SEBI का बड़ा कदम: October 2025 से F&O ट्रेडिंग पर कड़े नियम, जानिए कैसे बदलेगा मार्केट का खेल

Saurabh
By Saurabh

भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए एक बड़ी खबर है। Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने equity derivatives के F&O सेगमेंट में 1 अक्टूबर 2025 से कड़े नियम लागू करने का ऐलान किया है। इसका उद्देश्य मार्केट में अत्यधिक सट्टेबाजी को रोकना और बाजार की स्थिरता को बढ़ाना है। यह नया नियमावली एक नई राह दिखाएगी, जहां derivatives ट्रेडिंग की जोखिम प्रबंधन और cash market की liquidity के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया जाएगा। सबसे अहम बदलाव Market-Wide Position Limits (MWPL) में होगा। अब MWPL को cash volume और free float के आधार पर जोड़ा जाएगा। पहले MWPL non-promoter shareholding के 20% के आधार पर तय होता था, लेकिन नए नियम के तहत MWPL या तो free float के 15% के बराबर होगा या cash volume का 65 गुना, जो भी कम होगा। SEBI हर तिमाही MWPL को पिछले तीन महीनों के rolling cash volume डेटा के आधार पर पुनः निर्धारित करेगा। इस बदलाव का मकसद derivatives के एक्सपोजर को वास्तविक बाजार की liquidity से जोड़ना और मैनिपुलेशन के जोखिमों को कम करना है। F&O ban period के दौरान भी अब ट्रेडिंग की नई छूट मिलेगी

फिलहाल, जब कोई स्टॉक F&O ban में होता है तो नए पोजीशन नहीं लिए जा सकते, लेकिन नए नियमों के तहत केवल तब ही ट्रेडिंग की अनुमति होगी जब यह पोर्टफोलियो के जोखिम को कम करने में मदद करे। इसके अलावा, जब मार्केट-वाइड open interest MWPL के 95% से अधिक हो, तभी ब्रोकर्स और ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को एडजस्ट कर सकेंगे। यह बदलाव जोखिम को नियंत्रित करने और अनावश्यक speculative ट्रेडिंग को रोकने के लिए जरूरी माना गया है। Intraday monitoring को भी और सख्त किया जाएगा। अब index derivatives में नेट intraday पोजीशन ₹5,000 करोड़ प्रति entity तक सीमित रहेगी, जबकि gross पोजीशन ₹10,000 करोड़ तक ही रहेगी। एक्सचेंज कम से कम चार random intraday snapshots के माध्यम से एक्सपोजर को ट्रैक करेंगे। expiry days पर नियम उल्लंघन करने वालों पर penalties या surveillance deposits की कार्रवाई की जाएगी। अधिक एक्सपोजर केवल तब दिया जाएगा जब वह securities या cash collateral से पूरी तरह समर्थित हो। इन पेनल्टी प्रावधानों को 6 दिसंबर 2025 से लागू किया जाएगा। SEBI ने individual entity के लिए भी नए position limits तय किए हैं

अब single-stock derivatives में individual investors के लिए MWPL का 10%, proprietary brokers के लिए 20%, और FPIs व brokers के संयुक्त रूप से 30% एक्सपोजर की सीमा होगी। यह कदम May 2025 में घोषित अन्य नियमों जैसे non-benchmark indices के लिए eligibility criteria (3 नवंबर से लागू) और F&O के लिए pre-open/post-close sessions (6 दिसंबर से लागू) के साथ जुड़ा हुआ है। इन बदलावों का असर न केवल मार्केट की स्थिरता पर पड़ेगा बल्कि निवेशकों को अत्यधिक जोखिम से बचाने में भी मदद मिलेगी। SEBI का यह कदम derivatives ट्रेडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने, जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने और बाजार में अनुचित सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए निर्णायक माना जा रहा है। नतीजतन, अक्टूबर 2025 से F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। MWPL के नए आधार, सख्त intraday निगरानी और individual limits के जरिए SEBI यह सुनिश्चित करेगा कि derivatives का एक्सपोजर वास्तविक cash market liquidity के अनुरूप रहे। इससे न केवल मार्केट की स्थिरता बढ़ेगी बल्कि निवेशकों के हितों की बेहतर सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इस नए regulatory फ्रेमवर्क से भारतीय स्टॉक मार्केट में भविष्य की संभावनाओं को खोलने में मदद मिलेगी, जहां speculative trading के बजाय मजबूत जोखिम प्रबंधन और बाजार की पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाएगी। SEBI के इस कदम को वित्तीय बाजारों में स्थिरता और विश्वास बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। अतः, जो भी निवेशक और ट्रेडर भारतीय equity derivatives में सक्रिय हैं, उन्हें अक्टूबर 2025 के बाद इन नए नियमों के अनुरूप अपने ट्रेडिंग रणनीतियों को समायोजित करना होगा

नए नियमों के तहत केवल वही जोखिम स्वीकार्य होगा जो cash market की वास्तविक liquidity से मेल खाता हो, जिससे बाजार अधिक मजबूत और टिकाऊ बनेगा

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