीति और Diversification के जरिए इस जोखिम को कम किया जा सकता है। वर्तमान आर्थिक और वित्तीय माहौल में, जहां Indian Rupee के मुकाबले डॉलर मजबूत होता जा रहा है, Global Investing निवेशकों को बेहतर रिटर्न्स के साथ-साथ जोखिम को भी संतुलित करने का मौका प्रदान करता है
यह स्थिति निवेशकों को विदेशी बाजारों की ओर आकर्षित कर रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तकनीकी और नवाचार आधारित कंपनियां तेजी से उभर रही हैं। अंततः, विशेषज्ञों का मानना है कि Currency Depreciation को देखते हुए Global Investment Portfolio में Diversification एक जरूरी कदम है, जो न केवल Currency Risk को संभालता है बल्कि निवेशकों को बेहतर Growth Opportunities भी प्रदान करता है। भारतीय निवेशक अब सिर्फ घरेलू मार्केट तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपने निवेश को फैलाना चाहते हैं ताकि वे लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न्स हासिल कर सकें। इसलिए Indian Rupee के गिरते दामों के बीच Global Investing की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जो निवेशकों को Currency Fluctuations के प्रभाव से बचाते हुए बेहतर संभावनाओं के दरवाजे खोलता है