Silver prices ने शुक्रवार को एक दिन में अभूतपूर्व तेजी दिखाई और ₹8,500 की बढ़त के साथ दिल्ली में ₹1,71,500 प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर को छू लिया। यह वृद्धि लगातार सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ती रुचि और वैश्विक बाजारों में सिल्वर की भारी सप्लाई कमी के कारण हुई है। All India Sarafa Association के अनुसार, गुरुवार को सिल्वर की कीमत ₹1,63,000 प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। केवल पिछले तीन सत्रों में ही सिल्वर की कीमतों में कुल ₹17,500 प्रति किलोग्राम की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल दिवाली (31 अक्टूबर 2024) के समय सिल्वर का भाव लगभग ₹94,500 प्रति किलोग्राम था, जो अब ₹1.71 लाख प्रति किलोग्राम के स्तर को पार कर चुका है, यानी लगभग 81% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। Silver futures भी तेजी की लहर में शामिल रहे, जहाँ Multi Commodity Exchange (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी के लिए सिल्वर का भाव गुरुवार को ₹1,53,388 प्रति किलोग्राम के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही Silver Exchange Traded Funds (ETFs) ने भी गुरुवार को 6% से 9% तक की बढ़त दर्ज की। वैश्विक स्तर पर, गुरुवार को spot silver ने 2% से अधिक की तेजी के साथ $50 प्रति औंस के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर दिया, जो पहली बार हुआ है। शुक्रवार को spot silver ₹50.01 प्रति औंस के करीब ट्रेड कर रहा था। इस सिल्वर की तेजी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं
सबसे पहले, Industrial demand में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। Solar, EV (Electric Vehicle) और 5G जैसे उभरते क्षेत्रों में सिल्वर की मांग में असाधारण बढ़ोतरी हुई है, जिससे वैश्विक बाजार में सिल्वर की सप्लाई डिफिसिट यानी कमी पैदा हो गई है। Tata Mutual Fund की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन से सिल्वर की बढ़ती मांग ने इस सफेद धातु के दामों को काफी प्रभावित किया है। यह सप्लाई डिफिसिट लगातार पाँच वर्षों से बना हुआ है, जो बाजार की भावना को मजबूती देता है। इस मांग और आपूर्ति के असंतुलन ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सिल्वर की कीमतों को तेजी से ऊपर धकेला है। इसके अलावा, वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता ने भी सिल्वर की कीमतों में तेजी का कारण बना है। जब बाजार में geopolitical tensions बढ़ते हैं, तो निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख करते हैं, जिसमें सिल्वर और सोना प्रमुख हैं। विशेषकर जब gold rally करता है, तब सिल्वर की मांग भी बढ़ जाती है क्योंकि दोनों धातुएं अनिश्चित परिस्थितियों में निवेशकों को आश्वासन देती हैं। अमेरिका में चल रही सरकार की shutdown स्थिति, व्यापार युद्ध की आशंकाएं, और आर्थिक आंकड़ों के जारी होने में देरी ने बाजार की अस्थिरता को बढ़ाया है, जिससे निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। Gold prices ने शुक्रवार को अपने रिकॉर्ड स्तर से कुछ पीछे हटते हुए ₹600 की गिरावट के साथ दिल्ली में ₹1,26,000 प्रति 10 ग्राम पर बंद किया
वैश्विक स्तर पर spot gold ने 0.4% की मामूली बढ़त के साथ $3,992.80 प्रति औंस पर कारोबार किया। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी Federal Reserve के संभावित rate cut की उम्मीदों और सितंबर की बैठक के minutes में दिये गए नरम संकेतों ने bullion की कीमतों को और बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, अमेरिकी सरकार की shutdown स्थिति के कारण आर्थिक आंकड़ों में देरी और बढ़ती geopolitical tensions भी सोने और चांदी की कीमतों को समर्थन दे रही हैं। US-based Silver Institute ने हाल ही में 2025 के लिए सिल्वर की पांचवीं लगातार वार्षिक सप्लाई डिफिसिट की भविष्यवाणी की है, जो बाजार में गहरी संरचनात्मक कमी को दर्शाता है। विश्लेषकों का मानना है कि Federal Reserve के संभावित rate cut, अमेरिका में वित्तीय अनिश्चितता और निरंतर सप्लाई की कमी के कारण सिल्वर की तेजी बरकरार रह सकती है, जब तक कि वैश्विक जोखिम भावना में कोई बड़ा सुधार नहीं आता। सिल्वर की इस जबरदस्त तेजी ने निवेशकों और बाजार विश्लेषकों दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। लगातार मजबूत मांग, सीमित सप्लाई और वैश्विक आर्थिक-राजनीतिक अस्थिरता ने इस सफेद धातु को निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया है। आने वाले समय में अगर ये कारक कायम रहते हैं, तो सिल्वर की कीमतों में और वृद्धि की संभावना स्पष्ट नजर आती है