2025 की शुरुआत धीमी रही, लेकिन भारत का IPO बाजार अब फिर से जोर पकड़ने लगा है। इस साल अब तक कुल 145 IPOs लिस्ट हो चुके हैं, जिनमें से 57 मुख्य बोर्ड पर और 88 SME एक्सचेंज पर हैं, यह जानकारी BSE के आंकड़ों से मिली है। लंबे समय तक धीमी गतिविधि के बाद यह वापसी निवेशकों के बढ़ते भरोसे और भारत के इक्विटी बाजार की मजबूती को दर्शाती है, जो वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बावजूद टिकाऊ साबित हो रहा है। साल की शुरुआत में, फरवरी से अप्रैल तक IPO गतिविधि लगभग ठप हो गई थी। इस दौरान NIFTY50 और SENSEX जैसे प्रमुख सूचकांकों ने लगातार पांच महीनों तक गिरावट दर्ज की, और NIFTY50 अक्टूबर 2024 की उच्चतम स्तर से 15% नीचे आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली, ऊंचे मूल्यांकन, कमजोर कॉरपोरेट आय और वैश्विक व्यापार टैरिफ अनिश्चितताओं ने इस मंदी को जन्म दिया। यह स्थिति 2024 के रिकॉर्ड साल से काफी अलग थी, जब भारत में 158 IPOs दर्ज किए गए थे, जो अब तक एक साल में सबसे ज्यादा संख्या थी। लेकिन जून से स्थिति में सुधार दिखने लगा। IPO गतिविधि पुनः मुख्य बोर्ड और SME दोनों प्लेटफार्मों पर शुरू हो गई, जिसका समर्थन सेकेंडरी मार्केट की मजबूती, वैश्विक आर्थिक विकास में सुधार और घरेलू निवेशकों की बढ़ती रुचि ने किया। इस बदलाव का पहला मुख्य बोर्ड IPO Hexaware Technologies का ₹8,750 करोड़ का Issue था, जिसने IPO बाजारों के लिए नया जोश भरा
इसके बाद Dr Agarwal’s Health Care (₹3,027 करोड़) और Ather Energy (₹2,981 करोड़) ने भी सफलता के साथ बाजार में कदम रखा। सितंबर के मध्य तक, 2025 के भारतीय IPO की औसत राशि ₹1,870 करोड़ तक पहुंच गई, जो 2024 के ₹905 करोड़ से दोगुनी से भी ज्यादा थी। National Securities Depository Limited (NSDL), Urban Company, Laxmi Dental, Schloss Bangalore, और GNG Electronics जैसे अन्य प्रमुख IPO भी इस साल लिस्ट हो चुके हैं। बड़े IPOs ने भले ही सुर्खियां बटोरीं, लेकिन SME कंपनियों की भूमिका इस पुनरुद्धार में बेहद महत्वपूर्ण रही। मार्च से मई के बीच जब फंड जुटाना काफी धीमा था और मई में केवल ₹587 करोड़ ही जुटाए गए, वहीं जून से SME IPOs ने जबरदस्त वापसी की। जून में SME कंपनियों ने ₹1,300 करोड़ से अधिक जुटाए, जबकि जुलाई में यह राशि ₹1,205 करोड़ थी। अगस्त के मध्य तक 14 SME IPOs ने ₹626 करोड़ जुटाए, जिसके बाद जून से अब तक कुल 68 SME IPOs ने ₹3,133 करोड़ की पूंजी जुटाई है। इस SME IPO रफ्तार के पीछे कई कारण हैं। SME काउंटर्स में लिस्टिंग के बाद अच्छी रिटर्न ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जिसके चलते रिटेल और संस्थागत निवेशक दोनों की दिलचस्पी बढ़ी है। मुख्य बोर्ड IPOs से आई सकारात्मकता ने भी SME कंपनियों की ओर निवेशकों का रुख मोड़ा है, क्योंकि जून-जुलाई में मुख्य बोर्ड IPOs ने ₹33,813 करोड़ जुटाए
इसके अलावा, बाजार में पर्याप्त तरलता ने भी सब्सक्रिप्शन स्तर को मजबूत किया है। आगे देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि IPOs का सिलसिला और भी गहरा होगा। Christopher Wood की GREED & Fear रिपोर्ट के अनुसार, अगले 12 महीनों में लगभग 80 IPOs $35 बिलियन (लगभग ₹2.9 लाख करोड़) तक जुटा सकते हैं। यह संकेत है कि कॉर्पोरेट्स और प्राइवेट इक्विटी फर्मों के बीच पब्लिक मार्केट में आने की रुचि मजबूत बनी हुई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 3,000 से अधिक अनलिस्टेड कंपनियां हैं, जिनकी वार्षिक आय $100 मिलियन से ऊपर है, जो IPO के लिए संभावित उम्मीदवार हैं। इस प्रकार, 2025 का IPO बाजार शुरुआती मंदी के बाद अब मजबूत वापसी कर चुका है। बढ़ती संख्या में IPOs, खासकर SME सेक्टर में, भारत के पूंजी बाजार की मजबूती और निवेशकों के आत्मविश्वास को दर्शाते हैं। वैश्विक और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच भी यह संकेत मिलता है कि भारत का इक्विटी बाजार निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर प्रदान करता रहेगा और आने वाले समय में IPO का यह दौर और भी तेज़ी पकड़ेगा