Narnolia Financial Services के Chief Investment Officer Shailendra Kumar ने आगामी सितंबर तिमाही के लिए Nifty के आय (earnings) में वर्ष-दर-वर्ष 9% की वृद्धि का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि इस तिमाही की कंपनियों की मैनेजमेंट कमेंट्री बेहद महत्वपूर्ण होगी, खासकर हाल ही में लागू GST कटौती के बाद मांग के भविष्य का आकलन करने के लिए। व्यापारिक सत्र के दौरान कंपनियों से मिलने वाली जानकारी से ही यह स्पष्ट होगा कि घरेलू बाजार की स्थिति किस दिशा में जाएगी। Shailendra Kumar ने RBI की आगामी अक्टूबर नीति बैठक को लेकर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष के पहले क्वार्टर में हुई अप्रत्याशित आर्थिक वृद्धि को देखते हुए, Reserve Bank of India मौजूदा ब्याज दरों को बरकरार रखेगा। इस नीति निर्णय से बाजार में स्थिरता बनी रहने की उम्मीद है। जहां तक निवेश के क्षेत्र की बात है, Shailendra Kumar ने Consumer Discretionary सेक्टर की शानदार परफॉर्मेंस की ओर ध्यान आकर्षित किया। अप्रैल के निचले स्तर से इस क्षेत्र ने जबरदस्त उछाल दिखाया है। Nifty में सालाना 12% की बढ़त के मुकाबले BSE Consumer Discretionary Index ने 23% से भी अधिक की तेजी दर्ज की है। खास तौर पर Tourism और Hospitality सेक्टर में दीर्घकालिक संभावनाएं बहुत प्रबल हैं, साथ ही ऑटोमोबाइल और हाउसिंग अनुलग्नक (ancillaries) भी निवेश के लिए आकर्षक विकल्प बने हुए हैं
घरेलू उपभोग भारत की GDP वृद्धि का मुख्य चालक है और इसी के चलते Consumer Discretionary कंपनियों के मुनाफे में स्थिर वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। नए युग की टेक्नोलॉजी कंपनियों को लेकर Shailendra Kumar ने कहा कि ये कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं और इनमें से कई कंपनियां अपने-अपने सेक्टर में एकाधिकार या द्विधिकार की स्थिति में हैं। भारत की मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति, जिसमें उच्च GDP वृद्धि, बढ़ती घरेलू खपत और युवा तकनीकी जनसंख्या शामिल है, इन कंपनियों के लिए विकास के अवसर प्रदान करती है। हालांकि, इनके स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव आम है, लेकिन सही समय पर निवेश करने से ये कंपनियां लंबे समय में बड़ी संपत्ति बनाने वाली साबित हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर Urban Company, जिसने हाल ही में 12 सितंबर को अपना IPO बंद किया, घरेलू होम सर्विसेज इंडस्ट्री में पैन-इंडिया एकाधिकार रखती है और इसमें काफी संभावना निहित है। पूंजी बाजार (capital market) के स्टॉक्स की बात करें तो Kumar ने कहा कि इनका मूल्यांकन मिश्रित है। कुछ कंपनियां प्रीमियम पर ट्रेड कर रही हैं जबकि कुछ अभी भी उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। पिछले दशक में इन कंपनियों के मुनाफे में तेज़ी से वृद्धि हुई है और ये BFSI सेक्टर का अहम हिस्सा बन गई हैं। ये कंपनियां न केवल भारतीयों की बढ़ती संपत्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि इसे बढ़ाने में भी सहायक हैं। इसलिए, उच्च गुणवत्ता वाली पूंजी बाजार कंपनियों में दीर्घकालिक निवेश के अवसर मौजूद हैं, खासकर जब इनके शेयरों के दाम गिरते हैं
वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार ने इस साल अब तक कम प्रदर्शन किया है। 2025 की शुरुआत से अब तक Nifty में 6% की वृद्धि हुई है, जबकि S&P 500 में यह 12% तक पहुंच गई है। हालांकि हाल ही में Nifty ने कुछ तेजी दिखाई है, जो संभावित व्यापार समझौते की सकारात्मक धारणा से प्रेरित है। लेकिन इस बढ़त को जारी रखना होगा ताकि वैश्विक बाजारों के साथ यह अंतर पूरी तरह से कम हो सके। रक्षा क्षेत्र (defense stocks) के बारे में Kumar ने बताया कि भारतीय रक्षा कंपनियों के मूल्यांकन में पहले ही महत्वपूर्ण वृद्धि हो चुकी है। भविष्य में इस सेक्टर की बढ़त मुख्यतः उनकी आय वृद्धि पर निर्भर करेगी, न कि मूल्यांकन विस्तार पर। इसलिए, रक्षा क्षेत्र की लंबी अवधि की वृद्धि की संभावना पहले से ही कीमतों में शामिल की जा चुकी है। अंत में, सितंबर तिमाही की आय के साथ-साथ अक्टूबर में RBI की नीति निर्णय पर Kumar ने उम्मीद जताई कि Nifty की आय में 9% की वृद्धि होगी, लेकिन कंपनियों की मैनेजमेंट कमेंट्री से यह तय होगा कि GST कटौती के बाद मांग की स्थिति कैसी बनी रहती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में नीतिगत माहौल में सकारात्मक बदलाव हुए हैं, जिसमें बड़ा वित्तीय प्रोत्साहन और मौद्रिक तथा विनियामक छूट शामिल हैं। इन सबके बीच, RBI की नीति बैठक में ब्याज दरों में स्थिरता बाजार के लिए अच्छी खबर होगी
इस प्रकार, निवेशकों के लिए सितंबर तिमाही और अक्टूबर की RBI नीति बैठक दोनों ही महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा क्या होगी और बाजार में निवेश के लिए कौन से क्षेत्र उपयुक्त रहेंगे