सोने की कीमतों में मामूली गिरावट, त्योहारों के बीच फिर भी बनी हुई है मजबूती

Saurabh
By Saurabh

सोने की कीमतों में सोमवार, 8 सितंबर 2025 को मामूली गिरावट देखने को मिली है, जो पिछले शुक्रवार को दर्ज हुई बढ़त के बाद एक संयमित निवेशकों की भावना को दर्शाता है। 24K gold की कीमत ₹11 की गिरावट के साथ ₹10,838 प्रति ग्राम पर आ गई, जबकि 22K gold ₹10 नीचे आकर ₹9,935 प्रति ग्राम पर ट्रेड हुआ। इसी तरह, 18K gold की कीमत भी ₹8 की कमी के साथ ₹8,129 प्रति ग्राम रही। यह मामूली कमी वैश्विक आर्थिक संकेतों और मुद्रा उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों की सतर्कता को दर्शाती है, लेकिन घरेलू मांग के मद्देनजर सोने की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। देश भर के प्रमुख शहरों में सुबह 11 बजे के आसपास सोने के दामों में थोड़ी स्थिरता देखी गई। मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद और केरल में 24K gold की कीमत ₹10,838 रही, जबकि दिल्ली में यह थोड़ा ऊपर ₹10,853 प्रति ग्राम दर्ज की गई। 22K gold की कीमतें लगभग ₹9,935 के आसपास थीं, जबकि 18K gold ₹8,129 के स्तर पर ट्रेड होता रहा। चेन्नई में 24K gold का भाव ₹10,877 था, जो अन्य शहरों की तुलना में थोड़ा अधिक था। इस प्रकार, पूरे बाजार में सोने की कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव के बावजूद स्थिरता बनी हुई है। पिछले कुछ दिनों के रुझान देखें तो सोने की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हुई है

4 सितंबर को 24K gold की कीमत ₹10,686 थी, जो 5 सितंबर को ₹10,762 तक पहुंची। इसके बाद 6 और 7 सितंबर को यह ₹10,849 के स्तर पर बनी रही, जबकि 8 सितंबर को ₹10,838 पर आ गई। 22K और 18K gold की कीमतों में भी इसी तरह की हल्की गिरावट के साथ स्थिरता देखी गई। यह बढ़ोतरी और गिरावट दोनों घरेलू मांग तथा वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के बीच संतुलन दर्शाती है। त्योहारों का सीजन नजदीक आते ही घरेलू बाजार में सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है। घर-परिवार और ज्वैलर्स दोनों की तरफ से खरीदारी का दबाव सोने की कीमतों को सहारा देता है। भारतीय परिवारों के लिए सोना हमेशा से एक सुरक्षित निवेश और भावनात्मक संपत्ति रहा है, इसलिए इस समय भी निवेशक इसे एक भरोसेमंद विकल्प मान रहे हैं। इसके साथ ही, वैश्विक बाजार में जारी अनिश्चितताएं और मुद्रा विनिमय दरों में बदलाव भी सोने की कीमतों पर प्रभाव डाल रहे हैं। वैश्विक स्तर पर आर्थिक संकेतों में कुछ मिश्रित प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, जिससे निवेशकों ने सोने को एक सुरक्षित आश्रय के रूप में प्राथमिकता दी है। मुद्रा की अस्थिरता और आर्थिक नीतियों के बदलाव ने निवेशकों की सतर्कता बढ़ा दी है, जिससे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव नहीं हुआ

इस कारण से सोने की कीमतों में भी केवल हल्की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, अगर त्योहारी मांग बढ़ती है या वैश्विक अस्थिरता गहराती है, तो सोने की कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है। भारत में सोने की कीमतें न केवल घरेलू मांग पर निर्भर करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सोने के भाव और डॉलर की स्थिति पर भी प्रभाव डालती हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती या कमजोरी सीधे तौर पर सोने की कीमतों को प्रभावित करती है। इस समय रुपया थोड़ी मजबूती के साथ ट्रेड कर रहा है, जिसके चलते सोने की कीमतों में अधिक तेजी नहीं आई है। निवेशक और ज्वैलर्स दोनों इस समय संयम बरत रहे हैं, जिससे बाजार में स्थिरता बनी हुई है। हालांकि, त्योहारों के दौरान बढ़ी हुई मांग के कारण सोने की कीमतों में तेजी आने की संभावना बनी हुई है। इसलिए, इस समय सोना खरीदना या निवेश करना भारतीय बाजार में एक समझदारी भरा कदम माना जा रहा है। कुल मिलाकर, सोने की कीमतों में 8 सितंबर को जो मामूली गिरावट आई है, वह बाजार की सामान्य प्रतिक्रिया है और इसे दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। भारतीय उपभोक्ता और निवेशक सोने को अपने पोर्टफोलियो में सुरक्षित संपत्ति के रूप में बनाए रखेंगे, खासकर त्योहारों के दौरान

बाजार की इस स्थिरता के बीच सोना अपनी अहमियत और लोकप्रियता दोनों बरकरार रखे हुए है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि सोने की कीमतों में आये छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव के बावजूद, यह निवेश का एक सुरक्षित माध्यम बना हुआ है और आने वाले दिनों में भी घरेलू मांग और वैश्विक आर्थिक कारकों के आधार पर इसका प्रदर्शन सकारात्मक रहने की संभावना है

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