भारतीय IT सेक्टर की बड़ी कंपनियों ने Q2FY26 में फिर से अपने शेयरधारकों को खुश करने के लिए भारी डिविडेंड्स का ऐलान किया है। TCS, HCL Technologies और Infosys जैसी दिग्गज कंपनियों ने इस बार भी डिविडेंड्स के जरिए निवेशकों का ध्यान खींचा है। खास बात यह है कि टॉप 5 Tier-1 IT कंपनियों में से 4 कंपनियों ने सेकेंड क्वार्टर में इंटरिम डिविडेंड्स की घोषणा की है। हालांकि, इन कंपनियों के शेयर बाजार में प्रदर्शन ने निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। वर्ष की शुरुआत से अब तक इन कंपनियों के स्टॉक्स में 15% से लेकर 26% तक की गिरावट देखी गई है। सवाल यह उठता है कि क्या IT कंपनियां कमजोर कमाई और स्टॉक रिटर्न्स को छुपाने के लिए डिविडेंड और शेयर बायबैक का सहारा ले रही हैं? Q2FY26 के नतीजों को देखें तो TCS ने ₹11 प्रति शेयर का डिविडेंड दिया, जबकि कंपनी की रेवेन्यू ₹65,799 करोड़ रही जो कि QoQ 3.7% बढ़ी है, मगर नेट प्रॉफिट में 5.3% की कमी आई। इसी दौरान TCS के स्टॉक में 16.5% की गिरावट दर्ज हुई। Infosys ने ₹23 प्रति शेयर का डिविडेंड दिया, रेवेन्यू ₹44,490 करोड़ रही जो 5.2% बढ़ी और नेट प्रॉफिट में 6.4% का इजाफा हुआ, बावजूद इसके इसके शेयर में 9.9% की गिरावट आई। HCL Technologies ने ₹12 प्रति शेयर डिविडेंड दिया, रेवेन्यू ₹31,942 करोड़ रहा, नेट प्रॉफिट में 10% का शानदार उछाल देखा गया, लेकिन स्टॉक में 19.8% की गिरावट दर्ज हुई। Tech Mahindra ने ₹15 प्रति शेयर डिविडेंड दिया, रेवेन्यू ₹13,995 करोड़ रहा, नेट प्रॉफिट में 6.4% की बढ़ोतरी हुई, पर स्टॉक 16.9% नीचे गया
Wipro ने इस बार डिविडेंड नहीं दिया, लेकिन रेवेन्यू 2.5% बढ़ा और नेट प्रॉफिट में 2.2% की गिरावट आई, स्टॉक भी 10% नीचे रहा। यह आंकड़े बताते हैं कि चार बड़ी IT कंपनियों ने डिविडेंड तो दिया, मगर उनकी कमाई और शेयर की कीमतें उतनी उत्साहजनक नहीं रहीं। कंपनियों की रेवेन्यू वृद्धि 2.5% से 5.2% के बीच रही, जबकि प्रॉफिट ग्रोथ में TCS और Wipro को छोड़कर बाकी ने मामूली बढ़ोतरी दिखाई। HCL Technologies इस बीच एकमात्र कंपनी रही जिसने नेट प्रॉफिट में 10% की QoQ बढ़ोतरी दर्ज की। मार्च 2023 के बाद से IT कंपनियों ने डबल डिजिट रेवेन्यू ग्रोथ नहीं देखी, जो कोविड काल की डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और क्लाउड सेवा की मांग की वजह से संभव हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि जब कंपनियां कमजोर कमाई और स्टॉक प्रदर्शन के बीच भी लगातार डिविडेंड्स देती हैं, तो इसका मतलब होता है कि उनके पास स्थिर कैश फ्लो है, जो डिविडेंड भुगतान को संभव बनाता है। IT कंपनियां लंबे समय तक चलने वाले IT कॉन्ट्रैक्ट्स से नियमित आय प्राप्त करती हैं, इसलिए वे डिविडेंड दे पाती हैं। लेकिन बिना मजबूत लाभ वृद्धि के शेयर की कीमत बढ़ना मुश्किल होता है। लंबे समय में लगातार डिविडेंड देना बिना कमाई में सुधार के कंपनी के नकदी भंडार पर दबाव डाल सकता है और यह टिकाऊ नहीं रहता। अगर पिछले तीन सालों की बात करें तो HCL Technologies ने 64% का रिटर्न दिया है, जबकि Tech Mahindra ने 47% और Infosys ने 4.8% का रिटर्न दिया
मगर केवल Wipro और TCS के शेयरों ने इस अवधि में कम रिटर्न दिया है। TCS ने 2022 से अब तक कुल 19 डिविडेंड और 2 शेयर बायबैक किए हैं, जिनमें ₹66 का स्पेशल और ₹30 का फाइनल डिविडेंड प्रमुख हैं। इसके बावजूद TCS के शेयर की कीमत पिछले एक साल में लगभग 34% और इस साल 26.3% गिर गई है। Infosys ने हाल ही में ₹23 प्रति शेयर का डिविडेंड दिया है और 11 सितंबर 2025 को ₹18,000 करोड़ के शेयर बायबैक को भी मंजूरी दी है। HCL Technologies ने हर तिमाही डिविडेंड दिया है, लेकिन इस साल इसके शेयर में 22% से अधिक की गिरावट आई है। IT सेक्टर की कमजोर परफॉर्मेंस के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ी वजह वैश्विक मांग में कमी है, खासकर अमेरिका जैसे बड़े बाजारों से IT सेवाओं की मांग धीमी पड़ गई है। इसके अलावा AI और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव से पारंपरिक IT सेवाओं की मांग घट रही है। साथ ही, अमेरिकी सरकार द्वारा H1-B वीजा शुल्क में वृद्धि ने भारतीय IT कंपनियों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। भारत के IT सेक्टर का बड़ा हिस्सा H1-B वीजा धारकों पर निर्भर है, जिनमें से 60-70% भारतीय कर्मचारी होते हैं
नए नियमों के तहत $100,000 के शुल्क ने इस मॉडल को प्रभावित किया है। कुल मिलाकर, भारतीय IT कंपनियां मंदी के बावजूद अपने शेयरधारकों को डिविडेंड्स और बायबैक के जरिए आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं। यह रणनीति निवेशकों को स्थिर रिटर्न देने और उद्योग की चुनौतियों के बीच विश्वास बनाए रखने का प्रयास है। हालांकि, कमजोर कमाई और गिरते स्टॉक प्राइस के कारण निवेशकों को सतर्क रहना होगा कि क्या यह रणनीति दीर्घकालीन रूप से फायदेमंद रहेगी या नहीं