भारत के पब्लिक सेक्टर बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार की योजना है कि वे PSBs (Public Sector Banks) में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत तक ले जाएं। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे भारतीय पब्लिक सेक्टर बैंकों के शेयरों में लगभग $4 बिलियन का विदेशी निवेश आ सकता है, जो MSCI इंडेक्स के माध्यम से होगा। इस कदम से निजी बैंक और सार्वजनिक बैंक के बीच विदेशी निवेश की सीमा का अंतर काफी हद तक समाप्त हो जाएगा। वर्तमान में, PSU (Public Sector Undertaking) बैंक में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा 20 प्रतिशत है, जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंक में यह सीमा 74 प्रतिशत तक है। इस नई योजना के तहत, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भी विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उनकी बाजार में हिस्सेदारी में इजाफा होगा। Nuvama Alternative & Quantitative Research के अनुसार, वर्तमान में PSU बैंकों में विदेशी निवेश लगभग 4.5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच है, जो 20 प्रतिशत की अधिकतम सीमा से काफी कम है। इसलिये विदेशी निवेशकों के लिए अभी भी काफी जगह बची हुई है। Nuvama के विश्लेषण में यह भी बताया गया है कि 49 प्रतिशत तक की विदेशी निवेश सीमा से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बड़े पैमाने पर पैसिव इनफ्लो (passive inflows) आ सकते हैं। MSCI इंडेक्स इस बदलाव को लागू करने के लिए कई रिव्यू साइकिल्स के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से कदम उठाएगा
सबसे अधिक लाभ उठाने वाला बैंक State Bank of India (SBI) होगा, जिसे लगभग $2.2 बिलियन का विदेशी निवेश मिलने की संभावना है और इसके MSCI में वेटेज में 1.63 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा Bank of Baroda, Punjab National Bank, Canara Bank और Union Bank of India को भी लगभग $294 मिलियन से $362 मिलियन तक का विदेशी निवेश मिल सकता है। Indian Bank को MSCI में नई शामिल किया जा सकता है, जिससे इसे $459 मिलियन के निवेश का लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर, इन सभी बैंकों में $4 बिलियन के आसपास का विदेशी निवेश आ सकता है, जो उनके शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। हालांकि, Nuvama ने स्पष्ट किया है कि यह अभी तक केवल अटकलें हैं और सरकार की ओर से इस प्रस्ताव की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इस प्रस्ताव को लागू होने में कुछ तिमाहियों का समय लग सकता है, और MSCI इंडेक्स में बदलाव तभी दिखाई देंगे जब सरकारी मंजूरी के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। फिलहाल, यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है लेकिन अगर यह प्रस्ताव सच होता है, तो PSU बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स में 20 से 30 प्रतिशत तक की तेजी देखी जा सकती है। यह कदम भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी वृद्धि होगी। इससे बैंकिंग सेक्टर की मजबूती के साथ-साथ उनके विस्तार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। विदेशी निवेश के इस बढ़ावे से भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता भी मजबूत होगी
इस बदलाव से न केवल SBI बल्कि अन्य बड़े PSU बैंक भी सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। यह कदम विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक बड़ा संकेत माना जायेगा, जो भारतीय बैंकिंग सेक्टर में उनके निवेश को बढ़ावा देगा। MSCI जैसे ग्लोबल इंडेक्स में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ने से विदेशी फंड्स के लिए यह एक आकर्षक निवेश विकल्प बन जाएगा। अभी तक यह प्रस्ताव केवल चर्चा के स्तर पर है और इसे लागू करने के लिए कई तरह की कानूनी और नियामकीय मंजूरी की आवश्यकता होगी। लेकिन यदि केंद्र सरकार इसे मंजूर करती है, तो यह भारत के बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश को लेकर एक नई दिशा तय करेगा। विदेशी निवेश के बढ़ने से बैंकिंग सेक्टर को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और विकास के अवसर प्राप्त होंगे। इस संभावित बदलाव की खबर ने शेयर बाजार में PSU बैंकिंग स्टॉक्स में पहले ही उत्साह भर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही इस प्रस्ताव की आधिकारिक घोषणा होगी, विदेशी निवेशक तेजी से पब्लिक सेक्टर बैंकिंग स्टॉक्स में निवेश करना शुरू कर देंगे। इससे इन स्टॉक्स की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर, PSBs में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने की इस योजना से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में निवेश की नई लहर आ सकती है, जो न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगी बल्कि बाजार में स्थिरता और विकास के लिए भी सहायक होगी
आने वाले महीनों में इस प्रस्ताव की आधिकारिक स्थिति पर नजर बनी रहेगी, क्योंकि इससे भारतीय बैंकिंग सेक्टर के भविष्य की दिशा तय हो सकती है