Sensex-Nifty में गिरावट का सिलसिला जारी, September 25 को विदेशी निवेशकों के बिकवाली का दबाव महसूस

Saurabh
By Saurabh

आज बाजार में निरंतर कमजोरी देखने को मिली और Sensex-Nifty दोनों प्रमुख सूचकांकों ने लगातार पांचवें सत्र के लिए नुकसान दर्ज किया। विदेशी निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली और अमेरिकी वीज़ा फीस में बढ़ोतरी के कारण निवेशकों की चिंता बढ़ी, जिससे बाजार पर दबाव बना रहा। सुबह 11:50 बजे के आसपास Sensex 222.74 अंक यानी 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,492.89 पर और Nifty 66.30 अंक यानी 0.26 प्रतिशत नीचे आकर 24,990.60 पर ट्रेड कर रहा था। आज के ट्रेड में Tata Motors, Trent, Asian Paints, Dr. Reddy’s Laboratories और Titan जैसे बड़े शेयरों में 3 प्रतिशत तक की कमजोरी देखी गई। बाजार के कमजोर होने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख रहा है FII की बिकवाली। पिछले दो दिनों में FII ने क्रमशः 3,551.19 करोड़ और 2,425.75 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो बाजार में भारी दबाव का कारण बना। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों का निरंतर बिकवाली करना बाजार की कमजोरी का मुख्य कारण है। Geojit Investments Limited के Chief Investment Strategist VK Vijayakumar ने कहा कि भारत में लागू हो रहे सुधार और कम ब्याज दरें आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, जिससे कॉरपोरेट आय में सुधार आएगा और अंततः FII निवेश बाजार में वापस आएंगे। दूसरी बड़ी चिंता US वीज़ा शुल्क में हुई बढ़ोतरी है। IT इंडेक्स ने लगभग 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जिससे इसके पिछले कुछ दिनों में गिरावट 5.13 प्रतिशत तक पहुंच गई है

अमेरिकी सरकार ने H-1B वीज़ा के लिए नई फीस 88 लाख रुपये (लगभग 1,00,000 अमेरिकी डॉलर) निर्धारित की है, जो सितंबर 22 से लागू हुई। इस कदम ने IT सेक्टर के शेयरों पर विपरीत असर डाला। Mehta Equities Ltd. के Senior Vice-President (Research) Prashanth Tapse ने बताया कि ट्रम्प के कड़े टैरिफ और नए H-1B वीज़ा शुल्क के कारण Nifty 25,300 के स्तर पर मजबूत रेसिस्टेंस का सामना कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भी कमजोर संकेत मिले। दक्षिण कोरिया के Kospi समेत अन्य प्रमुख एशियाई सूचकांक नीचे ट्रेड कर रहे थे, जबकि बुधवार को अमेरिकी बाजार भी लाल निशान पर बंद हुए। इससे वैश्विक निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ और भारतीय बाजार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इस बीच, कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। पिछले सत्र में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद आज एशियाई बाजार में कीमतें थोड़ी कमजोर हुईं, लेकिन फिर भी वे ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय बाजार के लिए चिंता का विषय हैं क्योंकि इससे महंगाई बढ़ती है और कंपनियों के इनपुट कॉस्ट्स पर दबाव आता है। यूक्रेन और रूस के बीच ऊर्जा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमलों के कारण सप्लाई पर संकट बना हुआ है, जो कीमतों को ऊपर बनाए रखता है

टेक्निकल रूप से देखें तो Nifty ने 25,000 के स्तर को एक बार फिर सपोर्ट के रूप में बनाए रखा है, लेकिन 25,278 से 25,330 के बीच का रेंज अब तक पार नहीं कर सका। Geojit Financial Services के Chief Market Strategist Anand James ने बताया कि 24,880 से 24,800 का ट्रेंड अभी भी सक्रिय है और बाजार इसी रेंज में मूव कर सकता है। इस प्रकार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, अमेरिकी वीज़ा शुल्क वृद्धि, कमजोर वैश्विक संकेत और महंगे कच्चे तेल ने बाजार को दबाव में रखा। निवेशकों के लिए फिलहाल सतर्कता जरूरी दिख रही है क्योंकि बाजार में तेजी के लिए मजबूत खरीदारी का अभाव है। आने वाले सत्रों में विदेशी निवेशकों की रणनीति और वैश्विक आर्थिक हालात बाजार की दिशा तय करेंगे

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