US H-1B नियमों में बड़ा बदलाव, IT Stocks में भारी गिरावट की तैयारी! अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा हाल ही में लागू किए गए H-1B वीजा नियमों में बड़े बदलाव ने भारतीय IT सेक्टर के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। इस नई नीति के तहत हर H-1B आवेदन के लिए $100,000 की अतिरिक्त फीस लगाए जाने का प्रावधान है, जो खासतौर पर भारतीय टैलेंट के लिए एक बड़ा रुकावट बन सकता है। इस कदम से न केवल विदेशी श्रमिकों की संख्या सीमित होगी, बल्कि भारतीय IT कंपनियों के लिए अमेरिका में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कम होना लगभग तय माना जा रहा है। इस बदलाव के साथ ही, अमेरिकी सरकार द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम वेतन स्तरों में बढ़ोतरी और आउटसोर्सिंग पर संभावित टैक्स भी IT सेक्टर की कमजोरी को और बढ़ा सकते हैं। Motilal Oswal के फंड ट्रैकर के अनुसार, भारत के शीर्ष 20 म्यूचुअल फंड हाउसों के पोर्टफोलियो में technology stocks का वजन जनवरी में 9.6% था, जो जुलाई तक घटकर 7.8% और अगस्त में थोड़ा बढ़कर 7.9% रह गया है। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि निवेशक टेक्नोलॉजी सेक्टर से दूरी बना रहे हैं। इस साल IT सेक्टर के बड़े नाम जैसे Infosys, TCS और HCL Tech में 20 से 25% की गिरावट आई है, जबकि मिड-कैप कंपनियां जैसे Persistent Systems और Coforge भी 10% से अधिक नीचे आ गए हैं। Nifty IT index में भी लगातार दबाव देखा गया है, जो हाल के ट्रेडिंग सत्र में लगभग 3% गिर गया। विश्लेषक बताते हैं कि कमजोर मांग, AI अपनाने में अनिश्चितता, बढ़ती मजदूरी और इमिग्रेशन लागत जैसी कई समस्याएं सेक्टर की ग्रोथ और मार्जिन स्थिरता को प्रभावित कर रही हैं। 19 सितंबर को जारी इस घोषणा के बाद, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह $100,000 की फीस एक बार लगाई जाएगी और केवल नए आवेदन पर लागू होगी, जो मार्च-अप्रैल 2026 के अगले लॉटरी चक्र से शुरू होगी
पर यह नियम 12 महीने तक लागू रहेगा और इसे बढ़ाया भी जा सकता है। JPMorgan के APAC Telecom & Internet हेड Ankur Rudra ने बताया कि अगर कंपनियां इस अतिरिक्त फीस का भुगतान करती हैं तो FY27 की EPS पर 2 से 6% का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, वास्तविक स्थिति में कंपनियां जल्द ही Near-shoring, यानी कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों में अपने ऑपरेशन बढ़ाने की रणनीति अपनाएँगी और स्थानीय ग्रेजुएट्स पर निर्भरता बढ़ाएँगी। दरअसल, भारतीय IT कंपनियां पिछले कुछ वर्षों से H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। टॉप 5 IT फर्मों ने FY20 में 29,200 H-1B वीजा का उपयोग किया था, जो FY25 तक घटकर लगभग 15,600 रह गया है, यानी 46% की कमी। मौजूदा Localization रेट 50 से 80% के बीच है, जो अगले 2-3 वर्षों में 90-95% तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय IT कंपनियां अपने ऑनसाइट स्टाफिंग स्ट्रक्चर को मजबूत कर रही हैं और डिलीवरी कॉस्ट को कंट्रोल करने के लिए क्लाइंट के कर्मचारियों को “rebadge” करने जैसी रणनीतियां भी अपना रही हैं। इन सभी बदलावों के बीच, 22 सितंबर को Nifty IT index लगभग 3% गिरकर 35,442 के स्तर पर ट्रेड कर रहा था। यह गिरावट IT सेक्टर में बढ़ती अनिश्चितता और निवेशकों की सतर्कता को दर्शाती है। संक्षेप में कहा जाए तो, अमेरिका के H-1B नियमों में ताजा बदलाव और बढ़ती लागतों ने भारतीय IT सेक्टर की परफॉर्मेंस पर नकारात्मक असर डाला है
म्यूचुअल फंड्स भी टेक्नोलॉजी शेयरों में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं, जिससे IT इंडेक्स पर दबाव बना हुआ है। अगर ये हालात जारी रहे तो आने वाले समय में IT कंपनियों को नई रणनीतियों के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी