Ashish Chaturmohta, Managing Director & Fund Manager, Apex PMS, JM Financial ने हाल ही में शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति और आने वाले समय की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण बातें कही हैं। उनके अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में सरकार की नीतियां अब मुख्य रूप से consumption यानी उपभोग पर केन्द्रित हो गई हैं, जिससे infrastructure capex यानी पूंजीगत व्यय शायद अपने चरम पर पहुँच चुका है। GST कटौती और कर सुधारों के बाद सरकार के पास नए प्रोजेक्ट्स के लिए सीमित वित्तीय संसाधन बच पाएंगे, जिससे नई निवेश योजनाओं में धीमी गति बनेगी। हालांकि, पहले से चल रही योजनाएं जारी रहेंगी, लेकिन नए निवेशकों के लिए माहौल सतर्क बना रहेगा, क्योंकि लागत और मांग दोनों पर दबाव बना हुआ है। Ashish Chaturmohta ने यह भी बताया कि अमेरिकी बाजारों में valuations काफी ऊँचे हैं और yields नीचे आ रहे हैं, जिससे emerging markets यानी उभरते हुए बाजारों की तरफ निवेशक आकर्षित हो सकते हैं। इस वजह से FII flows में reversal यानी बदलाव देखने को मिल सकता है, जो भारत के लिए एक बड़ी सकारात्मक खबर होगी। इस साल CY2025 में अब तक भारतीय बाजारों से लगभग $16.8 बिलियन का FII outflow हो चुका है, हालांकि इसके विपरीत घरेलू निवेशकों ने $56 बिलियन से अधिक निवेश किया है, जिससे बाजार में मजबूती बनी हुई है। RBI ने अपने growth forecast को मध्यम किया है और inflation के अनुमान को भी नीचे लाया है, फिर भी Monetary Policy Committee ने अक्टूबर नीति में interest rates में कोई बदलाव नहीं किया। MPC के दो external सदस्यों ने rate cut की वकालत की, पर बाकी सदस्यों ने मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में सावधानी बरतने की सलाह दी। Ashish के अनुसार, GST कटौती और tariff बढ़ोतरी के प्रभावों का पूरी तरह आकलन करना अभी बाकी है, इसलिए MPC ने रुककर इंतजार करना बेहतर समझा
हालांकि, FY26 के लिए inflation का अनुमान 2.6% तक कम हो गया है और further reduction की संभावना भी है, जिससे दिसंबर में rate cut की उम्मीद बढ़ रही है। IPO के क्षेत्र में Ashish ने कहा कि इस साल CY2025 में IPO activity काफी तेज रही है, जिसमें लगभग ₹85,000 करोड़ जुटाए गए हैं। हालांकि कुछ कंपनियों के valuations stretched यानी अधिक मूल्यांकन पर हैं, क्योंकि वे बाजार की अच्छी liquidity और investor enthusiasm का फायदा उठा रही हैं। साथ ही, कुछ IPO में earnings visibility कम या business models नया होने की वजह से गुणवत्ता को लेकर चिंता भी बनी हुई है। लेकिन कई उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियां भी बाजार में आ रही हैं जिनका governance मजबूत है और growth potential साफ नजर आता है। निवेशकों के लिए सही कंपनी चुनना और सतत मूल्य वाली लिस्टिंग पर ध्यान देना जरूरी होगा। FII outflows के बावजूद, Ashish ने कहा कि घरेलू निवेशकों की सक्रिय भागीदारी से बाजार का संतुलन बना हुआ है। अमेरिकी बाजारों की ऊंची वैल्यूएशन और गिरते यील्ड के कारण emerging markets और खासकर भारत में विदेशी निवेशकों की वापसी संभव है। इससे निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच भी सकारात्मक रुख देखने को मिल सकता है। Consumption theme के अंतर्गत Ashish ने automotives, consumer durables, retail और electronic goods को मुख्य फोकस बताया है
GST कटौती से बड़े खरीदारी जैसे वाहन और उपकरणों पर बचत छोटे खर्चों जैसे apparel और footwear में खर्च होगी, जिससे इन सेक्टरों की बिक्री और operating leverage बढ़ेगा। वे विशेष रूप से ग्रामीण उपभोग में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं, जो कुल मांग का बड़ा हिस्सा है। हालांकि उनका दृष्टिकोण stock-specific है, जहां मजबूत fundamentals और growth visibility वाली कंपनियों को प्राथमिकता दी जाती है। Infrastructure capex के मामले में Ashish ने स्पष्ट किया कि यह अपने शिखर पर पहुंच चुका है। सरकार की नीतियां consumption की तरफ झुकी हैं, और सीमित fiscal space के कारण नए प्रोजेक्ट्स में निवेश धीमा होगा। मौजूदा परियोजनाएं जारी रहेंगी, लेकिन नए निवेश और private sector की भागीदारी सतर्क रहेगी। इससे infrastructure spending का बाजार में योगदान पहले जैसे प्रमुख नहीं रहेगा। बैंकिंग सेक्टर पर उनकी राय है कि वे neutral stance बनाए हुए हैं। private banks खुदरा वृद्धि और बेहतर asset quality से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि PSU banks मूल्य निवेश के अवसर प्रदान करते हैं। Non-lending financials से portfolio diversification और fee-based आय मिलती है
इसलिए बैंकिंग सेक्टर में संतुलित निवेश ही बेहतर रणनीति मानी जा रही है। इंटरनेट प्लेटफॉर्म थीम में quick-commerce कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, और Ashish ने बताया कि वे अपनी पोर्टफोलियो में इस क्षेत्र को शामिल कर रहे हैं। इंटरनेट हार्डवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर भी दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जिससे डिजिटल इकोसिस्टम को समर्थन मिलता है। कुल मिलाकर Ashish Chaturmohta के विचारों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय बाजार में short-term volatility के बावजूद, सही चयन और रणनीति के साथ निवेशकों के लिए कई अवसर मौजूद हैं। FII outflows के बावजूद घरेलू निवेश और emerging market की अपील से भारतीय बाजार में संतुलन बना रहेगा, जबकि consumption और डिजिटल थीम पर ध्यान केंद्रित करना लाभदायक साबित होगा