Sebi ने शेयर बाजार में निवेशकों की सुविधा को बढ़ाने के लिए एक अहम प्रस्ताव पेश किया है, जो पुराने physical shares को dematerialise करने और transfer प्रक्रिया को सरल बनाएगा। खासकर उन shares के लिए जो 1 अप्रैल, 2019 से पहले lodged हैं, अब निवेशकों को लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना नहीं पड़ेगा। इस पहल का उद्देश्य निवेशकों के लिए एक अनावश्यक मध्यवर्ती कदम को हटाकर सीधे उनके demat accounts में शेयर क्रेडिट करना है, जिससे पूरी प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी। वर्तमान में, जब कोई निवेशक अपने physical shares का transfer, duplicate certificate जारी करने या transmission का अनुरोध करता है, तो कंपनी या Registrar and Transfer Agent (RTA) उसे ‘Letter of Confirmation’ (LOC) जारी करते हैं। इसके बाद निवेशक को यह LOC अपने Depository Participant (DP) को 120 दिनों के भीतर जमा करना होता है, ताकि shares dematerialise होकर उनके demat account में आ सकें। यदि यह समय सीमा पूरी नहीं होती है, तो shares Suspense Escrow Demat Account (SEDA) में चले जाते हैं, जिससे न केवल निवेशकों को देरी का सामना करना पड़ता है बल्कि कंपनियों और RTAs के लिए भी प्रशासनिक बोझ बढ़ जाता है। Sebi ने इस प्रक्रिया को और अधिक investor-friendly बनाने के लिए LOC जारी करने की जरूरत को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। इस नए framework में, RTAs और listed companies, आवश्यक due diligence के बाद, सीधे निवेशकों के demat accounts में shares क्रेडिट करेंगे। निवेशकों को केवल अपने demat account के Client Master List (CML) की जानकारी देनी होगी। इससे न केवल प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि paperwork भी कम होगा
पुराने shares के transfer से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए Sebi ने एक विशेष छूट (exception) देने का प्रस्ताव रखा है, जो time-bound होगी। इसका मतलब यह है कि कुछ पुराने physical shares, जिनका transfer 1 अप्रैल, 2019 से पहले हुआ था, उन्हें भी अब dematerialise और transfer किया जा सकेगा। यह छूट एक sunset clause के साथ आएगी, ताकि अंततः Sebi का मुख्य उद्देश्य – securities market में maximum dematerialisation – पूरा हो सके। यह कदम Sebi की उन पिछले प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने 1 अप्रैल, 2019 से पहले lodged transfer requests को regularise करने की सुविधा दी थी। तब investors को यह मौका मिला था कि वे rejected transfer requests को 31 मार्च, 2021 तक फिर से lodge कर सकते थे। लेकिन कई investors के लिए यह समयसीमा पूरी करना संभव नहीं हो पाया क्योंकि कुछ sellers के निधन, trace न होने या कंपनियों के dissolve हो जाने जैसी समस्याएं थीं। इन निवेशकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, Sebi ने 7 जुलाई, 2025 से 6 जनवरी, 2026 तक एक विशेष window खोली है, जिसमें वे अपने transfer documents को फिर से lodge कर सकते हैं। Sebi ने अपने consultation paper में कहा है कि अधिकांश transfer मामलों में पुरानी transfer deeds के fresh lodgement शामिल हैं, इसलिए Regulation 40(1) of LODR Regulations में एक विशेष छूट बनाई जा सकती है ताकि निवेशकों को उनके संपत्ति तक न्यायसंगत पहुंच मिल सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह छूट केवल अस्थायी होगी, जिससे dematerialisation की व्यापक दिशा प्रभावित न हो। इस बदलाव से निवेशकों को न केवल अपनी physical shares को आसानी से demat accounts में बदलने में मदद मिलेगी, बल्कि वे अपनी संपत्तियों पर बेहतर नियंत्रण और जल्दबाजी में होने वाली देरी से बच सकेंगे
Sebi का यह प्रस्ताव securities market में पारदर्शिता और investor convenience को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह पहल Sebi द्वारा securities market में तकनीकी सुधारों की एक कड़ी है, जो dematerialisation को बढ़ावा देने के साथ-साथ transfer प्रक्रियाओं को भी सरल बनाती है। इससे न केवल individual investors को लाभ मिलेगा, बल्कि market की overall efficiency और विश्वास भी बढ़ेगा। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी physical share holdings और transfer requests की स्थिति का ध्यान रखें और Sebi द्वारा प्रदान की गई नई सुविधाओं का लाभ उठाएं। नए नियमों के लागू होने के बाद, transfer प्रक्रिया में आई देरी और जटिलताएं काफी हद तक कम हो जाएंगी, जिससे शेयर बाजार में निवेश करना और भी आसान हो जाएगा